पश्चिमी राजस्थान के नागौर जिले में कुचामन कस्बा है। कुचामन को कुछ समय पहले तक उन कोचिंग और ट्रेनिंग संस्थानों के लिए जाना जाता था, जिसकी मदद से नौजवान सशस्त्र बलों में भर्ती की तैयारी करते थे।
कुचामन कस्बा शुरू होने से पांच किमी पहले ही कोचिंग संस्थानों के होर्डिंग्स नजर आने लगते हैं। शहर के प्रवेश द्वार पर लिखा है, ‘शिक्षा की नगरी कुचामन’।
खंडहर में बदलता कुचामन!
प्रवेश द्वारा पार करते ही कुचामन लगभग एक खाली शहर है, इसके वीरान कोचिंग संस्थान और हॉस्टल अग्निपथ योजना के बाद सेना की नौकरी के घटते आकर्षण को दिखाता है।
नागौर लोकसभा क्षेत्र के कुचामन 2009 के आसपास सेना के अभ्यर्थियों के लिए एक कोचिंग सेंटर के रूप में उभरना शुरू हुआ था। जल्द ही पूरे राजस्थान के साथ-साथ हरियाणा और पश्चिमी यूपी से भी छात्र यहां आने लगे। अपने चरम पर शहर की “रक्षा अकादमियों” में दो लाख से अधिक छात्र नामांकित थे, जिनमें से कई छात्रावास में रहते थे।
शहर की सबसे पुरानी कुचामन डिफेंस अकादमी के संस्थापक विनोद चौधरी कहते हैं कि एक समय में हमारे छात्रावासों में 1,500 छात्र रहते थे। अब 150 से नीचे हैं।

अग्निपथ योजना के दुष्परिणाम?
चौधरी इसके लिए अग्निपथ योजना को जिम्मेदार मानते हैं। अग्निपथ योजना को जून 2022 में लॉन्च किया गया था, इसके तहत नौजवानों को कमीशन अधिकारी के रूप में शामिल नहीं किया जाता हैं, उन्हें अब छह महीने के प्रशिक्षण के बाद चार साल की अवधि के लिए सशस्त्र बलों में भर्ती किया जाता है। कार्यकाल के अंत में एक बैच के केवल 25% को 15 साल की अवधि के लिये संबंधित सेवाओं में वापस भर्ती किया जाता है, जबकि अन्य को लगभग 11.71 लाख रुपये की एकमुश्त राशि देकर भेज दिया जाता है।
सेना द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार, अब तक 40,000 अग्निवीरों के दो बैचों को प्रशिक्षण पूरा करने के बाद थल सेना में तैनात किया गया है। अन्य 20,000 का प्रशिक्षण नवंबर 2023 में शुरू हुआ है। नौसेना में 7,385 अग्निवीरों के तीन बैचों ने अपना प्रशिक्षण पूरा कर लिया है, इंडियन एयरफोर्स के लिए यह आंकड़ा 4,955 है।
सेना के अधिकारियों का कहना है कि समग्र भर्ती में कोई गिरावट नहीं आई है, अग्निपथ से पहले की संख्या लगभग 55,000-60,000 प्रति वर्ष थी। योजना शुरू होने के तुरंत बाद उन राज्यों में विरोध प्रदर्शन हुए जो बड़ी संख्या में लोगों को सेना में भेजते थे। अब बदली हुई भर्ती प्रक्रिया का असर इन हिस्सों में देखने को मिल रहा है।

60% हॉस्टल खाली पड़े हैं
चौधरी का कहना है कि छात्रों के लिए उस नौकरी के लिए कोचिंग पर समय और पैसा खर्च करने का कोई मतलब नहीं है जिसे वे चार साल में खो सकते हैं। इसके बजाय, वे अन्य सरकारी पदों के लिए प्रयास कर रहे हैं। उनका कहना है कि अभी भी जो कुछ छात्र आ रहे हैं वे ह्यूमैनिटीज स्ट्रीम से या हिंदी-माध्यम स्कूलों से हैं, जिनके पास नौकरी के कम विकल्प हैं।
सेकंड ईयर कॉलेज स्टूडेंट रमेश लखारा कहते हैं कि अग्निपथ योजना से सरकार ने युवाओं को “धोखा” दिया है। जायल तहसील का एक युवा, जो अपना नाम नहीं बताना चाहता, पूछता है कि उसके जैसे “हिंदी-माध्यम” छात्रों के पास क्या विकल्प है।
बता दें कि पहले ऐसे कोचिंग संस्थानों की संख्या लगभग 200 तक थी। अब केवल छह रह गए हैं। भगत सिंह हॉस्टल के मालिक छोटू राम गढ़वाल का कहना है कि इतना सारा बुनियादी ढांचा तैयार करने के बाद भी उनमें से कई लोग EMI चुकाने तक में दिक्कत आ रही है।
छोटू राम गढ़वा कहते हैं, “मेरे छात्रावास में 100 बिस्तर हैं, जिनमें से 60% वर्तमान में खाली हैं। हॉस्टलर्स में से केवल 10 ही यहां अग्निवीर परीक्षा के लिए पढ़ाई कर रहे हैं।” सैनिक छात्रावास के मालिक मनोज कुमावत का कहना है कि वह अब हॉस्टलर्स के लिए विज्ञापन दे रहे हैं; जबकि पहले उनके पास एडवांस बुकिंग होती थी।
क्या राजनीतिक मुद्दा बन रहा है युवाओं का गुस्सा?
