नेशनल काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग (NCERT) ने अपने पाठ्यक्रम को तर्कसंगत बनाने के लिए 25 बाहरी विशेषज्ञों से सलाह ली है। उन्हीं की सलाह के तहत NCERT की किताबों से मुगल, महात्मा गांधी, उनके हत्यारे नाथूराम गोडसे, हिंदू चरमपंथियों के संदर्भ आदि को हटाए गए हैं।

18 जुलाई, 2022 को लोकसभा में एनसीपी सांसद मोहम्मद फैजल के एक सवाल के लिखित जवाब में बताया गया था कि NCERT ने सात विषयों के लिए 25 विशेषज्ञों के एक समूह को शामिल किया था।

किसी विषय पर दो विशेषज्ञों की टीम ने सलाह दी है, तो किसी विषय के लिए पांच विशेषज्ञ रखे गए थे। इतिहास और राजनीति विज्ञान की पाठ्यपुस्तकों को हटाने पर सबसे ज्यादा विवाद हुआ, जिसके लिए NCERT ने क्रमशः पांच और दो बाहरी विशेषज्ञों से सलाह ली थी।

कौन हैं वो पांच विशेषज्ञ?

जिन विशेषज्ञों के परामर्श से इतिहास की किताबों को बदला गया है, उसमें जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में इतिहास के प्रोफेसर और भारतीय ऐतिहासिक अनुसंधान परिषद के मेंबर सेक्रेटरी उमेश कदम, हिंदू कॉलेज की एसोसिएट प्रोफेसर (इतिहास) डॉ. अर्चना वर्मा, दिल्ली पब्लिक स्कूल आरके पुरम की शिक्षक (इतिहास विभाग के प्रमुख) श्रुति मिश्रा और दिल्ली स्थित केंद्रीय विद्यालय के दो शिक्षक कृष्ण रंजन और सुनील कुमार शामिल हैं।

सावरकर पर किताब संपादित कर चुके हैं कदम

प्रोफेसर उमेश कदम विनायक दामोदर सावरकर पर लिखी एक किताब ‘Dismantling Castesim Lessons from Savarkar’s Essentials of Hindutva‘ का संपादन कर चुके हैं।

Photo Credit - researchgate.net
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भारतीय ऐतिहासिक अनुसंधान परिषद के मेंबर सेक्रेट्री उमेश अशोक कदम का मानना है कि भारतीय इतिहास की किताबों में मुगलों के बारे में अधिक लिखा। ICHR द्वारा आयोजित एक प्रदर्शनी में कदम ने इंडिया टुडे से बातचीत करते हुए कहा था “वे लोग (मुस्लिम) मध्य पूर्व से आए थे और उनका भारतीय संस्कृति से सीधा संबंध नहीं था। मध्ययुगीन काल में इस्लाम और ईसाई धर्म भारत में आए और भारतीय सभ्यता को उखाड़ फेंका और यहां की ज्ञान प्रणाली को नष्ट किया।”

जनसत्ता.कॉम ने कदम से बात करने के ल‍िए कई बार उन्‍हें फोन क‍िया। लेक‍िन, उन्‍होंने फोन नहीं उठाया।

कौन तैयार कर रहा है बच्‍चों के ल‍िए स‍िलेबस?

सरकार ने राष्ट्रीय पाठ्यक्रम की रूपरेखा तैयार करने के लिए एक राष्ट्रीय संचालन समिति बनाई है। शिक्षा मंत्रालय के अंतर्गत आने वाली समिति का गठन सितंबर 2021 में हुआ था। इसी समिति ने पाठ्यक्रम में बदलाव के लिए दिशा-निर्देश दिए। समिति में कुल 12 सदस्य हैं। समिति के अध्यक्ष इसरो के पूर्व प्रमुख के कृष्णास्वामी कस्तूरीरंगन हैं। इस समिति के सदस्‍य आरएसएस के सदस्‍य भी हैं। (सदस्‍यों के बारे में विस्तार से पढ़ने के लिए लिंक पर क्लिक करें