सुप्रीम कोर्ट (SUPREME COURT OF INDIA) के वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे (Senior Advocate Dushyant Dave) ने एक कार्यक्रम में बातचीत के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) की नीतियों की जमकर आलोचना की है। उन्होंने कहा है कि प्रधानमंत्री मोदी बात तो ‘कांग्रेस मुक्त भारत’ की करते हैं, लेकिन चाहते ‘विपक्ष मुक्त भारत’ हैं।

उन्होंने पीएम मोदी पर केंद्रीय एजेंसियों के गलत इस्तेमाल का आरोप लगाते हुए कहा, “बहुदलीय प्रणाली (Multi Party system) संविधान के मूलभूत संरचना का हिस्सा है। इसे सीबीआई, ईडी आदि के जरिए नष्ट नहीं किया जा सकता है। हमारे यहां लोकतंत्र है। बावजूद इसके आलोचकों को टारगेट किया जा रहा है। यहां तक कि स्टैंड अप कॉमेडियन और अल्पसंख्यकों को भी नहीं बख्शा जा रहा है।” दवे ने ये बातें कोच्चि में ‘एर्नाकुलम गवर्नमेंट लॉ कॉलेज ओल्ड स्टूडेंट्स एंड टीचर्स एसोसिएशन’ द्वारा आयोजित कार्यक्रम में कही।

लोगों की भक्ति आश्चर्यजनक है- दवे

लोकतांत्रिक मूल्यों का महत्व समझाने के लिए दुष्यंत दवे भारत के पहले कानून मंत्री और संविधान निर्माता डॉ अंबेडकर द्वारा दिए सबक को याद दिलाते हैं। वह कहते हैं, “अंबेडकर और उनके साथियों ने जब संविधान बनाया तो उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि भविष्य में संसद लोगों के मौलिक अधिकार छीन लेगी। आज के राजनीतिक दल भारत को अपनी राजनीतिक विचारधाराओं से परे नहीं रखते हैं।

कृषि कानूनों को बिना बहस के पारित कर दिया गया और बिना बहस के निरस्त कर दिया गया। पिछले 8 वर्षों में पारित कानूनों पर शायद ही कोई बहस हुई हो। क्या यह समझ में आने लायक बात है? यह चौंकाने वाला है।

अम्बेडकर ने तीन बातें कही – यदि हम लोकतंत्र को वास्तव में बनाए रखना चाहते हैं, तो हमें क्रांति के खूनी तरीकों को त्याग देना चाहिए, संविधान को बनाए रखना चाहिए और अपनी स्वतंत्रता को किसी महान व्यक्ति के चरणों में समर्पित नहीं कर देनी चाहिए।

अम्बेडकर ने कहा था कि भक्त राजनीति में तानाशाही को जन्म देते हैं। ठीक यही अब हो रहा है। भक्ति। हम वह सब देखते हैं जो आसपास के भक्त कर रहे हैं और यह आश्चर्यजनक है।

यदि हमारे पास भाईचारा नहीं है, तो हमारा संविधान नहीं बच पाएगा। ऊंची जाति और निचली जाति के बीच, अमीर और गरीब के बीच की खाई चौड़ी होती जा रही है। अब पूरा ध्रुवीकरण हो गया है।

केरल शायद एक अपवाद है। भारत में आज भाईचारा कहां है? क्या ऊंची जातियों और निचली जातियों में भाईचारा है? क्या धर्मों के बीच भाईचारा है? जिस गुजरात से मैं आता हूं वह अब पूरी तरह से ध्रुवीकृत है।”

शासन अपने सबसे निचले स्तर पर है- दवे

दुष्यंत दवे बताते हैं कि संविधान की बुनियादी संरचना के अक्षुण्ण रहने की वजह से अब तक नागरिकों की स्वतंत्रता सुरक्षित है। लेकिन अब सरकार इसमें बदलाव करना चाहती है। वह कहते है, “शासन अपने सबसे निचले स्तर पर है। कानून का राज नदारद है। सरकार जिसे पसंद नहीं करती, उसे परेशान किया जाता है।”

उमेश पाल हत्याकांड के आरोपियों के एनकाउंटर में मारे जाने का जिक्र करते हुए दवे कहते हैं, “हम आरोपियों को मारते हैं, उनके घर तोड़ते हैं। क्या यह कानून का शासन है? दिल्ली में सरकार ने बुलडोजर चलवाया, क्योंकि वहां अल्पसंख्यक समुदायों के सदस्य रहते हैं। सरकार सैनिक फार्म (दिल्ली का एक अति कुलीन इलाका) के अतिक्रमण को हाथ नहीं लगाएंगी, लेकिन गरीबों को बेदखल करेंगे।

सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए दवे कहते हैं, “संविधान को नष्ट करने के लिए संवैधानिक तरीकों का इस्तेमाल किया जा रहा है। यही कारण है कि बुनियादी संरचना सिद्धांत महत्वपूर्ण है और इसे संरक्षित करने की आवश्यकता है।”