वैचारिक स्तर पर बिहार के मुख्यमंत्री और जनता दल (यू) अध्यक्ष नीतीश कुमार लालू यादव की अपेक्षा शरद यादव के अधिक करीब रहे। हालांकि महिला आरक्षण बिल पर दोनों के बीच मतभेद हो गए थे। महिला आरक्षण बिल पर बहस के दौरान लोकसभा में शरद के वक्तव्यों से जेडीयू की बड़ी किरकिरी हुई थी।
शरद यादव ने संसद में महिला आरक्षण विधेयक का विरोध करते हुए कहा था कि यदि यह बिल पारित हो गया तो मैं ज़हर खा लूंगा। शरद ने ये भी कहा था कि इस बिल से सिर्फ परकटी औरतों को फायदा पहुंचेगा। इस विवादित वक्तव्य से पूरे देश में बड़ा हंगामा हुआ।
हाल में नीतीश कुमार के जीवन पर उनके दोस्तों के हवाले से राजकमल प्रकाशन ने एक किताब ‘नीतीश कुमार-अंतरंग दोस्तों की नजर से’ छापी है। किताब में उदय कांत ने लिखा है कि शरद यादव से पार्टी को हुए डैमेज को अंत में पटना में बैठकर नीतीश ने बड़ी मुश्किल से कंट्रोल किया था।
उदय कांत लिखते हैं, “नीतीश महिलाओं के सशक्तीकरण का शुरू से ज़ोरदार हिमायती रहा है। लेकिन संसद में महिला सशक्तीकरण बिल पर बहस के दौरान मुलायम सिंह यादव और लालू प्रसाद यादव विभिन्न बहानों की आड़ में इस बिल का विरोध कर रहे थे। नीतीश की पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव उनके ही सुर में सुर मिलाने लगे।”
बर्थडे के दिन शरद यादव को फोन पर समझाया
साल 2010 की बात है। उस वर्ष मार्च की पहली तारीख को होली पड़ी थी। इसी तारीख को नीतीश कुमार का जन्मदिन भी मनाया जाता है। 6 मार्च को सुबह नीतीश कुमार के दोस्त उनसे मिलने पटना पहुंचे थे, तब वह शरद यादव से फोन पर बात कर रहे थे।
उदय कांत लिखते हैं, “जब हम पहुंचे तो वह फोन पर शरद यादव से ही लम्बी बहस में मशगूल था। शरद को वह नई दुनिया को खुली निगाहों से देखने की सलाह दे रहा था। हवा में तैर रहे उसके कई वाक्य हमें झकझोरते रहे। उसने कहा- महिलाओं को ऑब्जेक्ट की तरह देखने की आदत तुरन्त बदल डालिए।… कई मायनों में पुरुषों से बेहतर हैं।… उन्हें यह साबित करने का बस एक मौका चाहिए।… यह नया इतिहास लिखने का समय है।… लोहिया जी के सपनों को साकार करने की यह घड़ी है।… मैं अब और इस टॉपिक पर बेमतलब की बहस करूंगा ही नहीं।… इस बिल को हमारी पार्टी हर प्रकार से समर्थन देगी! इतना कहकर उसने फ़ोन बन्द कर दिया।”
नीतीश के दोस्त के मुताबिक इस पूरी बातचीत के दौरान उन्होंने एक बार भी न तो अपनी आवाज ऊंची की और न किसी सख्त शब्द का प्रयोग किया।
महिला आरक्षण पर नीतीश कुमार की राय
नीतीश ने 13 सितम्बर, 1996 को संसद में महिलाओं के अधिकार के लिए पेश किए गए बिल पर बोलते हुए महिला आरक्षण के रूपरेखा पर भी प्रकाश डाला था। नीतीश ने कहा था, “यह आरक्षण हॉरिजेंटल होगा। वर्टिकल आरक्षण होता है, एस.सी. तथा न एस.टी. का।… उसी तरह हमारी मांग है कि पिछड़े वर्गों के लिए आप वर्टिकल आरक्षण दे दीजिए। इसके बाद हॉरिजेंटल आरक्षण महिलाओं के लिए लाइए और एक-तिहाई रिज़र्व कर दीजिए और यह होना चाहिए।… महिलाओं के हित उनको दिलाने के लिए हम कोई भी कुर्बानी देने के लिए तैयार हैं, लेकिन इसके साथ पिछड़े वर्ग की महिलाओं का भी ख़याल करें। ऐसा नहीं हो कि महिलाओं को आरक्षण मिल गया, जनरल कैटेगरी में महिलाएं आ गईं और पिछड़े वर्ग की महिलाएं पिछड़ जाएं।”
उन्होंने आगे कहा, “कल अगर एक आदमी को एक वोट का अधिकार नहीं होता, लोकतंत्र नहीं होता तो मेरे जैसा आदमी संसद में मौजूद नहीं होता। आज देवगौड़ा जैसा व्यक्ति प्रधानमंत्री नहीं होता।… जब कुछ दिनों बाद यह लागू होनेवाला है तो इस पर ठीक ढंग से चर्चा होनी चाहिए और चर्चा के क्रम में आज तक का नारी-उत्पीड़न का इतिहास है, उसको भी रिकॉर्ड पर लाना चाहिए। क्यों नारियों को यह अधिकार मिलना चाहिए, ये सारी बातें आनी चाहिए। क्योंकि कोई इतिहास पढ़नेवाला जब इस पर रिसर्च करेगा तो सारी बातें उसको नहीं मिलेंगी, लेकिन संसद का रिकॉर्ड उसको मिलेगा।”