साल 2018 से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने परीक्षा पे चर्चा कार्यक्रम की शुरुआत की थी। इस कार्यक्रम के जरिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश भर के छात्रों, अभिभावकों और शिक्षकों से बातचीत करते हैं। इन कार्यक्रमों में वर्चुअली हजारों लोग जुड़ते हैं।
परीक्षा पे चर्चा कार्यक्रम का सरकार से जुड़ी तमाम वेबसाइटों, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह सहित सरकार के तमाम मंत्रियों, भाजपा सांसदों और मुख्यमंत्रियों के सोशल मीडिया हैंडल्स पर जमकर प्रचार किया गया था।
सभी ने इस कार्यक्रम की तारीफों के पुल बांधे थे और कहा था कि यह अपने आप में एक अनूठा कदम है और इससे छात्रों के साथ ही अभिभावकों और शिक्षकों को भी बड़े पैमाने में मदद मिलेगी।
पिछले कुछ सालों में जब-जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी परीक्षा पे चर्चा कार्यक्रम के तहत बच्चों, अभिभावकों और शिक्षकों से रूबरू हुए हैं तो इसमें उन्होंने बोर्ड की परीक्षाओं में किस तरह तनाव से लड़ते हुए अच्छे मार्क्स लाने और खुद को मोटिवेट करने के बारे में टिप्स दिए हैं।

परीक्षा पे चर्चा कार्यक्रम को शुरू करने का मकसद यह बताया गया था कि इससे छात्रों को परीक्षा से पहले होने वाले मानसिक तनाव से लड़ने में मदद मिलेगी लेकिन जो आंकड़े सामने आए हैं वह दूसरी तस्वीर पेश करते हैं।
आंकड़ों के मुताबिक, पिछले छह सालों में छात्रों की खुदकुशी के मामले हर साल बढ़ते रहे हैं।
175% बढ़ गया खर्च
इसके अलावा आरटीआई से मिली जानकारी के मुताबिक, पिछले 6 सालों में परीक्षा पे चर्चा कार्यक्रम पर खर्च होने वाली रकम लगभग 175% बढ़ गई है। अब तक इस कार्यक्रम पर 40 करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च हो चुके हैं। एक्टिविस्ट कन्हैया कुमार के द्वारा परीक्षा पे चर्चा कार्यक्रम के संबंध में मांगी गई जानकारी से पता चला है कि हर साल इस कार्यक्रम पर आने वाला खर्च बढ़ता गया है।
साल | छात्रों के द्वारा की गई खुदकुशी | कार्यक्रम पर हुआ खर्च |
2017 | 9,905 | – |
2018 | 10,159 | 3.67 |
2019 | 10,335 | 4.93 |
2020 | 12,526 | 5.69 |
2021 | 13,089 | 6.0 |
2022 | – | 8.61 |
2023 | – | 10.04 |
आरटीआई के तहत 2024 में परीक्षा पे चर्चा कार्यक्रम में कितना खर्च हुआ, इसकी जानकारी भी मांगी गई थी लेकिन केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के तहत आने वाले स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग ने जवाब दिया कि यह कार्यक्रम अभी तक संपन्न नहीं हुआ है। जबकि पीएम नरेंद्र मोदी ने 29 जनवरी, 2024 को सातवें संस्करण में ‘एग्जाम वॉरियर्स’ से परीक्षा पे चर्चा कार्यक्रम में बातचीत की थी।
इससे पिछला परीक्षा पे चर्चा कार्यक्रम 27 जनवरी, 2023 को दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में हुआ था। तब इस आयोजन के लिए कम से कम 38 लाख छात्रों ने पंजीकरण कराया था, जो पिछले वर्ष की तुलना में 15 लाख अधिक था।

इवेंट मैनेजमेंट पर 3.12 करोड़ रुपये खर्च
आरटीआई से मिली जानकारी के मुताबिक, 2021 में जब इस कार्यक्रम पर 6 करोड़ रुपए खर्च हुए थे, उसमें से इवेंट मैनेजमेंट पर 3.12 करोड़ रुपये खर्च किए गए। इसमें से 36 फिल्मों को बनाने में 2.18 करोड़ रुपये, प्रोडक्शन पर 1.9 करोड़ रुपये, विज्ञापन पर 66 लाख, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग पर 10.5 लाख रुपये खर्च किए गए। पुस्तकों की खरीद के लिए 3.5 लाख रुपये और एसएमएस भेजने के लिए 2.45 लाख रुपये खर्च हुए।
इसी तरह 2022 में जब कुल खर्च 8.61 करोड़ रुपये था तो सोशल मीडिया प्रचार पर 14.5 लाख रुपये खर्च किए गए थे।
भारत सरकार की आधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक परीक्षा पे चर्चा कार्यक्रम में भाग लेने के लिए छात्र, माता-पिता या शिक्षक innovateindia.mygov.in पर जाकर रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं।

‘पेपर लीक पर चर्चा’ करें पीएम मोदी
परीक्षा पे चर्चा कार्यक्रमों पर हो रहे खर्च को लेकर कन्हैया कुमार ने कहा कि ऐसे आयोजनों पर हर साल करोड़ों रुपये खर्च किए जा रहे हैं, जबकि इन्ही छात्रों का भविष्य और कड़ी मेहनत पेपर लीक और परीक्षाओं में गड़बड़ियों के कारण दांव पर है। उन्होंने कहा है कि पीएम मोदी परीक्षा पर चर्चा के बजाय ‘पेपर लीक पर चर्चा’ करें।
इस खबर के सामने आने के बाद टीएमसी के राज्यसभा सांसद और पूर्व नौकरशाह जवाहर सिरकार ने ट्वीट कर कहा है कि प्रधानमंत्री ने परीक्षा पे चर्चा स्टंट आयोजित करने के लिए 2018 से 2023 तक 39.30 करोड़ रुपए खर्च किए। लेकिन फिर भी, प्रधानमंत्री नेट (प्रोफेसरों) और एनईईटी (मेडिकल उम्मीदवारों) के लिए परीक्षा आयोजित करने में विफल रहे हैं और दोनों में घोटाले हुए हैं।
इन दिनों जब नीट की परीक्षा पेपर लीक होने को लेकर देश भर में छात्र आंदोलन कर रहे हैं और इसे लेकर केंद्र सरकार विपक्षी दलों के निशाने पर है। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने ट्वीट कर कहा है कि प्रधानमंत्री हर साल ‘परीक्षा पे चर्चा’ नाम से एक भव्य तमाशा करते हैं। मगर, उनकी सरकार लीक और फ्रॉड के बिना कोई परीक्षा आयोजित नहीं कर सकती।
इसके अलावा 2018 से 2023 तक आईआईटी में पिछले पांच सालों में 33 छात्रों ने खुदकुशी की है। यह जानकारी बीते साल तत्कालीन शिक्षा राज्य मंत्री सुभाष सरकार ने संसद में दी थी।
साल | आईआईटी | एनआईटी | आईआईएम |
2018 | 7 | 3 | 1 |
2019 | 8 | 8 | 0 |
2020 | 3 | 1 | 1 |
2021 | 4 | 2 | 1 |
2022 | 8 | 7 | 1 |
2023 | 3 | 3 | 0 |