Noida Twin Towers Demolition: उत्तर प्रदेश के नोएडा सेक्टर-93 A स्थित ट्विन टावर को गिराने की तैयारियां अंतिम चरण में हैं। सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार टावर को 28 अगस्त को ब्लास्ट करा कर ध्वस्त कर दिया जाएगा। 32 मंजिला इस इमारत को विस्फोटक से उड़ाया जाएगा। ब्लास्ट वाले दिन आस-पास के अपार्टमेंट को खाली करा लिया जाएगा, जिसकी सूचना पहले ही रेजिडेंट्स को दी जा चुकी है। 500 मीटर के दायरे के किसी भी फ्लैट में कोई नहीं रह सकता। सुबह 6 बजे तक इलाका खाली करा लिया जाएगा। इसके बाद बिजली, गैस, पानी का कनेक्शन भी बंद कर दिया जाएगा।
लोग अभी से शहर में किसी सगे-संबंधी के यहां या गेस्ट हाउस, होटल आदि में शिफ्ट होने लगे हैं या इसकी तैयारी कर चुके हैं। कुछ लोग शहर से बाहर भी जाने की तैयारी में हैं। ब्लास्ट के बाद एजेंसी आस-पास के सभी इमारतों की जांच करेगी, उसके बाद ही शाम 6 बजे तक लोगों को उनके घर जाने दिया जाएगा।
डॉक्टर, एम्बुलेंस और अस्पताल में बेड रिजर्व
लोगों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए नजदीकी अस्पतालों में पहले ही बेड बुक कर लिया गया है। मौके पर 6 डॉक्टरों की टीम और 6 एम्बुलेंस भी तैनात रहेंगे। बताया जा रहा है कि ध्वस्तीकरण के दौरान धूल के गुबार 150 मीटर की ऊचाई तक उठ सकते हैं, जिससे लोगों को स्वास्थ्य संबंधी समस्या आ सकती है।
नोएडा एक्सप्रेसवे रहेगा बंद
28 अगस्त की दोपहर 2:15 से लेकर 2:45 तक नोएडा एक्सप्रेसवे बंद रहेगा। महामाया फ्लाईओवर से रूट डायवर्ट कर दिया जाएगा। इतना ही नहीं टावर के एक किलोमीटर के दायरे में किसी को जाने की अनुमति नहीं होगी। सिर्फ मीडिया से जुड़े लोग कवरेज के लिए तय दूरी तक जा सकेंगे।
कैसे ध्वस्त किया जाएगा?
ध्वस्तीकरण का काम एडिफिस और साउथ अफ्रीका की जेट कंपनी देख रही हैं। इमारत को गिराने के लिए कुल 9640 होल किए गए हैं, जिनमें 3,700 किलो विस्फोटक लगाया गया है। दावा है कि 32 मंजिला ट्विन टावर 12 सेकंड में धराशाई हो जाएगा। इसके लिए तैयारी पूरी की जा चुकी है। एडिफिस ने टावर के आसपास बने घरों को आर्थिक नुकसान से बचाने के लिए 100 करोड़ रुपये का बीमा कराया है। अगर ध्वस्तीकरण के दौरान किसी घर को नुकसान होता है तो इस बीमा के जरिए उसकी भरपाई की जा सकेगी।
ट्विन टावर को गिराने का खर्च?
अनुमान है कि ट्विन टावर (Noida Twin Towers News) को गिराने में करीब 17.55 करोड़ रुपए का खर्च आएगा। यह खर्च ट्विन टावर को बनाने वाले सुपरटेक को ही उठाना है। टावरों को गिराने से करीब 4 हजार किलो एमिशन निकलेगा। साथ ही ध्वस्तीकरण से बहुत धूल भी फैलेगे जिससे अस्थमा और दमा के मरीजों की मुश्किल बढ़ सकती है।
13 करोड़ का मलबा
ट्विन टावर को गिराने वाली कंपनी का अंदाजा है कि ध्वस्तीकरण से 3 हजार ट्रक मलवा निकलेगा, जिसकी कीमत 13 करोड़ रुपये होगी। मलबे को साफ करने में करीब 3 महीने का समय लगेगा। मलबे से लगभग 4 हजार टन स्टील निकलने का अनुमान है।
क्या है पूरी कहानी
ट्विन टावर का विवाद कई साल पुराना है। इसमें अब तक कई नाटकीय मोड़ आ चुके हैं। पहले भी कई बार टावर को ध्वस्त करने की तारीख मुकर्रर हो चुकी है लेकिन अंतिम वक्त पर किसी न किसी वजह से टल गई है। आइए जानते हैं ट्विन टावर लेकर ध्वस्तीकरण की आखिरी तारीख तय होने तक की कहानी:
किसका है ट्विन टावर?
