पंजाब कांग्रेस में इन दिनों नवजोत सिंह सिद्धू की पत्नी नवजोत कौर सिद्धू के बयानों को लेकर हंगामा मचा हुआ है। नवजोत कौर सिद्धू ने हाल ही में कहा, “पंजाब का मुख्यमंत्री बनने के लिए 500 करोड़ रुपये का सूटकेस चाहिए।” नवजोत कौर सिद्धू के इस बयान से न सिर्फ राज्य की सियासत में हंगामा मचा बल्कि बीजेपी को भी कांग्रेस पर हमला करने का मौका मिल गया।

नवजोत कौर सिद्धू की टिप्पणी ने वाकई कांग्रेस के लिए 2027 की शुरुआत में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले एक बड़ी मुश्किल खड़ी कर दी है।

नवजोत कौर सिद्धू की टिप्पणियों को पार्टी ने बेहद गंभीर अनुशासनहीनता माना और उन्हें प्राथमिक सदस्यता से निलंबित करने का ऐलान कर दिया। पार्टी ने यह संदेश देने की कोशिश की है कि अनुशासनहीनता को किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा लेकिन सवाल यह है कि अगर नवजोत सिंह सिद्धू अपनी पत्नी के समर्थन में उतरे तो क्या पार्टी उन पर भी अनुशासन का डंडा चलाएगी?

नवजोत सिंह सिद्धू की पत्नी कांग्रेस से निलंबित

कांग्रेस पहले से ही राज्य में गुटबाजी से जूझ रही है। फिर भी उसे इस बात की उम्मीद है कि अगले विधानसभा चुनाव में वह आम आदमी पार्टी को सत्ता से बाहर कर सकती है लेकिन नवजोत कौर सिद्धू का ‘500 करोड़’ वाले बयान पर पार्टी मुसीबत में घिर गई है हालांकि पार्टी ने उनके आरोपों को पूरी तरह बेबुनियाद बताया है।

रंधावा और वडिंग पर बोल दिया हमला

नवजोत कौर सिद्धू ने न सिर्फ ‘500 करोड़’ वाला बयान दिया बल्कि पूर्व उपमुख्यमंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा और प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वडिंग पर भी हमला बोल दिया। इसके बाद ऐसा बिलकुल नहीं लगता कि प्रदेश कांग्रेस के तमाम दिग्गज नेता नवजोत सिंह सिद्धू और उनकी पत्नी को किसी भी तरह की माफी देने के मूड में हैं।

अमरिंदर सिंह से हुई भिड़ंत

क्रिकेट छोड़ने के बाद सिद्धू सियासत में आए। लंबे वक्त तक बीजेपी में रहे और उसके बाद उन्होंने कांग्रेस का दामन थाम लिया। सिद्धू को राजनीतिक रूप से काफी महत्वाकांक्षी नेता माना जाता है। कांग्रेस में आते ही सिद्धू ने उथल-पुथल मचानी शुरू कर दी।

पंजाब में 2017 से 2022 तक चली कांग्रेस की तत्कालीन सरकार के मुखिया कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ उनका झगड़ा होता रहा। यह टकराव बहुत ज्यादा बढ़ गया और कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व ने अमरिंदर सिंह को मुख्यमंत्री पद से हटा दिया और उनकी जगह दलित नेता चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री बनाया।

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अमरिंदर के बाद चन्नी के खिलाफ खोला मोर्चा

कांग्रेस हाई कमान को उम्मीद थी कि अब नवजोत सिंह सिद्धू चरणजीत सिंह चन्नी के साथ मिलकर काम करेंगे लेकिन हाईकमान इस मामले में गलत साबित हुआ। सिद्धू ने चन्नी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया और आए दिन सरकार और संगठन में टकराव शुरू हो गया।

कुछ ही साल पहले पार्टी में आए सिद्धू को पार्टी नेतृत्व ने प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष भी बनाया लेकिन सिद्धू की नजर मुख्यमंत्री की कुर्सी पर थी। सरकार और संगठन की लगातार भिड़ंत के चलते 2022 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की बुरी हार हुई और वह 20 सीटें भी नहीं जीत सकी। सिद्धू खुद भी विधानसभा का चुनाव हार गए।

सिद्धू की बयानबाजी को माना गया वजह

विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हार की एक बड़ी वजह सिद्धू की बयानबाजी को माना गया। उस वक्त यह बात खुलकर सामने आई थी कि सिद्धू की बयानबाजी के चलते कांग्रेस को नुकसान हुआ है और इससे दूसरे राजनीतिक दलों को भी कांग्रेस पर हमला करने का मौका मिला और इस वजह से पार्टी लगातार कमजोर हो रही है।

इसके बाद पंजाब कांग्रेस में सिद्धू को लेकर नाराजगी बढ़ी तो पार्टी ने सिद्धू को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के पद से हटा दिया। सिद्धू पंजाब की राजनीति से दूर हो गए और लोकसभा चुनाव 2024 में उनकी और उनकी पत्नी की कोई सक्रियता नहीं दिखाई दी।

अब जब पंजाब में विधानसभा के चुनाव नजदीक हैं और पार्टी की कोशिश राज्य में फिर से सरकार बनाने की है तो नवजोत कौर सिद्धू ने ‘500 करोड़’ वाले बयान के साथ ही पार्टी के बड़े नेताओं पर भी जोरदार हमले तेज कर दिए हैं।

नवजोत सिंह सिद्धू की सियासी ख्वाहिश पंजाब का मुख्यमंत्री बनने की है इसलिए वह चाहते हैं कि पंजाब में कांग्रेस उन्हें सीएम का चेहरा घोषित करे लेकिन पंजाब कांग्रेस के तमाम बड़े नेता शायद इसके लिए कभी तैयार नहीं होंगे।

भूपेश बघेल को सौंपी रिपोर्ट

खबरों के मुताबिक, पंजाब कांग्रेस ने सिद्धू दंपति की एक रिपोर्ट पंजाब कांग्रेस के प्रभारी भूपेश बघेल को सौंप दी है। इस रिपोर्ट में 2022 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के प्रभारी रहे हरीश चौधरी ने सिद्धू को लेकर क्या कुछ हाई कमान को बताया था, उसका भी जिक्र है।

लोकसभा चुनाव 2024 में थोड़ा बेहतर प्रदर्शन करने के बाद कांग्रेस काफी झटके खा चुकी है। हरियाणा में जीत की उम्मीद के बावजूद वह हार गई। महाराष्ट्र और बिहार में उसका प्रदर्शन बेहद खराब रहा। ऐसे में उसे पंजाब से बहुत उम्मीद है कि वह यहां सरकार बनाकर खुद को जिंदा कर पाएगी। ऐसे में पार्टी शायद सिद्धू और उनकी पत्नी के तेवरों को इस बार बर्दाश्त नहीं करेगी। नवजोत सिंह सिद्धू को कांग्रेस हाईकमान विशेषकर प्रियंका गांधी वाड्रा का करीबी माना जाता है।

अब देखना यह होगा कि क्या नवजोत सिंह सिद्धू अपनी पत्नी के समर्थन में खुलकर मैदान में उतरेंगे और अगर उन्होंने ऐसा किया तब ऐसी स्थिति में क्या कांग्रेस नेतृत्व सिद्धू के खिलाफ कोई बहुत बड़ी कार्रवाई करेगा?

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