लोकसभा चुनाव में पंजाब के नाराज किसान बीजेपी का सबसे बड़ा नुकसान कर सकते हैं। राज्य में करीब 20 लाख किसान परिवार बताए जाते हैं। ऐसे में इनकी नाराजगी झेलने का खतरा कोई पार्टी नहीं उठा सकती। इसीलिए सभी पार्टियों ने किसानों को मनाने के लिए पहल तेज की है।
बीजेपी को सबसे ज्यादा नुकसान का खतरा इसलिए है, क्योंकि केंद्र में उसकी सरकार है और 2019 की तरह इस बार शिरोमणि अकाली दल उसके साथ नहीं है। केंद्र में बीजेपी सरकार होने के चलते किसानों का मानना है कि उनकी मांगें नहीं मानने वाली पार्टी बीजपी और सरकार मोदी सरकार ही है।
पंजाब ही नहीं हरियाणा में भी बीजेपी के लोकसभा उम्मीदवारों को लगातार किसानों के विरोध का सामना करना पड़ रहा है। किसान पूरे राज्य में जगह-जगह बीजेपी उम्मीदवारों को काले झंडे दिखा रहे हैं। किसान सवाल कर रहे हैं कि हरियाणा सरकार ने किसानों को दिल्ली क्यों नहीं जाने दिया? क्यों एमएसपी की गारंटी नहीं दी जा रही है?

Shiromani Akali Dal: शिरोमणि अकाली दल से भी है नाराजगी
कई जगह किसान भाजपा प्रत्याशियों को प्रचार नहीं करने दे रहे। वे लगातार उनका विरोध कर रहे हैं। ऐसे में भाजपा ने सभी लोकसभा क्षेत्रों में अपने नेताओं की समितियां बनाई हैं। इनका काम किसानों से संपर्क कर उनकी नाराजगी दूर करना है। किसान केवल बीजेपी से नाराज नहीं बताए जा रहे। वे शिरोमणि अकाली दल से भी गुस्सा बताए जा रहे हैं।
तीन कृषि कानूनों के खिलाफ जब किसान भयंकर सर्दी में सड़क किनारे बैठे थे तो शिरोमणि अकाली दल ने इन कानूनों का विरोध नहीं किया था। वह केंद्र की भाजपा सरकार में साझीदार थी। 2020 के आंदोलन के दौरान काफी बाद में हरसिमरत कौर ने मंत्री पद छोड़ा था और एनडीए से खुद को अलग कर लिया था। लेकिन, इससे किसानों की नाराजगी पूरी तरह खत्म नहीं हुई।
अब जब शिरोमणि अकाली दल के उम्मीदवार वोट मांगने जा रहे हैं तो कई गांवों में उन्हें विरोध और किसानों के सवालों को झेलना पड़ रहा है। पार्टी के वरिष्ठ नेता लगातार किसान नेताओं से संपर्क करके उनका गुस्सा ठंडा करने में लगे हैं।

MSP Legal Guarantee: एमएसपी की कानूनी गांरटी देने का वादा
कांग्रेस और आप का भी यही हाल है। आप से पहले पंजाब में कांग्रेस सरकार थी। उसका वादा था कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) अगर केंद्र नहीं देती है तो राज्य सरकार देगी। लेकिन, यह वादा ही रहा। अब चुनाव को देखते हुए कांग्रेस ने घोषणापत्र में एमएसपी की कानूनी गारंटी देने का वादा किया है। इसे किसानों का गुस्सा शांत करने की कवायद माना जा रहा है।
अभी पंजाब में आम आदमी पार्टी (आप) की सरकार है। आप ने वादा किया था कि किसानों के मुद्दे हल करवाए जाएंगे और कर्ज भी माफ किए जाएंगे। लेकिन, ऐसा कुछ नहीं हुआ। लिहाजा आप से किसानों की नाराजगी भी दूर नहीं हुई है।

Punjab Farmers Protest: पंजाब में क्या हैं किसानों के मुद्दे?
तमाम राजनीतिक दलों के द्वारा किए गए वादों के बाद भी किसान किसी भी राजनीतिक दल से खुश नहीं दिखाई देते। पंजाब के किसान सभी 23 फसलों पर एमएसपी की कानूनी गारंटी चाहते हैं। उनका कहना है कि मौसम की वजह से, बाजार के चढ़ते-उतरते भाव और किसानों पर बढ़ते कर्ज के चलते उन्हें फसलों पर कानूनी गारंटी दी जानी चाहिए।
किसानों ने जब इस साल मार्च के महीने में दिल्ली चलो का नारा दिया था तो पंजाब-हरियाणा बॉर्डर पर हरियाणा की बीजेपी सरकार ने उन्हें आगे बढ़ने से रोक दिया था। इसलिए वे बीजेपी से नाराज हैं।

किसान आम आदमी पार्टी पर आरोप लगाते हैं कि उसने पंजाब की सत्ता में आने के बाद अन्नदाता के साथ धोखा किया है। 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले उसने वादा किया था कि वह सत्ता में आने पर सभी 23 फसलों पर एमएसपी की कानूनी गारंटी देगी। लेकिन पिछले 2 सालों में कुछ भी नहीं हुआ और सिर्फ दो फसलों- गेहूं और धान पर कानूनी गारंटी मिली है। इनकी खरीद भी एमएसपी पर केंद्र सरकार द्वारा की जाती है।
शिरोमणि अकाली दल को लेकर किसानों का कहना है कि जब 2007 से 2017 तक पंजाब में उसकी सरकार थी तो उसने किसानों की कर्ज माफी के लिए कुछ नहीं किया। किसानों का कहना है कि यह सभी राजनीतिक दल उनके साथ छल करते हैं। कांग्रेस को लेकर किसानों का कहना है कि जब वह 2004 से 2014 तक सत्ता में थी तो वह एमएसपी को लेकर चुप क्यों रही।

13 लोकसभा सीटों वाले पंजाब के लोकसभा चुनाव में निश्चित रूप से किसानों की नाराजगी एक बड़ा मुद्दा है। चूंकि पंजाब में 20 लाख किसान परिवार हैं, ऐसे में इनकी नाराजगी कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, बीजेपी और शिरोमणि अकाली दल सभी के लिए एक बड़ा मुद्दा है।