ओडिशा में मतदान के दौरान दौरान EVM में तोड़फोड़ के आरोप में पुलिस ने बीजेपी के ज‍िस व‍िधायक और प्रत्‍याशी को गिरफ्तार क‍िया है, उनका व‍िवादों से पुराना नाता रहा है। दरअसल, खुर्दा विधानसभा से बीजेपी प्रत्याशी प्रशांत जगदेव वोट देने के लिए बेगुनिया विधानसभा क्षेत्र के बोलागाड़ ब्लॉक के बूथ पर वोट देने गए थे। इसी दौरान EVM में कुछ खराबी आ गई थी जिस वजह से उन्हें काफी देर इंतजार करना पड़ा था।

प्रशांत जगदेव की बूथ पर मौजूद पीठासीन अधिकारी के साथ बहस हो गई। आरोप है कि इस दौरान प्रशांत ने मेज पर रखी EVM को खींच दिया जिसकी वजह से EVM टूट गयी। कोर्ट ने प्रशांत जगदेव को न्यायिक हिरासत में भेज दिया है और वह फिलहाल खुर्दा जेल में बंद है।

पीठासीन अधिकारी ने प्रशांत पर मतदान प्रक्रिया में बाधा डालने और मतदान कर्मियों से दुर्व्यवहार करने का आरोप लगाया। जगदेव पर लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम के अलावा IPC की विभिन्न धाराओं के तहत FIR दर्ज की गई है।

बीजेपी उम्मीदवार ने किया आरोपों से इनकार

हालांकि, बीजेपी उम्मीदवार ने अपने ऊपर लगे आरोपों से इनकार किया और थाने में ही धरने पर बैठ गए। उन्होंने दावा किया कि गलती से जमीन पर गिरने से ईवीएम क्षतिग्रस्त हो गई। जगदेव ने खुद को फंसाये जाने का आरोप लगाते हुए मतदान केंद्र के अंदर लगे सीसीटीवी फुटेज की जांच करने की मांग की है।

BJP की तरफ से कहा गया कि प्रशांत जगदेव पर लगे आरोप राजनीति से प्रेरित हैं। पार्टी ने आरोप लगाया कि पीठासीन अधिकारी ने कई मतदाताओं के साथ दुर्व्यवहार किया और विधायक के साथ भी ऐसा ही किया। वहीं, BJD ने भी मुख्य निर्वाचन अधिकारी के पास शिकायत दर्ज कर प्रशांत जगदेव के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है। BJD प्रवक्ता सस्मित पात्रा ने आरोप लगाया कि बीजेपी उम्मीदवार ने बूथ पर मतदान कर्मियों पर हमला किया और फिर भुवनेश्वर की सांसद अपराजिता सारंगी की गाड़ी में भाग गए।

कौन हैं प्रशांत जगदेव?

प्रशांत जगदेव वर्तमान में चिल्का विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं। उन्होंने 2019 में बीजेडी के टिकट पर जीत हासिल की, लेकिन पार्टी ने उन्हें सितंबर 2021 में एक बीजेपी कार्यकर्ता को सार्वजनिक रूप से पीटने के आरोप में निलंबित कर दिया था। जिसके बाद उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया गया था। हालांकि, फरवरी 2024 में प्रशांत ने बीजेपी जॉइन कर ली थी।

विवादों से प्रशांत का नाता नया नहीं है। विधायक के रूप में अपने पहले कार्यकाल के दौरान, प्रशांत तब सुर्खियों में आए थे जब बौध जिले में बीजेडी नेताओं को काले झंडे दिखाने के लिए बीजेपी कार्यकर्ताओं की पिटाई करने का उनका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था।

भीड़ पर चढ़ा दी थी एसयूवी

मार्च 2022 में प्रशांत जगदेव ने ओडिशा के खुर्दा जिले में एक ब्लॉक विकास कार्यालय के बाहर अपनी एसयूवी को भीड़ पर चढ़ा दिया था, जिसमें ज्यादातर भाजपा कार्यकर्ता शामिल थे। इस घटना में सात पुलिस कर्मियों सहित 22 लोग घायल हो गए। गुस्साई भीड़ ने जगदेव को खींचकर उन्हें मारा था और उनकी कार में भी तोड़फोड़ की थी। इस मामले में प्रशांत को गिरफ्तार भी किया गया था।

