अमेरिका ने भारत पर 50% टैरिफ लगा दिया है। इस टैरिफ को लेकर तमाम तरह के सवाल खड़े हुए हैं। आइए, ये क्या सवाल हैं और इनके जवाब खोजने की कोशिश करते हैं।
टैरिफ लगाने के हालात कैसे बने?
पहला सवाल यह कि टैरिफ लगाने के हालात कैसे बने? डोनाल्ड ट्रंप का मानना है कि अमेरिका अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का शिकार है और छोटे-छोटे देशों की अर्थव्यवस्थाओं ने अमेरिका के साथ धोखाधड़ी की है। इसके लिए वे ना सिर्फ टैरिफ लगाते हैं बल्कि Reciprocal Tariffs भी लगा देते हैं। जबकि अमेरिका दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और यह जर्मनी, जापान और भारत से 7-8 गुना बड़ी है।
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दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था और एक छोटे से अफ्रीकी देश की अर्थव्यवस्था को बराबरी पर मानना कहीं से भी सही नहीं है लेकिन ट्रंप की नज़र में Reciprocal Tariffs का मतलब यह नहीं है कि दोनों देश एक-दूसरे पर बराबर टैरिफ लगाएं। ट्रंप का मानना है कि Reciprocal Tariffs का मतलब वह दर है, जिस पर पहुंचने के बाद अमेरिका का उस देश के साथ व्यापार घाटा बंद हो जाए।
ट्रंप के कदम कानूनी रूप से सही हैं?
दूसरा सवाल- क्या ट्रंप जो कदम उठा रहे हैं, वह कानूनी हैं। इसका जवाब यह है कि टैरिफ लगाना अमेरिकी संसद का काम है लेकिन डोनाल्ड ट्रंप ने इमरजेंसी का ऐलान करते हुए अपने हाथ में असीमित ताकत ले ली है। अभी उनके इन आदेशों को चुनौती दी जाएगी और कानूनी जांच भी होगी, उसके बाद चीजें साफ हो पाएंगी।
अमेरिका पर क्यों नहीं लगा रहे टैरिफ?
तीसरा सवाल यह कि दूसरे देश अमेरिका पर टैरिफ क्यों नहीं लगा रहे हैं? इसका जवाब यह है कि अमेरिका के द्वारा लगाए गए टैरिफ से हर देश के एक्सपोर्टर्स के लिए हालात मुश्किल हो रहे हैं लेकिन अगर वह जिन अमेरिकी सामान का आयात कर रहे हैं उन पर टैरिफ लगा देंगे तो इससे उनके कंज्यूमर्स के लिए हालात मुश्किल हो जाएंगे।
अमेरिका टैरिफ वॉर को जीत रहा है?
चौथा सवाल यह कि क्या अमेरिका इस टैरिफ वॉर को जीत रहा है? ट्रंप का कहना है कि वह इस लड़ाई को जीत रहे हैं लेकिन ट्रंप को दूसरी बार राष्ट्रपति बने 7 महीने से ज्यादा का वक्त हो गया है और उन्होंने अब तक आए सभी नकारात्मक आंकड़ों को लेकर पुरानी जो बाइडेन सरकार को जिम्मेदार ठहराया है और जब भी पॉजिटिव आंकड़े आते हैं तो वह उन्हें अपनी सरकार के आंकड़े बताते हैं।
ट्रंप ने इसके लिए अपने प्रमुख अफसरों पर निशाना साधा और एक सीनियर अफसर को बर्खास्त कर दिया। इस सबका अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर खराब असर दिखाई दे रहा है। टैरिफ की वजह से सबसे ज्यादा नुकसान अमेरिका के छोटे कारोबार को हो रहा है।
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छोटे कारोबारों पर हो रहा विनाशकारी असर
यूएस चैंबर्स ऑफ कॉमर्स द्वारा 7 अगस्त को जारी किए गए एक विश्लेषण में पता चला है, “टैरिफ की वजह से देश भर के हजारों छोटे कारोबारों पर विनाशकारी असर हो रहा है क्योंकि अनिश्चितता, बढ़ती लागत और ऑर्डर्स कैंसल होने की वजह से लोगों के घरों तक असर पड़ रहा है।”
लड़ाई कब खत्म होगी?
सबसे आखिर में और अहम सवाल यह कि टैरिफ को लेकर चल रही यह लड़ाई कब खत्म होगी? इसे लेकर दो चीजें सामने आती हैं। पहली यह कि अमेरिकी उपभोक्ताओं और कारोबारों के लिए आर्थिक लागत इतनी ज्यादा बढ़ जाए कि ट्रंप को अपने फैसले पर फिर से सोचने के लिए मजबूर होना पड़े।
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अगस्त के आखिर तक जब महंगाई के नए आंकड़े सामने आएंगे तो ट्रंप के खिलाफ हालात मुश्किल हो सकते हैं और आने वाले दिनों में शायद यह दबाव और बढ़ेगा। नवंबर 2026 के मध्यावधि चुनाव में इसे लेकर राजनीतिक प्रतिक्रिया भी देखने को मिल सकती है।
अगर लोगों ने ट्रंप की नीतियों से परेशान होकर उनके खिलाफ वोट किया तो रिपब्लिकन उम्मीदवारों को मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। ऐसी स्थिति में अमेरिकी कांग्रेस में हालात बदल सकते हैं।
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