देश के बहुत कम ऐसे राज्य हैं, जिसकी कमान किसी मुस्लिम नेता के पास रही हो। जम्मू-कश्मीर को छोड़ दें तो 1982 (अब्‍दुल रहमान अंतुले, महाराष्‍ट्र) के बाद क‍िसी राज्‍य में मुस्‍ल‍िम सीएम नहीं बना है। राज्‍यों की बात करें तो जम्‍मू-कश्‍मीर के अलावा पहली बार कोई मुस्‍ल‍िम सीएम राजस्थान में ही बना था। जुलाई, 1971 में कुर्सी संभालने वाले बरकतुल्लाह खान राजस्‍थान के इकलौते मुस्‍ल‍िम सीएम रहे हैं। खान को सब प्यारे मियां के नाम से जानते थे। प्यारे मियां, फिरोज गांधी के खास मित्र थे। कॉलेज के दिनों में दोनों की दोस्ती लखनऊ में हुई थी। इस दोस्ती की वजह से ही प्यारे मियां वह इकलौते व्यक्ति थे, जो इंदिरा गांधी को भाभीजी कहकर संबोधित करते थे।

राजस्थान को पहला और अब तक का इकलौता मुस्लिम सीएम कैसे मिला?

बरकतुल्लाह खान ने 9 जुलाई, 1971 को राजस्थान के छठे मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी। दिलचस्प यह है कि उन्हें कुछ दिन पहले तक यह पता ही नहीं था कि जिस सरकार में वह मंत्री हैं, उसकी कमान उनके हाथ में आने वाली है। दरअसल, मुख्यमंत्री बनने से पहले प्यारे मियां राजस्थान की मोहनलाल सुखाड़िया सरकार में मंत्री थे।

44 दिन (13 मार्च, 1967- 26 अप्रैल, 1967) के राष्ट्रपति शासन को छोड़ दें, तो सुखाड़िया नवंबर 1954 से लगातार मुख्यमंत्री थे। हालांकि राज्य में सुखाड़िया लगातार कमजोर हो रहे थे। इंदिरा भी इन्हें खास पसंद नहीं करती थीं। इसके कई कारण थे। पहला तो यह कि सुखाड़िया कांग्रेस के पुराने नेताओं में से एक थे। पुराने नेता इंदिरा पर दबाव बनाते और इंदिरा इन लोगों को किनारे लगाना चाहती थीं। हालांकि जब कांग्रेस का बंटवारा हुआ तो सुखाड़िया इंदिरा के पाले में आ गए।

इसके अलावा 1969 के राष्ट्रपति चुनाव में हुआ मतदान भी एक कारण बना। तब कांग्रेस के राष्ट्रपति उम्मीदवार नीलम संजीव रेड्डी थे। लेकिन इंदिरा चाहती थीं कि वीवी गिरि राष्ट्रपति बनें। अब वह ये बात खुलेआम तो कह नहीं सकती थीं, इसलिए उन्होंने ‘अंतरआत्मा की आवाज पर’ पर वोट करने को कहा। सुखाड़िया समेत राजस्थान कांग्रेस के ज्यादातर नेताओं ने रेड्डी को वोट किया। लेकिन प्यारे मियां सहित चार लोगों ने ‘अंतरआत्मा की आवाज पर’ पर गिरि को वोट दिया।

Pyare Miyan
बरकतुल्लाह खान (Express archive photo)

इसका फल जल्द ही प्यारे मियां को मिला। साल 1971 में जुलाई का महीना था। भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव का वक्त था। पूर्वी पाकिस्तान में सब कुछ अस्त व्यस्त चल रहा था। उधर के भारी संख्या में लोग भारत में आ रहे थे। भारत सीधी कार्रवाई से पहले राजनयिक मोर्चा साधने में जुटा था। इसी योजना के तहत भारत से एक प्रतिनिधिमंडल लंदन गया था, जिसके सदस्य प्यारे मियां भी थे।

इधर राजस्थान में केंद्र के इशारे पर कांग्रेस विधायक राज्य सरकार के खिलाफ मोर्चा खोले हुए थे। विधायकों की मांग थी कि मोहनलाल सुखाड़िया को मुख्यमंत्री के पद से हटाया जाए। मैडम प्राइम मिनिस्टर ने विधायकों की बात मान ली। उन्होंने अपने सहयोगी से लंदन फोन मिलाने को कहा। प्यारे मियां को लाइन पर लिया गया। इंदिरा गांधी ने प्यारे मियां को बताया कि उन्हें राजस्थान का मुख्यमंत्री बनना है, इसलिए वापस आ जाए। प्यारे मियां ने सिर्फ ‘जी भाभी’ कहा और भारत के लिए निकल पड़े।

वह 2 साल, 94 दिन मुख्यमंत्री रहे। पद पर रहते हुए ही 11 अक्टूबर, 1973 को उनका उनका दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। वह राजस्थान के इकलौते ऐसे मुख्यमंत्री हैं, जिनका पद पर रहते हुए निधन हुआ।

जब कविता पर टिप्पणी के कारण चली गई राजस्थान के इकलौते दलित CM की कुर्सी

जगन्नाथ पहाड़िया राजस्थान के पहले और अब तक के इकलौते दलित मुख्यमंत्री हैं। 10 जनवरी, 1981 को सीएम पहाड़िया ने ऑथर्स गिल्ड ऑफ इंडिया के वार्षिक अधिवेशन में हिन्दी कवयित्री महादेवी वर्मा की कविताओं पर आलोचनात्मक टिप्पणी की थी। नेहरू वर्मा को मुंहबोली बहन मानते थे। इस नाते इंदिरा उन्हें बुआ कहती थीं। सीएम पहाड़िया की आलोचनात्मक टिप्पणी के छह माह बाद ही उनकी कुर्सी चली गई थी। विस्तार से पढ़ने के लिए फोटो पर क्लिक करें:

Dalit CM
राजस्थान के एक मात्र दलित मुख्यमंत्री जगन्नाथ पहाड़िया (Express archive photo)