प्रशांत जगदेव के खिलाफ 10 आपराधिक मामले दर्ज

चुनाव आयोग में दायर उनके हलफनामे के अनुसार, 2019 तक प्रशांत जगदेव के खिलाफ 10 आपराधिक मामले दर्ज थे। हालांकि, उन्हें किसी भी मामले में दोषी नहीं ठहराया गया था। उनके हलफनामे में कहा गया है कि इन मामलों में सभी आरोप पत्रों से उनका नाम भी हटा दिया गया था। प्रशांत पर पहली बार 1992 में मामला दर्ज किया गया था। शेष 9 आपराधिक मामलों में से एक-एक मामले 1992, 2014, 2017 और 2019 में दर्ज किए गए थे, वहीं 4 मामले 2016 में और 2 2018 में दर्ज किए गए थे।

नवंबर 2016 में, एक महिला तहसीलदार ने उन पर आरोप लगाया था कि जब वह एक सरकारी जमीन को अतिक्रमण से मुक्त कराने की कोशिश कर रही थीं, तो हंगामे के बीच प्रशांत ने उन पर केरोसिन लालटेन फेंक दिया था। जनवरी 2019 में, बेगुनिया के एक पूर्व सरपंच ने धमकी देने के लिए जगदेव के खिलाफ एफ़आईआर दर्ज की थी। अगस्त 2020 में, एक जूनियर इंजीनियर ने गेस्ट हाउस बुकिंग को लेकर उनके साथ दुर्व्यवहार करने के लिए प्रशांत के खिलाफ चिल्का डेवलपमेंट अथॉरिटी (सीडीए) में शिकायत दर्ज कराई थी।

कॉलेज के दिनों से ही राजनीति में सक्रिय रहे हैं प्रशांत

समाज सेवा को अपना पेशा बताने वाले प्रशांत जगदेव अपने कॉलेज के दिनों से ही राजनीति में सक्रिय रहे हैं। सीपीआई (एम) की छात्र शाखा, स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) के सदस्य के रूप में शुरुआत करने के बाद, वह कुछ समय के लिए जनता दल से जुड़े थे। जिसके बाद उन्होंने खुद को सक्रिय राजनीति से अलग कर लिया था, 2014 विधानसभा चुनाव से पहले बीजेडी में शामिल होने के लिए वह राजनीति में वापस लौटे, जहां वह बेगुनिया निर्वाचन क्षेत्र से चुने गए।

ओडिशा विधानसभा चुनाव 2019

2019 के विधानसभा चुनावों में भाजपा ने 23 सीटें हासिल कीं थीं, वहीं बीजद को 112 सीटें मिली थीं। कांग्रेस 9 सीटों के साथ तीसरे स्थान पर रही थी। खुर्दा जिले के अंतर्गत आने वाली चिल्का सीट से बीजेडी के प्रशांत जगदेव ने बीजेपी के पृथ्वीराज हरिचन्द्रन को हराया था। प्रशांत को 80,133 और पृथ्वीराज को 69,277 वोट मिले थे। प्रशांत ने लगभग 10,856 वोटों से जीत हासिल की थी।

वहीं, 2014 के विधानसभा चुनाव की बात की जाये तो ओडिशा की 147 विधानसभा सीटों में से बीजेडी को 117, कांग्रेस को 16 और बीजेपी को 10 सीटें मिली थीं।

ओडिशा विधानसभा चुनाव में बीजेपी-बीजेडी का क्षेत्रवार सीट शेयर प्रतिशत

क्षेत्रचुनावी वर्षबीजेडीबीजेपीकांग्रेस
सेंट्रल200977.33.010.6
201484.81.512.1
201977.316.74.5
तटीय200983.708.2
201487.84.16.1
201985.710.24.1
पश्चिम200934.412.550.0
201456.321.915.6
201962.521.912.5

कितना उलझा है ओडिशा का चुनावी गणित?

2014 के चुनाव में बीजेपी ओडिशा में कोई कमाल नहीं दिखा सकी लेकिन 2019 में बीजेपी ने बाजी पलट दी। 2019 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी और बीजेडी के बीच वोट शेयर और सीट शेयर का अंतर काफी हद तक कम हुआ। 2019 के लोकसभा चुनावों में ओडिशा में बीजेडी को 12, कांग्रेस को 1 और बीजेपी को 8 सीटें मिली थीं।