Parliament Winter Session 2023 Updates: लोकसभा सचिवालय के पूर्व महासचिव पीडीटी आचारी ने कहा है कि विपक्ष के बिना संसद का कोई मतलब नहीं रह जाएगा और सदन बिना गतिरोध के चले, इसके लिए सत्ता पक्ष व विपक्ष दोनों को एक राय बनानी होगी। उन्होंने यह भी कहा कि सदन में किसी तरह की नारेबाजी करने की मनाही है। प्रधानमंत्री के सदन में आने पर नारा लगाना भी मना है।
पीडीटी आचारी ने बताए नियम
जनसत्ता.कॉम से बातचीत में आचारी ने कहा कि सांसदों के लिए सदन में क्या करना है और क्या नहीं, यह लिखित है। इसके तहत किसी तरह की नारेबाजी करने की मनाही है। उन्होंने कहा- प्रधानमंत्री के सदन में आने पर सत्ता पक्ष के सदस्यों की ओर से नारे लगाने का चलन अब हुआ है। इंदिरा गांधी के जमाने में भी सत्ता पक्ष के सदस्य ऐसा नहीं करते थे। तब वे ताली बजाते थे। हालांकि, यह भी सही नहीं है। न तो नियम के हिसाब से और न ही वैसे भी कि केवल प्रधानमंत्री के आने पर ताली बजाई जाए या नारा लगाया जाए और किसी (यहां तक कि उप प्रधानमंत्री भी) के आने पर नहीं।

बता दें कि भाजपा सदस्य अक्सर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सदन में दाखिल होने पर ‘मोदी-मोदी’ के नारे लगाते देखे जा सकते हैं। आचारी ने कहा- यह सदन है, कोई सार्वजनिक या पार्टी की सभा नहीं जहां इस तरह की नारेबाजी की इजाजत हो।
सदन में विरोध कैसे किया जाए?
आचारी तीन दशक से भी ज्यादा वक्त तक लोकसभा में काम करने के बाद 2010 में रिटायर्ड हुए। उन्होंने कहा कि आज जिस तरह सदन में हंगामा बढ़ रहा है, पहले वैसा नहीं होता था। उन्होंने कहा कि सदन में विरोध कैसे किया जाए, इस बात पर भी सांसदों को विचार करने की जरूरत है, ताकि असहमति भी नियम के दायरे में व्यक्त की जा सके।
आचारी ने यह भी कहा कि नए सांसदों को संसदीय कार्यवाही व नियमों से परिचित कराने की मौजूदा प्रक्रिया को भी दुरुस्त करने की जरूरत है। एक बार का ओरिएंटेशन ही काफी नहीं है, बल्कि उन्हें समय-समय पर नियमित रूप से नियमों के बारे में जानकारी दी जाए और बजट जैसे तकनीकी विषयों के बारे में विशेष रूप से प्रशिक्षित किया जाए।
आचारी ने सदन में ज्यादा से ज्यादा सार्थक बहस की जरूरत बताई और गतिरोध दूर करने के लिए मौजूदा नियमोंं को पर्याप्त बताते हुए कहा कि सबसे जरूरी है सत्ता पक्ष और विपक्ष में सार्थक बातचीत हो और मुद्दों पर यथासंभव सहमति बने।
अब तक 141 सदस्यों का निलंबन
बता दें कि संसद के शीतकालीन सत्र में लोकसभा और राज्यसभा के 141 सदस्यों को (19 दिसंबर तक) निलंबित किया जा चुका है। 78 को तो एक ही दिन (18 दिसंबर) निलंबित किया गया। ये सदस्य संसद की सुरक्षा में सेंध लगाए जाने की घटना पर प्रधानमंत्री/गृह मंत्री के बयान की मांग करते हुए नारेबाजी और प्रदर्शन कर रहे थे। इनके निलंबन के अगले दिन (19 दिसंबर) भी लोकसभा के 49 सदस्यों को निलंबित किया गया। 14 सदस्य बीते सप्ताह निलंबित किए गए थे।
13 दिसंबर को दो युवा लोकसभा में दर्शक के रूप में पहुंचे थे और अचानक दर्शक दीर्घा से सदन में कूद गए थे। उन्होंने सदन में धुआं भी छोड़ा था। एक युवा को सांसदों ने पकड़ कर पीटा भी था। दो युवा भवन के बाहर भी नारेबाजी करते हुए पकड़े गए थे।
18 दिसंबर को 78 सांसदों का निलंबन इस मामले में ऐतिहासिक है कि एक दिन में इतनी बड़ी संख्या में सदस्यों का निलंबन पहले कभी नहीं हुआ। इससे पहले 1989 में लोकसभा में एक साथ 63 सदस्यों को निलंबित किया गया था।