प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव का जवाब देने के दौरान कांग्रेस को ‘परजीवी’ कहा। उन्होंने कहा कि कांग्रेस स्वभाव से परजीवी बन गई है और अपने सहयोगियों पर सवार होकर केवल सीटें जीत रही है। साथ ही पीएम ने पार्टी पर देश में अराजकता फैलाने का भी आरोप लगाया।
पीएम ने कहा, “अगर आप हाल ही में खत्म हुए लोकसभा चुनाव के नतीजों का विश्लेषण करेंगे तो आप देखेंगे कि जहां कांग्रेस अकेले लड़ी, वहां वह ज्यादा सीटें नहीं जीत सकी। लेकिन उन राज्यों में, जहां कांग्रेस ने अन्य पार्टियों का समर्थन किया, वहां उसे काफी फायदा हुआ। इससे पता चलता है कि कांग्रेस अब परजीवी की तरह उन पार्टियों के वोट खा जाती है जिनके साथ वह जुड़ती है।”
क्या सच में कांग्रेस परजीवी बन गयी हैं? क्या कहते हैं आंकड़े, आइये देखते हैं।
कांग्रेस ने 2019 के मुक़ाबले 47 सीटों का इजाफा किया
2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में जहां भाजपा ने अपने दम पर बहुमत हासिल किया वहीं, कांग्रेस को 44 और 52 सीटों से संतोष करना पड़ा। वहीं, 2024 के आम चुनाव में भाजपा अपने दम पर बहुमत हासिल करने में विफल रही और कांग्रेस ने 2019 के मुक़ाबले 47 सीटों का इजाफा किया है। वहीं, भाजपा और कांग्रेस के नेतृत्व वाले NDA और INDIA गठबंधन के बीच सीटों का अंतर भी बहुत कम है। जहां एनडीए के पास 293, वहीं इंडिया गठबंधन के खाते में 234 सीटें आयीं।
कांग्रेस को बड़ा फायदा उन राज्यों में मिला जहां उसने अकेले या ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ा
पीएम मोदी के दावे के उलट कांग्रेस को बड़ा फायदा उन राज्यों में मिला जहां उसने अकेले या ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ा था। 2019 के मुक़ाबले 2024 में देखा जाये तो देश के 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में से कांग्रेस ने 14 में अपनी सीटों की संख्या में वृद्धि की, 16 में कोई बदलाव नहीं हुआ और 6 राज्यों में पार्टी की सीट में गिरावट देखी गई। वहीं अगर, 2024 से 2014 के बीच देखा जाये तो ये आंकड़ा क्रमशः 17, 15 और 4 है।

वहीं, महाराष्ट्र में कांग्रेस की सीटों में सबसे बड़ी बढ़ोत्तरी हुई है जहां पार्टी 2024 में 2019 की तुलना में पार्टी को 11 सीटों और 2024 से 2014 के बीच देखा जाये तो 12 सीटों का लाभ हुआ। ऐसे छह राज्य हैं जहां कांग्रेस ने 2019 की तुलना में 2024 के चुनावों में कम से कम पांच या उससे अधिक सीटें हासिल की हैं। ये राज्य महाराष्ट्र (12), राजस्थान (8), कर्नाटक (8), तेलंगाना (5), हरियाणा (5) और उत्तर प्रदेश (5) हैं।
2019 की तुलना में 2024 के आम चुनाव में कांग्रेस को किस राज्य में कितनी सीटों का फायदा
राज्य | सीटें |
महाराष्ट्र | 12 |
कर्नाटक | 8 |
राजस्थान | 8 |
हरियाणा | 5 |
तेलंगाना | 5 |
मणिपुर | 2 |
उत्तर प्रदेश | 5 |
बिहार | 2 |
चंडीगढ़ | 1 |
गुजरात | 1 |
लक्षद्वीप | 1 |
नागालैंड | 1 |
झारखंड | 1 |
तमिल नाडु | 1 |
कांग्रेस जहां अकेले लड़ी वहां पार्टी को ज्यादा फायदा
इन 6 राज्यों ने 2024 के चुनावों में पिछले साल के मुक़ाबले बढ़ी कांग्रेस की 47 में से 43 सीटों का योगदान दिया है। महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश को छोड़कर इन सभी राज्यों में, कांग्रेस गठबंधन में प्रमुख या एकमात्र पार्टी थी। महाराष्ट्र में कांग्रेस ने शिवसेना (यूबीटी) और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एसपी) के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ा। जहां एनसीपी कांग्रेस की पुरानी साझेदार है, वहीं शिवसेना (यूबीटी) हालिया साझेदार है।
कांग्रेस को उन राज्यों में छह सीटें और हासिल हुई हैं, जहां उसने अकेले या प्रमुख गठबंधन सहयोगी के रूप में चुनाव लड़ा था। इसका मतलब यह है कि 2019 और 2024 के बीच कांग्रेस की 60% बेहतर सीटें उन राज्यों से आई हैं जहां उसने अकेले या मुख्य पार्टी के रूप में चुनाव लड़ा था।

