बिहार में नीट-यूजी के पेपर लीक मामले में जिस शख्स सिकंदर पी. यादवेंदु का नाम सामने आया है, वह एक किसान परिवार से ताल्लुक रखता है। सिकंदर 2012 तक ठेकेदारी करता था।
बिहार पुलिस के अफसरों के मुताबिक, सिकंदर इस मामले में मुख्य अभियुक्त है। 5 मई को नीट का एग्जाम होने के कुछ ही घंटे बाद यादवेंदु को गिरफ्तार कर लिया गया था। उसके साथ ही 12 अन्य लोगों को भी गिरफ्तार किया गया था, इसमें नीट एग्जाम के चार अभ्यर्थी भी शामिल थे।
यादवेंदु पटना के दानापुर के रूपसपुर इलाके में रहता है। यादवेंदु ने इंजीनियरिंग में डिप्लोमा किया है और कुछ साल तक उसने ठेकेदारी भी की है।
यादवेंदु के पिता किसान थे और उसके पिता के पास समस्तीपुर में आठ बीघा खेती की जमीन है। 1980 में 10वीं पास करने के बाद वह रांची आ गया और यहां उसने 12वीं तक पढ़ाई की और डिप्लोमा भी हासिल किया।
2.92 करोड़ का एलईडी घोटाला
2012 में जब बिहार में एनडीए की सरकार थी तब यादवेंदु को जल संसाधन विभाग में जूनियर इंजीनियर की नौकरी मिली। 2016 में यादवेंदु का नाम रोहतास नगर पालिका परिषद में हुए 2.92 करोड़ के एलईडी घोटाले में सामने आया। तब रोहतास नगर पालिका परिषद में इस विभाग का अतिरिक्त प्रभार भी यादवेंदु के पास था। यादवेंदु पर आरोप लगे थे कि बढ़े हुए दामों पर एलईडी की खरीद की गई है। इन एलईडी को डालमियानगर में लगाया जाना था।
इस घोटाले में यादवेंदु को गिरफ्तार भी किया गया था और बाद में जमानत पर रिहा कर दिया गया था।
कहा जाता है कि यादवेंदु ने अपने संपर्कों का इस्तेमाल किया और 2021 में दानापुर नगर पालिका परिषद के शहरी विकास और आवास विभाग में उसका तबादला हो गया। वहां अपने संपर्कों का इस्तेमाल करके यादवेंदु ने इस इलाके में बनने वाले अपार्टमेंट्स के लेआउट को मंजूरी दे दी थी।
ट्रांसफर के आदेश को बदलवा दिया
दानापुर नगर पालिका परिषद के एक सूत्र के मुताबिक, 2023 में यादवेंदु का यहां पर अपने कुछ सीनियर अफसरों के साथ झगड़ा हो गया और उसका जल संसाधन विभाग में तबादला कर दिया गया। लेकिन यादवेंदु अपने ट्रांसफर के आदेश को बदलवाने में कामयाब रहा।
बिहार में सरकार चला रही भाजपा ने आरोप लगाया है कि यादवेंदु बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के निजी सहयोगी प्रीतम कुमार का बेहद करीबी था। तमाम शोरगुल के बाद तेजस्वी यादव ने कहा है कि इस मामले की जांच कर रही बिहार पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने ऐसा कुछ भी नहीं कहा है लेकिन बीजेपी इस मामले का राजनीतिकरण करने की कोशिश कर रही है।
5 मई को पटना एयरपोर्ट के पास एनएचएआई के निरीक्षण बंगले से नीट के जिन चार अभ्यर्थियों को गिरफ्तार किया गया था, उनके बारे में यादवेंदु ने ही पुलिस को जानकारी दी थी। यादवेंदु ने ही एक दिन पहले जिस कमरे में यह लोग रुके थे, उसे बुक कराया था और आरोप है कि प्रीतम ने एक स्टाफर को वहां बुलाया था।
इन चार अभ्यर्थियों में से एक यादवेंदु का रिश्तेदार है। इस रिश्तेदार ने पुलिस को बताया था कि यादवेंदु ने उसे भरोसा दिलाया था कि एग्जाम से पहले ही प्रश्न पत्र उन्हें मिल जाएगा।
यादवेंदु ने हर अभ्यर्थी से मांगे थे 40 लाख
पुलिस का कहना है कि पेपर सॉल्वर गैंग का एक अन्य मुख्य अभियुक्त नीतीश कुमार है। नीतीश कुमार ने पुलिस को बताया कि यादवेंदु के जरिए ही चारों अभ्यर्थी पेपर सॉल्वर गैंग के संपर्क में थे। पेपर सॉल्वर गैंग ने यादवेंदु को बताया था कि हर अभ्यर्थी को 30 से 32 लाख रुपए देने होंगे जबकि यादवेंदु ने 40 लाख रुपए हर अभ्यर्थी से मांगे थे। इन चार अभ्यर्थियों को नीट में 720 में से 581, 483, 300 और 185 नंबर मिले थे।
बिहार पुलिस के एक अफसर ने बताया कि यादवेंदु इंटर स्टेट गैंग से जुड़ा हुआ है। यादवेंदु और इस गैंग के चार सदस्यों को इस मामले में गिरफ्तार किया गया है। यह सभी लोग दो दर्जन से ज्यादा छात्रों के संपर्क में थे। पुलिस ने 9 और अभ्यर्थियों की पहचान की है और उनसे पूछताछ की जा रही है। पुलिस इस मामले में गैंग के सरगना तक पहुंचने की कोशिश कर रही है और ये लोग बिहार में हुई कई और परीक्षाओं के लीक के मामलों में भी शामिल रहे हैं।