निर्भय ठाकुर | जिग्नासा सिन्हा

दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने न्यूज़ पोर्टल ‘न्यूज़क्लिक’ के संस्थापक संपादक प्रबीर पुरकायस्थ और गौतम नवलखा के बीच लिंक बताया है। मानवाधिकार कार्यकर्ता गौतम नवलखा माओवादियों से संबंध होने के मामले में नजरबंद हैं। दिल्ली पुलिस ने जांच के लिए प्रबीर पुरकायस्थ और ‘न्यूज़क्लिक’ के एचआर हेड अमित चक्रवर्ती को सात दिन के लिए हिरासत में ले लिया है।

न्यूज़क्लिक पर कथित तौर पर अमेरिका के रास्ते से चीन से अवैध धन लेने और चीन समर्थक दुष्प्रचार फैलाने का आरोप है। अब पता चला है कि पुलिस प्रबीर पुरकायस्थ और गौतम नवलखा की ‘1991 से चली आ रही दोस्ती’ की भी जांच कर रही है।

न्यूज़क्लिक के वकील को भी नहीं मिली FIR की कॉपी

पटियाला हाउस कोर्ट में अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश हरदीप कौर के समक्ष न्यूज़क्लिक की तरफ से पेश हुए वकील अर्शदीप सिंह को पुलिस रिमांड की एक प्रति मिल गई है। लेकिन एफआईआर की प्रति नहीं दी गई है। एफआईआर की कॉपी के लिए दायर अर्शदीप की याचिका को गुरुवार तक लिए स्थानांतरित कर दिया गया है क्योंकि लोक अभियोजक मौजूद नहीं थे।

इंडियन एक्सप्रेस को पता चला है कि अगस्त में स्पेशल सेल द्वारा दर्ज की गई एफआईआर में 1991 से पुरकायस्थ और नवलखा की “दोस्ती” का जिक्र है।

कहां से पैसा लेने का आरोप?

इंडियन एक्सप्रेस को मिली जानकारी के मुताबिक, न्यूज़क्लिक के खिलाफ दर्ज एफआईआर में स्पेशल सेल ने आरोप लगाया है कि पोर्टल को 2018 से तीन अलग-अलग संस्थाओं से धन प्राप्त हो रहा था, दो अमेरिका स्थित व्यवसायी नेविल रॉय सिंघम से जुड़ी है और तीसरी उनकी पत्नी के एनजीओ से जुड़ी है।

इस साल अगस्त में ‘द न्यूयॉर्क टाइम्स’ ने अपनी एक रिपोर्ट में आरोप लगाया गया था कि न्यूज़क्लिक दुनिया भर में चीनी प्रचार को बढ़ावा देता। इसके लिए उसे सिंघम से जुड़े नेटवर्क से धन मिलता है। द न्यूयॉर्क टाइम्स का आरोप है कि न्यूज़क्लिक सिंघम द्वारा वित्त पोषित अनेक संगठनों में से एक है।

पुरकायस्थ और चक्रवर्ती की पुलिस रिमांड की मांग करते हुए अपने आवेदन में स्पेशल सेल ने 14 अगस्त को प्रवर्तन निदेशालय द्वारा पीपीके न्यूज़क्लिक स्टूडियो प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ दर्ज एक मामले का हवाला दिया। न्यूज़क्लिक का मालिकाना हक पीपीके न्यूज़क्लिक स्टूडियो प्राइवेट लिमिटेड के पास है।

न्यूज़क्लिक पर एफआईआर दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल के एक इंस्पेक्टर द्वारा की गई शिकायत के आधार पर दर्ज की गई थी। मामले की पड़ताल के लिए एक एसीपी को जांच अधिकारी नियुक्त किया गया था।

“कश्मीर के बिना भारत का नक्शा बनाने की तैयारी”

अपने रिमांड आवेदन में स्पेशल सेल ने कहा कि उन्हें ‘गुप्त इनपुट’ मिला था कि ‘भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को बाधित करने के इरादे से साजिश के तहत भारतीय और विदेशी संस्थाओं द्वारा भारत में अवैध रूप से करोड़ों की विदेशी धनराशि का निवेश किया गया है।

रिमांड आवेदन में पुलिस आने कहा, “अप्रैल 2018 से पीपीके न्यूज़क्लिक स्टूडियो प्राइवेट लिमिटेड को अमेरिका के वर्ल्डवाइड मीडिया होल्डिंग्स एलएलसी और अन्य से पांच साल की छोटी अवधि के दौरान अवैध तरीकों से करोड़ों रुपये के अवैध धनराशि मिली।”

