भारत ने जलवायु कार्रवाई के लिए निधि की कमी दूर करने की सीओपी30 से अपील की, पेरिस समझौते को अपनाये जाने के इस साल 10 वर्ष पूरे हो रहे हैं। ‘ग्लोबल स्टॉक टेक’, पेरिस समझौता 2015 के तहत समय-समय पर की जाने वाली समीक्षा है जो वैश्विक तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने की दिशा में विश्व की सामूहिक प्रगति का आकलन करती है। हर पांच साल में आयोजित होने वाली यह समीक्षा बैठक, शमन, अनुकूलन और वित्त पोषण पर देशों की कार्रवाइयों की समीक्षा करती है तथा उन्हें भविष्य में अपनी जलवायु प्रतिबद्धताओं को मजबूत करने के लिए मार्गदर्शन प्रदान करती है।

भारत ने कहा है कि ब्राजील के बेलेम में आयोजित होने वाले संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन में विकासशील देशों को खुद को जलवायु परिवर्तन के अनुकूल ढालने तथा ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन पर अंकुश लगाने के लिए आवश्यक संसाधनों की गंभीर कमी से निपटने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने सोमवार को ब्रासीलिया में संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन के लिए प्रारंभिक वार्ता (प्री-सीओपी 30) बैठक के दौरान ‘ग्लोबल स्टाक टेक’ सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि बिना कार्रवाई के लगातार समीक्षा करने का समय बीत चुका है। उन्होंने कहा, ‘बातचीत जरूरी है, लेकिन कार्रवाई भी जरूरी है।’

पेरिस समझौता 2015 के तहत समय-समय पर की जाने वाली समीक्षा है

‘प्री-सीओपी’ जलवायु परिवर्तन पर ‘संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन’ (यूएनएफसीसी) का औपचारिक कार्यक्रम नहीं हैं, बल्कि इसके तहत बैठक के मेजबान देश में जलवायु से जुड़े राजनीतिक प्रश्नों की एक छोटी सूची पर मंत्री स्तर पर ध्यान केंद्रित किया जाता है, नहीं तो इनका हल करने में वार्ताकारों को हफ्तों लग सकते हैं। पेरिस समझौते को अपनाये जाने के इस साल 10 वर्ष पूरे हो रहे हैं। यादव ने कहा, ‘हमें अब महत्वाकांक्षी जलवायु उपायों को लागू करने पर ध्यान केंद्रित करना होगा और सबसे बड़ी चुनौती- विकासशील देशों के पास अनुकूलन और शमन के लिए संसाधनों की तत्काल कमी- का समाधान करना होगा।’

‘ग्लोबल स्टॉक टेक’, पेरिस समझौता 2015 के तहत समय-समय पर की जाने वाली समीक्षा है जो वैश्विक तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने की दिशा में विश्व की सामूहिक प्रगति का आकलन करती है। हर पांच साल में आयोजित होने वाली यह समीक्षा बैठक, शमन, अनुकूलन और वित्त पोषण पर देशों की कार्रवाइयों की समीक्षा करती है तथा उन्हें भविष्य में अपनी जलवायु प्रतिबद्धताओं को मजबूत करने के लिए मार्गदर्शन प्रदान करती है।

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यादव ने प्रस्ताव किया कि वैज्ञानिक आकलनों को उनकी वैश्विक प्रासंगिकता पर उचित चर्चा किए बिना शामिल करने में कोई जल्दबाजी नहीं होनी चाहिए। यादव ने ‘प्री-सीओपी’ बैठकों से इतर, संयुक्त राष्ट्र जलवायु प्रमुख साइमन स्टील, सीओपी 30 के लिए नामित अध्यक्ष आंद्रो कोरिया डी लागो तथा जलवायु कार्रवाई के लिए यूरोपीय संघ के आयुक्त वोपके होएकस्ट्रा से मुलाकात की। यादव ने कहा कि स्टील के साथ उनकी चर्चा वैश्विक जलवायु कार्रवाई को बढ़ाने के लिए बहुपक्षीय सहयोग को मजबूत करने पर केंद्रित थी। उन्होंने कहा कि लागो के साथ उनकी बैठक पेरिस समझौते के कार्यान्वयन पर ठोस परिणाम प्राप्त करने के लिए जलवायु सहयोग, ऊर्जा सुरक्षा और अनुकूलन उपायों को मजबूत करने पर केंद्रित थी।

यादव ने सामूहिक और समावेशी जलवायु कार्रवाई के माध्यम से सीओपी30 को सफल बनाने के लिए भारत के पूर्ण समर्थन की पुष्टि की। होएकस्ट्रा के साथ बैठक में, दोनों नेताओं ने भारत-यूरोपीय संघ जलवायु साझेदारी को आगे बढ़ाने तथा ऊर्जा सुरक्षा बढ़ाने के तरीकों पर चर्चा की।
यादव ने कहा कि उन्होंने सतत विकास के लिए जलवायु वित्त, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और सहकारी समाधानों के महत्व को भी रेखांकित किया। दो दिवसीय ‘प्री-सीओपी’ पर्यावरण एवं जलवायु मंत्रियों, वरिष्ठ वार्ताकारों और पर्यवेक्षकों को राजनीतिक रूप से संवेदनशील विषयों पर मतभेदों को कम करने और बेलेम में संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन (सीओपी) से पहले मंत्रिस्तरीय आम सहमति बनाने के लिए एक साथ लाता है।