मामला 2004 का है। 23 नवंबर को नोएडा विकास प्राधिकरण ने सुपरटेक कंपनी को नोएडा के सेक्टर-93 A में हाउसिंग सोसायटी बनाने के लिए जमीन दिया। सुपरटेक को 14 टावर और एक शॉपिंग कॉम्प्लेक्स बनाना था। सभी टावर की ऊंचाई जमीन से 9 फ्लोर तय की गई। सुपरटेक ने एमराल्ड कोर्ट (Emerald Court) नाम से हाउसिंग सोसाइटी बनाना शुरू किया। जून 2006 में प्लान में थोड़ा बदलाव हुआ और नोएडा प्राधिकरण ने अतिरिक्त जमीन देकर 11 फ्लोर के 15 टावरों में कुल 689 फ्लैट्स बनाने को कहा।
फ्लैट्स के खरीदारों को बताया गया कि सोसाइटी के ठीक सामने बेल्ट होगा। हरियाली होगी। इस वादे से फ्लैट्स की बुकिंग बढ़ गई। लेकिन इसी बीच साल 2009 में सुपरटेक ने नोएडा विकास प्राधिकरण के साथ सांठगांठ कर सोसाइटी के सामने दो विशालकाय टावर T-16 और T-17 (Apex और Ceyane) खड़ा करने लगा। इसे ही ट्विन टावर के नाम से जाना जाता है।
अदालत में कैसे पहुंचा मामला?
जिन लोगों ने ग्रीन बेल्ट को देखकर फ्लैट बुक किया था। अब उनके सामने हरियाली की जगह दो बड़े-बड़े टावर खड़े। ये एक तरह से ठगी थी। स्थानीय रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन ने पहले इसका विरोध किया। बिल्डर नहीं माने। फिर एमराल्ड कोर्ट के रहवासियों ने कानूनी लड़ाई लड़ने की ठानी। मामले पहले स्थानीय अदालत और 2012 में इलाहाबाद हाईकोर्ट पहुंचा। करीब डेढ़ साल की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने 11 अप्रैल 2014 को ट्विन टावर ध्वस्त करने का फैसला सुनाया। इस फैसले की आंच नोएडा विकास प्राधिकरण के अधिकारियों तक भी पहुंची। मजेदार बात ये है कि मामला जब हाईकोर्ट पहुंचा था तब ट्विन टावर सिर्फ 13 फ्लोर ही बना था। लेकिन सुपरटेक ने डेढ़ साल के भीतर 32 फ्लोर का निर्माण कार्य पूरा कर लिया।
हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई। सात साल की लंबी सुनवाई के बाद 31 अगस्त 2021 को उच्चतम अदालत ने भी टावर को गिराने का आदेश सुनाया। तब से लेकर अब तक अलग-अलग कारणों से ध्वस्तीकरण की तारीख टलते-टलते 28 अगस्त 2022 पहुंची है।
कितने में बना था ट्विन टावर?
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सुपरटेक ने 950 फ्लैट्स वाले ट्विन टावर को बनाने में करीब 300 करोड़ रुपये खर्च किया है। फ्लैट्स का करेंट मार्केट वैल्यू करीब 800 करोड़ रुपये है और पूरे ट्विन टावर का टोटल मार्केट वैल्यू 1000 करोड़ से ज्यादा है।
ट्विन टावर में फ्लैट खरीदने वालों का क्या होगा?
सवाल उठता है कि कोर्ट के आदेश से ट्विन टावर को गिराए जाने के बाद उसमें फ्लैट्स खरीदने वालों का क्या होगा? ट्विन टावर में 711 ग्राहकों ने फ्लैट बुक कराया था। अदालत ने अपने फैसले में खरीदारों का ध्यान रखा है। बिल्डर को दो महीने के भीतर 12 फीसदी सालाना ब्याज खरीदारों को पूरी राशि वापस करनी है। साथ ही रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन को भी दो करोड़ रुपये का भुगतान करना है।