संसद में इन दिनों मानसून सत्र चल रहा है। इस बीच बुधवार को लोकसभा में कुछ हंसी-मज़ाक के पल देखने को मिले जब स्पीकर ओम बिरला ने पहली बार सांसद बने कांग्रेस के उम्मेद राम बेनीवाल के तीसरी बार बोलने पर चुटकी ली। इस दौरान बिरला ने यह भी कहा कि वह गलत तो बोलते ही नहीं हैं। दूसरी ओर राज्यसभा में सभापति जगदीप धनखड़ आरएसएस की तारीफ में खुल कर बोले।
दरअसल, रेलवे के लिए अनुदान की मांग पर बहस के दौरान लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने मज़ाक करते हुए कहा कि कि राजस्थान के बाड़मेर से पहली बार सांसद बने कांग्रेस के उम्मेद राम बेनीवाल तीसरी बार बोल रहे हैं। बिरला ने कहा कि ऐसा पहली बार हुआ होगा क्योंकि कुछ सदस्यों को पांच साल में भी बोलने का मौका नहीं मिलता है। इस बात पर सदन में किसी ने टिप्पणी की कि अध्यक्ष सही कह रहे हैं, जिस पर बिरला ने मुस्कुराते हुए कहा, “गलत तो बोलता नहीं हूं मैं।”
दूसरी ओर राज्यसभा में सभापति जगदीप धनखड़ ने बुधवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) पर समाजवादी पार्टी के विधायक रामजी सुमन की टिप्पणी पर नाराजगी जताई।
आरएसएस देश की सेवा करता है- धनखड़
आरएसएस का बचाव करते हुए धनखड़ ने कहा, ‘आरएसएस देश की सेवा करता है और इससे जुड़े लोग निस्वार्थ भाव से काम करते हैं।’ उनकी यह टिप्पणी सुमन द्वारा राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी के अध्यक्ष की नियुक्ति का मुद्दा उठाने के बाद आई। स्पीकर को संबोधित करते हुए सुमन ने कहा, “इस सरकार के लिए किसी संस्थान का नेतृत्व करने के लिए किसी व्यक्ति की क्षमता तय करने का एकमात्र मानदंड यह है कि वह आरएसएस का सदस्य है या नहीं।”

आरएसएस की तारीफ करने लगे उपराष्ट्रपति
इससे पहले कि सुमन अपना बयान पूरा कर पाते, धनखड़ ने कहा, “आरएसएस की साख बेदाग है, इसमें ऐसे लोग शामिल हैं जो निस्वार्थ भाव से देश की सेवा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। यह ध्यान देने योग्य है कि आरएसएस एक ऐसे एक संगठन के रूप में योगदान दे रहा है जो राष्ट्र कल्याण और हमारी संस्कृति के लिए काम करते हैं। वास्तव में, इस तरह से काम करने वाले किसी भी संगठन पर हर किसी को गर्व होना चाहिए।”
सभापति ने आगे कहा, “माननीय सदस्यों, उससे पहले मैं आपको बता दूं कि अगर हम इस तरह के अपवाद लेते हैं तो यह अलोकतांत्रिक स्थिति है और हमारे संविधान की प्रस्तावना के विपरीत है। हम इस तरह का विभाजनकारी रुख अपनाकर देश और संविधान का बहुत बड़ा नुकसान कर रहे हैं।”

राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने धनखड़ की टिप्पणियों पर आपत्ति जताई और कहा कि सभापति तब तक आपत्ति नहीं कर सकते जब तक कि सदस्य सदन के नियमों का उल्लंघन नहीं करता। जिस पर उपराष्ट्रपति धनखड़ ने जवाब देते हुए कहा कि उल्लंघन होने पर वह टोक सकते हैं लेकिन यहां सदस्य भारत के संविधान को रौंद रहे हैं। यह संविधान का उल्लंघन है। उपराष्ट्रपति ने कहा कि आरएसएस को इस राष्ट्र की विकास यात्रा में भाग लेने का पूरा संवैधानिक अधिकार है।
वित्त मंत्री को रोक बीच में ही बोलने लगे जगदीप धनखड़
इस बीच राज्यसभा में बजट पर चर्चा के दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण कर्नाटक और हिमाचल प्रदेश में न्यूनतम मजदूरी पर बयान दे रही थीं जब अचानक सभापति जगदीप धनखड़ ने उन्हें रुकने के लिए कहा। उन्होंने विपक्ष के नेता (मल्लिकार्जुन खड़गे) और सदन के नेता (जेपी नड्डा) के राज्यों का मुद्दा उठाने पर वित्त मंत्री की निष्पक्षता की सराहना की। धनखड़ ने आगे कहा कि ऐसे समय में सभापति बनना उनके लिए सौभाग्य की बात है जब सदन में देश की दो प्रमुख पार्टियों के अध्यक्ष सदस्य हैं।