पुलिस हिरासत में हुई मौत को कस्टोडियल डेथ (Custodial Death) कहते हैं। डीके बसु बनाम स्टेट ऑफ वेस्ट बंगाल मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा था, ”कानून द्वारा शासित एक सभ्य समाज में कस्टडी में मौत सबसे बुरे अपराधों में से एक है।”

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केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधीन काम करने वाले राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की वार्षिक रिपोर्ट ‘भारत में अपराध’ 2021 में पता चलता है कि गुजरात पुलिस की हिरासत में नागरिक जीवन को सबसे अधिक खतरा है। कस्टोडियल डेथ के मामले में गुजरात इस साल भी सबसे आगे है।  रिपोर्ट (National Crime Records Bureau- NCRB Report 2021) बताता है कि पुलिस हिरासत में मौत होने के मामले में गुजरात देश के सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से आगे है।

12 पुलिसकर्मी गिरफ्तार

साल 2021 में देशभर में हिरासत में मौत के कुल 88 मामले दर्ज किए गए। इस दौरान सिर्फ गुजरात में कस्टोडियल डेथ के 23 मामले दर्ज किए गए। यह साल 2020 की तुलना में 53% ज्यादा है। क्योंकि तब गुजरात में कस्टोडियल डेथ की 15 घटनाएं दर्ज हुई थीं। हालांकि उस साल भी गुजरात कस्टोडियल डेथ के मामले में नंबर वन था।

गुजरात पुलिस की कस्टडी में हुई 23 मौतों में से 22 लोगों की मौत लॉक-अप में हुई, जबकि वे रिमांड में नहीं थे। एक व्यक्ति की मौत कस्टडी में हुई। नौ की मौत को आत्महत्या बताया गया है। नौ अन्य की मौत का कारण बीमारियों को बताया गया है। दो की मौत पुलिस द्वारा मारपीट कर गंभीर रूप से घायल करने के बाद हुई और एक कथित रूप से कस्टडी से फरार होने की कोशिश में मारा गया। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, कस्टोडियल डेथ के मामले में गुजरात के 12 पुलिसकर्मी गिरफ्तार हुए हैं।

दूसरे नंबर पर महाराष्ट्र

कस्टोडियल डेथ के मामले में दूसरे नंबर पर महाराष्ट्र है। NCRB की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2021 में कुल 21 लोगों की जान महाराष्ट्र पुलिस की हिरासत में गई है। इस मामले में तीसरे नंबर पर मध्य प्रदेश, चौथे पर आंध्र प्रदेश और पांचवें पर हरियाणा है। लेकिन गुजरात और महाराष्ट्र के अलावा किसी राज्य में कस्टोडियल डेथ का आंकड़ा दहाई में नहीं है।