पुलिस का दावा है कि उन्हें 4.27 लाख ईमेल के विश्लेषण से पता चला है कि आरोपी “एक-दूसरे के सीधे संपर्क में थे” और “चर्चा कर रहे थे कि कश्मीर के बिना भारत का एक नया नक्शा कैसे बनाया जाए और अरुणाचल प्रदेश को विवादित क्षेत्र के रूप में दिखाया जाए।” इसके लिए उन्हें “विदेशी फंड की आड़ में “115 करोड़ रुपये से अधिक” प्राप्त हुए थे।

रिमांड आवेदन में दावा किया गया कि गिरफ्तार किए गए लोग एक “बड़ी साजिश” के तहत समाज के विभिन्न वर्गों के बीच ‘असंतोष’ पैदा करने की कोशिश कर रहे थे।

नवलखा को लेकर क्या लिखा है?

नवलखा का नाम लेते हुए रिमांड आवेदन में कहा गया है कि वह 2018 में कंपनी स्थापना के बाद से न्यूज़क्लिक में शेयरधारक थे। पुलिस ने कहा है, “नवलखा प्रतिबंधित नक्सली संगठनों को सक्रिय रूप से समर्थन देने और राष्ट्र-विरोधी सांठगांठ रखने जैसी भारत विरोधी और गैरकानूनी गतिविधियों में शामिल रहे।”

इसमें यह भी कहा गया कि आरोपी ने सरकार के कोविड-19 प्रबंधन को “बदनाम” करने के लिए “झूठी कहानी” बनाई। रिमांड आवेदन में दावा किया गया, “आरोपी व्यक्तियों ने भारत में एक समुदाय के जीवन के लिए आवश्यक आपूर्ति और सेवाओं को बाधित करने और इस तरह की अवैध विदेशी फंडिंग के माध्यम से किसान आंदोलन लंबा खींचकर संपत्ति को नुकसान पहुंचाने और नष्ट करने की साजिश रची है।”

पुलिस के दावों पर प्रतिक्रिया के लिए इंडियन एक्सप्रेस ने नवलखा के वकील युग एम चौधरी संपर्क किया। लेकिन उन्होंने यह कहते हुए टिप्पणी करने से इनकार कर दिया कि उनके पास इस मामले में कोई विवरण नहीं है।

न्यूज़क्लिक की सफाई

बुधवार को न्यूज़क्लिक ने एक बयान जारी कर कहा, “हम प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से किसी भी चीनी इकाई या प्राधिकारी के आदेश पर कोई समाचार या सूचना प्रकाशित नहीं करते हैं… अपनी वेबसाइट पर चीनी प्रोपगेंडा नहीं चलाते हैं… वेबसाइट पर प्रकाशित होने वाले कंटेट के संबंध में नेविल रॉय सिंघम से निर्देश नहीं लेते हैं।”

बयान में आगे कहा गया है, “न्यूज़क्लिक को प्राप्त सभी फंडिंग उपयुक्त बैंकिंग चैनलों के माध्यम से की गई है और कानून द्वारा आवश्यक संबंधित अधिकारियों को सूचित किया गया है, जैसा कि दिल्ली उच्च न्यायालय के समक्ष कार्यवाही में भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा प्रमाणित किया गया है।”

न्यूज़क्लिक ने कहा, “हमें अदालतों और न्यायिक प्रक्रिया पर पूरा भरोसा है। दिल्ली पुलिस की स्पेशल ने पूछताछ की जो शैली अपनाई है, वह उनकी दुर्भावनापूर्ण इरादे को प्रदर्शित करता हैं।”

बता दें मंगलवार को 200 से अधिक पुलिसकर्मियों ने दिल्ली, गुरुग्राम, नोएडा, गाजियाबाद और मुंबई में पत्रकारों और न्यूज़क्लिक से जुड़े लोगों के घरों पर छापेमारी की थी। 50 से अधिक घरों और कार्यालयों पर छापे मारे गए और 46 पत्रकारों और कार्यकर्ताओं को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया था।

पुलिस ने दक्षिण दिल्ली स्थित समाचार पोर्टल के कार्यालय को सील कर दिया है और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को जब्त कर लिया है।