बीजेपी ने 1989 के बाद से हुए हर लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पर बढ़त बनाई
हालांकि, भाजपा ने कांग्रेस के मुकाबले अपना प्रभुत्व बरकरार रखा है। कांग्रेस को इस बार मिलीं 99 सीटें भारतीय चुनावों के इतिहास में पार्टी को मिली तीसरी सबसे कम सीटें हैं। हिंदुस्तान टाइम्स द्वारा कांग्रेस और बीजेपी के बीच के मुकाबलों के विश्लेषण से पता चलता है कि जब भी ये दोनों पार्टियां सीधे मुक़ाबले में थीं बीजेपी ने 1989 के बाद से हुए हर लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पर बढ़त बनाई है, 1991 और 2009 को छोड़कर।
अन्य दलों के मुक़ाबले बीजेपी के द्वारा गंवाई गईं सीटें
चुनावी वर्ष | कांग्रेस | कांग्रेस के सहयोगी दल | अन्य पार्टियां |
2014 | 37 | 11 | 98 |
2019 | 31 | 10 | 92 |
2024 | 84 | 104 | 13 |
बीजेपी के लिए 2024 के नतीजे निराशाजनक
2024 के नतीजे भाजपा के लिए चिंताजनक हो सकते हैं। इन चुनावों में भाजपा द्वारा खोई गयी 201 सीटों में से वह 84 कांग्रेस से हार गई, 104 इंडिया गठबंधन के अन्य दलों से और 13 अन्य पार्टियों से हार गई। 2019 में ये संख्या 31, 10 और 92 थी। इससे पता चलता है कि 2024 में बीजेपी की सीटों की संख्या में हार का बड़ा कारण कांग्रेस के बजाय गैर-कांग्रेसी दलों को हराने में विफलता है। भाजपा को सबसे बड़ा नुकसान कांग्रेस के गठबंधन सहयोगियों के खिलाफ हुआ है।

कांग्रेस ने बीजेपी को कहा परजीवी
पीएम मोदी के कांग्रेस को परजीवी कहने वाले बयान पर पलटवार करते हुए कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा था कि अगर कोई परजीवी है तो वह भाजपा क्योंकि उसका ट्रैक रिकॉर्ड दिखाता है कि वह कैसे क्षेत्रीय पार्टियों को खा गयी।
कांग्रेस नेता ने सहयोगियों से डील करने में सत्तारूढ़ पार्टी के ट्रैक रिकॉर्ड की ओर इशारा करते हुए कहा, “इस शब्द का प्रयोग कोई परजीवी ही कर सकता है। ट्रैक रिकॉर्ड देखिए कि कैसे क्षेत्रीय पार्टियों को बीजेपी ने खा लिया है। आज बीजेडी पूरे सत्र के दौरान राज्यसभा में इंडिया गठबंधन के साथ खड़ा है इसलिए अगर कोई परजीवी है तो वह भाजपा है।”
कांग्रेस करेगी अपने प्रदर्शन की समीक्षा
इस सबके बीच कांग्रेस ने लोकसभा चुनावों के दौरान आठ राज्यों में अपने ‘खराब’ प्रदर्शन की समीक्षा के लिए फैक्ट-फाइंडिंग पैनल का गठन किया है। इनमें से तीन राज्य, जहां कांग्रेस का प्रदर्शन औसत से नीचे रहा है, वहां पार्टी का शासन है।
खराब प्रदर्शन के बाद जिन राज्यों की समीक्षा की जाएगी उन राज्यों में मध्य प्रदेश शामिल है, जहां कांग्रेस सभी 29 सीटें हार गई, छत्तीसगढ़ जहां पार्टी ने 11 सीटों में से सिर्फ एक सीट जीती, ओडिशा, जहां उसने 21 सीटों में से केवल एक सीट जीती। इसके अलावा कर्नाटक, जहां उसने 28 में से 9 सीटों पर जीत हासिल की, तेलंगाना जहां उसने 17 में से आठ सीटें जीतीं। दिल्ली, जहां पार्टी को सात सीटों में से कोई सीट नहीं मिली, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश, जहां उसे एक भी सीट नहीं मिली। आठ राज्यों में से तीन-कर्नाटक, तेलंगाना और हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस सत्ता में है।