पंजाब में किसानों द्वारा भाजपा के नेताओं का विरोध थमने का नाम नहीं ले रहा है। हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी जब मंगलवार को संगरूर लोकसभा सीट पर चुनाव प्रचार करने के लिए पहुंचे तो उन्हें किसानों के जबरदस्त विरोध का सामना करना पड़ा था। किसानों ने उनके खिलाफ गो बैक के नारे लगाए। कुछ ऐसा ही विरोध केंद्रीय मंत्री और बीजेपी की स्टार प्रचारक स्मृति ईरानी को भी झेलना पड़ा।
संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर एकजुट हुए किसानों ने स्मृति ईरानी वापस जाओ के नारे लगाए। पंजाब के अलावा हरियाणा में भी चुनाव प्रचार के दौरान भाजपा के तमाम उम्मीदवारों और स्टार प्रचारकों को किसानों के विरोध का सामना करना पड़ा था।
पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को हरियाणा में कई जगहों पर किसानों ने काले झंडे पर दिखाए थे। सिरसा से बीजेपी उम्मीदवार अशोक तंवर, हिसार से उम्मीदवार रणजीत सिंह चौटाला का भी किसानों ने विरोध किया था।
कुछ दिन पहले जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पंजाब में बीजेपी के उम्मीदवारों के पक्ष में चुनावी रैलियां करने पहुंचे थे तो उनका भी किसानों ने पुरजोर विरोध किया था।

मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी संगरूर लोकसभा सीट से बीजेपी के उम्मीदवार अरविंद खन्ना के रोड शो में पहुंचे थे। लेकिन किसान जिस जगह से भाजपा का रोड शो शुरू होना था, एकजुट होकर उस ओर बढ़ने लगे। हालात को देखते हुए पुलिस भी मौजूद थी और पुलिस ने किसानों को पहले ही रोक लिया। ऐसे में किसानों ने रोड शो के दौरान नायब सिंह सैनी को काले झंडे दिखाकर अपना विरोध दर्ज कराया। इस दौरान बीजेपी नेताओं ने अपने नेताओं और प्रत्याशी के पक्ष में नारेबाजी की।
Farmers Protest: किसान बोले- दिल्ली क्यों नहीं जाने दिया
कुछ ऐसे ही हालात का सामना केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी को भी करना पड़ा। स्मृति ईरानी फरीदकोट से बीजेपी के उम्मीदवार हंसराज हंस के समर्थन में पहुंची थीं। हंसराज हंस को इससे पहले भी कई बार किसानों के जबरदस्त विरोध का सामना करना पड़ा है। कीरती किसान यूनियन के आह्वान पर यहां पहुंचे किसानों ने कहा कि मोदी सरकार ने किसानों की मांगों को पूरा नहीं किया है। किसानों का कहना था कि जब वे दिल्ली जाना चाहते थे तो हरियाणा में बीजेपी की सरकार ने उन्हें आगे नहीं जाने दिया।
किसान नेताओं ने चेतावनी दी कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं हो जाती तब तक वे बीजेपी के उम्मीदवारों का पूरे जोर-शोर से विरोध करते रहेंगे।

हरियाणा-पंजाब में जोरदार विरोध
किसानों के लगातार विरोध प्रदर्शन की वजह से बीजेपी को तमाम सियासी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। हरियाणा में पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने राज्य की सभी 10 सीटों पर जीत दर्ज की थी। ऐसे में पार्टी इस बार अपना पिछला चुनावी प्रदर्शन दोहरा पाएगी या नहीं इसे लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं। पंजाब में बीजेपी इस बार अकेले चुनाव लड़ रही है। 1996 से 2019 तक वह अकाली दल के साथ मिलकर चुनाव लड़ती थी। पिछली बार उसे 2 सीटों पर जीत मिली थी।
किसानों ने कुछ दिन पहले जब शंभू रेलवे स्टेशन से अपना धरना खत्म किया था तो इस बात का ऐलान किया था कि वह पंजाब में बीजेपी के बड़े नेताओं के घर के बाहर धरना देंगे।
Sangrur Lok Sabha: संगरूर में मान की प्रतिष्ठा दांव पर
संगरूर लोकसभा सीट से इस बार पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान की सियासी साख दांव पर है। भगवंत मान 2014 और 2019 में इस सीट से लोकसभा का चुनाव जीत चुके हैं लेकिन 2022 में पंजाब का मुख्यमंत्री चुने जाने के बाद उन्होंने लोकसभा से इस्तीफा दे दिया था। संगरूर सीट पर हुए उपचुनाव में तब आम आदमी पार्टी को हार मिली थी। उस वक्त शिरोमणि अकाली दल (अमृतसर) के अध्यक्ष सिमरनजीत सिंह मान यहां से चुनाव जीते थे हालांकि उनकी जीत का अंतर लगभग 6000 वोटों का ही रहा था। लेकिन इस हार को मुख्यमंत्री भगवंत मन की सीधी हार मान गया था।

