Pakistani Sharma family Bengaluru: बेंगलुरु पुलिस की गिरफ्त में आए ‘शर्मा परिवार’ को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है। ‘शर्मा परिवार’ को लेकर कई सवाल लोगों के मन में है। जैसे- आखिर यह परिवार पाकिस्तान से भागकर भारत क्यों आया?, मेहदी फाउंडेशन इंटरनेशनल क्या है और ‘शर्मा परिवार’ इससे कैसे जुड़ा है।

‘शर्मा परिवार’ के चार लोगों के नाम राशिद अली सिद्दीकी (48), उसकी पत्नी आयशा (38), पिता हनीफ मोहम्मद (73) और मां रुबीना (61) हैं। ये सभी लोग 2014 से अवैध रूप से राजपुरा गांव में रह रहे थे। ये लोग ‘शंकर शर्मा’, ‘आशा रानी’, ‘राम बाबू शर्मा’ और ‘रानी शर्मा’ के नाम से रह रहे थे और इन्होंने नकली पासपोर्ट और आधार कार्ड बनवा रखे थे। राशिद अली सिद्दीकी एक ऑनलाइन फूड आउटलेट चला रहा था और गैरेज को इंजन ऑयल भी सप्लाई करता था।

पाकिस्तान में क्यों हुआ मुस्लिम परिवार का धार्मिक उत्पीड़न?

इन चारों ने बेंगलुरु पुलिस को बताया है कि वे सभी लोग मेहदी फाउंडेशन इंटरनेशनल (एमएफआई) से जुड़े हैं और इस वजह से उन्हें पड़ोसी मुल्क में उत्पीड़न का सामना करना पड़ा। इसलिए इस बारे में बात करना और समझना जरूरी होगा कि एमफआई क्या है। यह निश्चित रूप से हैरान करने वाली बात है कि इस्लामिक मुल्क पाकिस्तान में एक मुस्लिम परिवार को धार्मिक उत्पीड़न का सामना क्यों करना पड़ा?

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रियाज गौहर शाही कौन हैं?

मेहदी फाउंडेशन इंटरनेशनल को मसीहा फाउंडेशन के नाम से भी जाना जाता है। 1970 में यह फाउंडेशन पाकिस्तान में शुरू हुई थी और शुरुआत में इसका नाम रियाज गौहर शाही इंटरनेशनल था। इसके संस्थापक रियाज अहमद गौहर शाही थे और उनकी पाकिस्तान में एक आध्यात्मिक नेता के रूप में पहचान थी। 2002 में रियाज गौहर शाही इंटरनेशनल को मेहदी फाउंडेशन इंटरनेशनल का नाम दे दिया गया। एमएफआई कहता है कि वह शांति, सद्भाव और मानवता की बात करता है।

एमएफआई इस बात का दावा करता है कि उसके समर्थक कई एशियाई देशों के साथ ही यूरोप और अमेरिका में भी हैं।

पाकिस्तानी नागरिक और एमएफआई के अध्यक्ष अमजद गौहर ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि जब परवेज मुशर्रफ पाकिस्तान के राष्ट्रपति बने तो उनके संगठन के सदस्यों पर सैकड़ों मुकदमे दर्ज करा दिए गए और कई लोगों की हत्या भी कर दी गई।

ईशनिंदा के मुकदमे, जेल और हत्याएं

अमजद का कहना है कि पाकिस्तान के इस्लामी मौलवियों को गौहर शाही के विचारों से परेशानी थी। एमएफआई का मानना है कि ईश्वर की नजर में सभी लोग बराबर हैं लेकिन मौलवी इसके खिलाफ हैं। अमजद कहते हैं कि जब भी उन्होंने इस्लाम के बारे में सवाल उठाने की कोशिश की तो पाकिस्तान में इसे अपराध माना गया। अमजद के खिलाफ ही पाकिस्तान में एक दर्जन से ज्यादा मुकदमे दर्ज कर दिए गए। एमएफआई से जुड़े कई लोगों को ईशनिंदा के मामलों में दोषी करार दिया गया है, जहां उन्हें 99 साल की जेल और मौत की सजा भी मिली है।

एमएफआई के सदस्यों पर ईशनिंदा के मुकदमे भी दर्ज हुए। पाकिस्तान की सरकार ने गौहर शाही के द्वारा लिखी गई किताबों पर बैन लगा दिया और एमएफआई को आतंकवाद निरोधी कानून के तहत अवैध संगठन घोषित कर दिया।

अमजद ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि उनके खिलाफ पाकिस्तान में एक दर्जन से ज्यादा मुकदमे दर्ज हैं और अब वह कभी उस देश में नहीं लौटेंगे।

मुसलमानों को गुमराह करने का है आरोप

गौहर शाही और मेहदी फाउंडेशन पर आरोप है कि वे लोग ऐसी शिक्षाएं दे रहे हैं जो इस्लाम के खिलाफ हैं। उन पर यह भी आरोप है कि वे मुसलमानों को गुमराह कर रहे हैं और इस्लामिक सिद्धांतों का अपमान कर रहे हैं।

गौहर शाही को बताया काफिर

हालात यहां तक खराब हैं कि गौहर शाही के खिलाफ उन्हें काफिर बताने वाले फतवे तक जारी कर दिए गए। 2000 के मध्य में एमएफआई के पांच सदस्यों को पाकिस्तान में नग्न अवस्था में परेड करके घुमाया गया और कई लोगों की हत्याएं हुई। मौजूदा वक्त में एमएफआई पाकिस्तान में सक्रिय नहीं है। वहां की सरकार ने इसके इंस्टाग्राम अकाउंट पर भी बैन लगा दिया है।

भारत ने एमएफआई के सदस्यों के साथ कैसा व्यवहार किया?

पाकिस्तान में हो रहे धार्मिक उत्पीड़न और जुल्म के बाद इस संगठन के कई सदस्य बांग्लादेश और भारत जाने को मजबूर हो गए। साल 2007 में एमएफआई से जुड़े 63 पाकिस्तानियों को भारत ने टूरिस्ट वीजा दिया और जब वे इसके जरिये दिल्ली पहुंचे तो उन्होंने पाकिस्तानी दूतावास के सामने विरोध प्रदर्शन किया और अपने पाकिस्तानी पासपोर्ट और वीजा को जला दिया।

क्योंकि वे भारत में अवैध रूप से रह रहे थे इसलिए उन्हें गिरफ्तार भी किया गया लेकिन 2011 में सरकार ने उन्हें शरणार्थी का दर्जा दिया और कनाडा, अमेरिका और यूरोप भेज दिया।