राजस्थान के मारवाड़ और शेखावाटी क्षेत्र, जिनमें नागौर, चूरू, झुंझुनू, पाली और जालौर के लोकसभा क्षेत्र शामिल हैं, इनमें से पहले तीन पर 19 अप्रैल को मतदान होगा।
विपक्षी दल अपनी रैलियों में इस मुद्दे को उछालते रहे हैं। राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आरएलपी) के नेता हनुमान बेनीवाल, जो कांग्रेस के सहयोगी के रूप में नागौर से चुनाव लड़ रहे हैं, उन्होंने इस मुद्दे पर कई विरोध प्रदर्शन आयोजित किए हैं और इसे अपने चुनावी भाषणों में उठाया है।
द इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए, बेनीवाल अग्निपथ को “देश के मार्शल समुदायों की कमर तोड़ने” वाला कदम बताते हैं। इसे किसान के विरोध प्रदर्शन से जोड़ते हुए, वह कहते हैं, “राजस्थान, हरियाणा, यूपी और पंजाब के किसानों के बच्चे सबसे अधिक संख्या में सेना में शामिल होते हैं। इसलिए, अग्निपथ को हमारे किसानों और सैनिकों को नीचा दिखाने के लिए पेश किया गया था।” बता दें कि बेनीवाल 2019 में भाजपा के सहयोगी के रूप में नागौर से जीते थे।
गुरुवार (11 अप्रैल) को राजस्थान के अनूपगढ़ में एक रैली को संबोधित करते हुए, कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने वादा किया कि अगर उनकी पार्टी केंद्र में सरकार बनाती है, तो वह “युवा विरोधी” अग्निपथ योजना को खत्म कर देगी और उन्हें रोजगार प्रदान करेगी।
भाजपा अग्निपथ पर शांत है
भाजपा, जो आमतौर पर अपनी सरकार की योजनाओं के बारे में बहुत अधिक बोलती रहती है, अग्निपथ पर बिल्कुल शांत है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बीकानेर और झुंझुनू में अपनी सार्वजनिक बैठकों में इसका जिक्र नहीं किया। जयपुर में एक संवाददाता सम्मेलन में उन्होंने कहा, ”हम किसी भी अग्निवीर के साथ अन्याय नहीं करेंगे… कोई भी नीति आवश्यकता के अनुसार परिवर्तन के अधीन है। इसलिए, यदि आवश्यक हो, तो हम अग्निपथ नीति में संशोधन कर सकते हैं।”
नावा से बीजेपी विधायक विजय सिंह ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि अग्निवीर के प्रतिकूल प्रभाव को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया है। वह कहते हैं, “हां, कुचामन की अर्थव्यवस्था प्रभावित हुई है, लेकिन भाजपा की कई अन्य नीतियां हैं जिनसे जनता को लाभ हुआ है… साथ ही एक योजना निर्णायक कारक (चुनाव में) नहीं होगी, क्योंकि राष्ट्रीय स्तर पर लोग अभी भी नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री के रूप में देखना चाहते हैं।” नावा विधानसभा क्षेत्र, नागौर लोकसभा सीट का हिस्सा है।
नागौर से भाजपा उम्मीदवार ज्योति मिर्धा हैं, जो पहले कांग्रेस में थीं और प्रभावशाली जाट नेता नाथूराम मिर्धा की पोती हैं। नवंबर 2023 के राजस्थान विधानसभा चुनावों में, जिसे भाजपा ने बड़े अंतर से जीता था, नागौर लोकसभा क्षेत्र में कांग्रेस ने चार और भाजपा ने दो विधानसभा क्षेत्रों में जीत हासिल की थी। जबकि एक सीट निर्दलीय के खाते में गई थी, बेनीवाल ने खींवसर में 2,059 वोटों से जीत हासिल की थी। आरएलपी ने 2023 में स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ा था।
इस बीच, कुचामन शहर में अभी भी चालू कोचिंग संस्थान NEET या JEE कक्षाओं में स्थानांतरित होने के बारे में सोच रहे हैं। हालांकि, जैसा कि चौधरी बताते हैं, “लगभग 100 किमी दूर सीकर पहले से ही NEET कोचिंग का एक बड़ा केंद्र है। इसलिए यह कठिन होगा।”