पूर्व केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी (Former Union minister Mukhtar Abbas Naqvi) गुरुवार को रामपुर पहुंचे। नकवी ने रामपुर (Rampur) के मिलक में रठौंडा किसान मेला का उद्घाटन। इसके बाद वह शिव मंदिर भी गए, जहां उन्होंने पूजा अर्चना की। पूर्व केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास उत्तर प्रदेश के रामपुर क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। इन दिनों वह रामुपर में कुछ अलग कर रहे हैं।
नकवी मुस्लिम बहुल रामपुर में निर्देशक-निर्माता-अभिनेता पुनीत इस्सर के नाटक “जय श्री राम – रामायण” का मंचन करवाने की तैयारी में हैं। ‘श्री रामचरितमानस’ पर आधारित इस घंटे भर के नाटक मंचन रठौड़ा किसान मेले में तीन मार्च होगा। यह आयोजन महाशिवरात्री को लेकर किया जा रहा है। टेलीविजन पर हनुमान की भूमिका निभाने के लिए जानी जाने वाली बिंदू दारा सिंह भी नाटक के अभिनेताओं में से एक हैं।
‘दुनिया में बढ़ रही है PM मोदी की धाक’
किसान मेले के उद्घाटन में पहुंचे भाजपा नेता मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि दुनिया में भारत की बढ़ती धमक और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की धाक से बौखलाए लोगों की ‘मोदी बैशिंग की सनक’ ‘भारत बैशिंग की साजिश’ का रूप लेती जा रही है।
BBC डॉक्यूमेंट्री को बनाया निशाना!
पिछले कुछ समय से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर बनी बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री ‘इंडिया: द मोदी क्वेश्चन’ (India: The Modi Question) को लेकर विवाद चल रहा है। डॉक्यूमेंट्री में गुजरात दंगे (2002) के दौरान राज्य के मुख्यमंत्री रहे नरेंद्र मोदी की भूमिका पर सवाल उठाया गया है।
नकवी ने उसी ओर इशारा करते हुए कहा है कि नरेंद्र मोदी देश पहले ऐसे मुख्यमंत्री हैं, जिनकी ‘घंटों में कन्ट्रोल हुई घटना’ का दशकों से मीडिया और राजनीतिक ट्रायल किया जा रहा है। नरेंद्र मोदी के खिलाफ एक भी आरोप न्यायालय में नहीं टिक सका। हर जगह से उन्हें क्लीन चिट मिला और जनता ने बार-बार जनादेश देकर उनके नेतृत्व की विश्वसनीयता पर मुहर लगाई।
‘दंगों के बावजूद कांग्रेस सेकुलरिज्म की सूरमा’
किसान मेला के ही उद्घाटन के दौरान नकवी कहते हैं, “आज़ादी के बाद कांग्रेस शासित राज्यों में महीनों चले हजारों साम्प्रदायिक दंगों और उनमें लाखों लोगों की बर्बादी की बर्बर हकीकत किसी देशी-विदेशी मीडिया ट्रायल का एजेंडा क्यों नही बना? इन साम्प्रदायिक दंगों, नरसंहार के कम्युनल कलंक के बावजूद कांग्रेस सेकुलरिज्म की सूरमा बन कर और दूसरों पर कम्युनल कलर फेंक अपने पाप पर पैबंद का पाखंड करती रही।
इन सभी दंगों के बाद ना तो किसी मुख्यमंत्री के खिलाफ कोई कार्रवाई की आवाज उठी ना ही उनकी सरकार-पार्टी को इन दंगों का दोषी या जिम्मेदार बताया गया। लगभग बीस साल पहले गुजरात के एक ऐसे घटनाक्रम को सोची-समझी अपराधिक साजिश की मानसिकता से बढा-चढ़ा कर पेश किया जाता है। जिसे सिर्फ तीन से चार दिनों में कन्ट्रोल ही नहीं किया गया। बिना भेदभाव के दोषियों पर कार्रवाई हुई।”