बुधवार (13 दिसंबर) को संसद में अचानक अफरा तफरी मच गई। लोकसभा में शून्यकाल के दौरान अचानक दो लोग दर्शक दीर्घा से सदन में कूद गए और नारे लगाते हुए रंग-बिरंगा धुआं फैलाकर विरोध प्रदर्शन करने लगे। साल 2001 में संसद पर हुए हमले की बरसी के दिन हुई इस घटना को सुरक्षा में बड़ी चूक माना जा रहा है।
घटना के बाद संसद से बाहर निकलकर बिजनौर से बसपा सांसद मलूक नागर ने मीडिया को आपबीती बताई है। बसपा सांसद ने ‘आज तक’ को बताया कि शून्यकाल खत्म होने में पांच-छह मिनट बचा था, तभी पीछे से धड़ाम की अवाज आयी।
वह कहते हैं, “मुझे लगा कुछ गिरा। मैंने पीछे पलटकर देखा तो कुछ नजर नहीं आया। इतने देर में एक और ऊपर (दर्शक दीर्घा) से कूदा।… हमें लगा कि गड़बड़ हो गई है। पहले जो कूदा था वह सीटों पर कूद-कूदकर आगे बढ़ने लगा। मैं और हनुमान बेनीवाल उसे पकड़ने के लिए नजदीक गए। इतने में और सांसद साथ आ गए। हमने देखा कि उसने जूता निकाला। हमें लगा ये जूता मारेगा। लेकिन हमें यह भी लग रहा था कि कहीं कोई हथियार न निकाल ले, इसलिए हम उसपर टूट पड़े। उसे जकड़ लिया और उसकी पिटाई शुरू कर दी। हम छह-सात सांसद मिलकर उसे पीट रहे थे। इतने में उसने अपने जूते से कुछ निकाला। चिंगारी सी निकली और गैस-गैस, धुआं-धुआं हो गया। सभी मुंह को रुमाल से ढ़ककर भागने लगे। तब तक सिक्योरिटी वाले भी आ गए।”
सांसद बताते हैं कि जब संदिग्ध सदन में कूदे थे, उस वक्त वहां एक महिला सुरक्षाकर्मी थी। वह महिला बुरी तरह रो रही थी। उसकी बेहोशी जैसी हालत हो गई थी।
क्या संदिग्ध कुछ कह रहे थे? सांसद इस सवाल के जवाब में कहते हैं, वह कुछ तानाशाही-तानाशाही चिल्ला रहे थे। लेकिन उस वक्त तो हमारे दिमाग में यह था कि आज कैसे बचेंगे। या इन्हें मारे या कैसे बचें। हम उन्हें पकड़ने में लगे थे ताकि कोई हथियार वगैरा न चला पाएं।
बता दें, संसद के अंदर कलर स्मोक छोड़ने वाले दो लोगों के साथ-साथ, संसद के बाहर धुआं उड़ाकर प्रदर्शन करने वालों को भी पुलिस ने पकड़ लिया है। बाहर से गिरफ्तार दो प्रदर्शनकारियों में एक महिला भी है, जिसने अपना नाम नीलम बताया है।
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घटना के बाद भी चला सदन
गैलरी में कूदने की घटना के कुछ घंटों बाद सदन की कार्यवाही दोबारा शुरू की गई। सदन का संचालन करते हुए स्पीकर ओम बिड़ला ने कहा, “कितनी भी विपरीत परिस्थिति हो, उसके बाद भी सदन चले, ये हम सबकी ज़िम्मेदारी है। उस घटना के बाद भी सदन चला था, कोई सदनों को रोक नहीं सकता।” ओम बिरला ने बताया कि शून्यकाल में हुई घटना की जांच लोकसभा अपने स्तर पर कर रही है। दिल्ली पुलिस को भी आवश्यक निर्देश दे दिया गया है।
धुआं कैसा था, इसे लेकर भी स्पीकर ने जानकारी दी है। उन्होंने बताया, “जो हम सबकी चिंता थी कि वो धुआं क्या था, प्रारंभिक जांच में जानकारी हुई है कि वो साधारण धुआं था, सनसनी फैलाने वाला धुआं था इसलिए चिंता करने की ज़रूरत नहीं है।
याद आया 2001 का हमला
घटना के दौरान तृणमूल कांग्रेस के सांसद सुदीप बंदोपाध्याय भी सदन में मौजूद थे। उन्होंने बाहर आकर मीडिया को बताया, “अचानक से पीले रंग का धुआं उठने लगा। हम सब घबरा गए। हमें लगा कि कोई ब्लास्ट होने वाला है या ये लोग किसी को शूट करने वाले हैं। हमें ये नहीं भूलना चाहिए कि आज के ही दिन साल 2001 में संसद में धमाका हुआ था। ये सुरक्षा में बड़ी चूक है, आखिर वो संसद में घुसे? ये जवान लोग थे।”
आज से ठीक 22 साल पहले 13 दिसंबर, 2001 को पुराने संसद भवन पर आतंकवादी हमला हुआ था। पांच आतंकवादी सुबह लगभग 11:40 बजे कार पर गृह मंत्रालय का जाली स्टिकर लगाकर संसद भवन परिसर में घुस गए थे। संदेह होने पर जब संसद के कर्मचारियों ने उन्हें गाड़ी घुमाने को कहा गया तो उन्होंने गोलीबारी शुरू कर दी। उस घटना में नौ भारतीयों की जान चली गई थी। पाकिस्तान से आए पांचों आतंकवादी मार गिराए गए थे। विस्तार से पढ़ने के लिए फोटो पर क्लिक करें-