Sukhpal Singh Khaira: मान के कड़े आलोचक हैं कांग्रेस उम्मीदवार खैहरा
संगरूर लोकसभा सीट पर इस बार कड़ा चुनावी मुकाबला है। सिमरनजीत सिंह मान फिर से चुनाव लड़ रहे हैं। आम आदमी पार्टी ने संगरूर पर जीत के लिए अपने कैबिनेट मंत्री और बरनाला से विधायक गुरमीत सिंह मीत हेयर को चुनाव मैदान में उतारा है। कांग्रेस ने अपने फायर ब्रांड नेता और विधायक सुखपाल सिंह खैहरा को टिकट दिया है।
सुखपाल सिंह खैहरा मुख्यमंत्री भगवंत मान के कड़े आलोचक हैं। शिरोमणि अकाली दल ने यहां से अपने पूर्व विधायक इकबाल सिंह झुंडन को टिकट दिया है जबकि भाजपा ने कारोबारी अरविंद खन्ना को उम्मीदवार बनाया है।
2022 के लोकसभा चुनाव में सिमरनजीत सिंह मान को मिली जीत के पीछे पंजाबी अभिनेता और किसान आंदोलन में सक्रिय रहे दीप सिद्धू और पंजाबी गायक सिद्धू मूसेवाला की हत्या को भी एक वजह माना गया था। लेकिन इस बार सिद्धू मूसेवाला के पिता बलकौर सिंह यहां खुलकर कांग्रेस के उम्मीदवार सुखपाल सिंह खैहरा के समर्थन में प्रचार कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री भगवंत मान ने इस सीट को जीतने के लिए पूरी ताकत झोंकी हुई है। आम आदमी पार्टी यहां पर मुफ्त बिजली, सरकारी नौकरियां, सिंचाई का पानी, मोहल्ला क्लीनिक और अन्य योजनाओं के प्रचार के दम पर चुनाव लड़ रही है।

Hansraj Hans Faridkot: पिछला चुनाव दिल्ली से जीते थे हंस
चुनाव प्रचार के दौरान कई बार किसानों के विरोध का सामना कर चुके हंसराज हंस 2019 में उत्तर पश्चिमी दिल्ली लोकसभा सीट से चुनाव जीते थे लेकिन इस बार पार्टी ने उन्हें उनके गृह राज्य पंजाब से चुनाव मैदान में उतारा है। हंसराज हंस सूफी और पंजाबी गानों के लिए पंजाब और दुनिया में रहने वाले पंजाबियों के बीच जाने-पहचाने चेहरे हैं।
फरीदकोट सीट से आम आदमी पार्टी ने पंजाबी फिल्मों के लोकप्रिय कलाकार करमजीत अनमोल को, अकाली दल ने राजविंदर सिंह और कांग्रेस ने अमरजीत कौर साहोके को टिकट दिया है।
फरीदकोट सीट से पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के दो हत्यारों में से एक बेअंत सिंह के बेटे सरबजीत सिंह खालसा भी निर्दलीय चुनाव लड़ रहा है। सरबजीत सिंह खालसा ने साल 2015 में पंजाब में हुई गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी के मामले को अपना मुख्य चुनावी मुद्दा बनाया है। 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर यहां से मोहम्मद सदीक चुनाव जीते थे। मोहम्मद सदीक भी पंजाबी गायक हैं।
Punjab BJP: पिछले प्रदर्शन से आगे बढ़ पाएगी बीजेपी?
बीजेपी की कोशिश पंजाब में इस बार अपनी सीटों की संख्या बढ़ाने की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने पंजाब में बीते दिनों में कई चुनावी रैलियां कर पंजाब की जनता से बीजेपी के लिए समर्थन मांगा है। लेकिन जिस तरह बीजेपी के नेताओं को लेकर किसानों का विरोध लगातार बढ़ रहा है, उससे यही सवाल खड़ा होता है कि 2019 में मिली दो सीटों से क्या वह आगे बढ़ पाएगी।
किसानों का कहना है कि मोदी सरकार एमएसपी पर कानून बनाए और स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को भी लागू करे। पंजाब में किसानों के बीजेपी नेताओं के खिलाफ हो रहे प्रदर्शन को लेकर पंजाब भाजपा के अध्यक्ष सुनील जाखड़ कहते हैं कि आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के लोगों ने किसानों के प्रदर्शन में घुसपैठ कर ली है।