मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच के सामने हाल ही में रेत माइनिंग से जुड़ा एक मामला सामने आया। इस मामले की सुनवाई का वीडियो वायरल हो रहा है। सुनवाई कर रहे जस्टिस रोहित आर्य (Justice Rohit Arya) इतने नाराज हुए कि खनन विभाग के डिप्टी डायरेक्टर को सुधरने की चेतावनी देते हुए यहां तक कह दिया कि तुम चपरासी बनने के लायक नहीं हो और जेल भेजने की चेतावनी दे डाली।
क्या है पूरा मामला?
हाईकोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए 14 मार्च 2023 को खनन का ट्रांसपोर्टेशन पास जारी करने का आदेश दिया था। इसके बावजूद याचिकाकर्ता को पास नहीं मिला। मामले की अगली तारीख के दौरान जब कोर्ट को पता चला कि उसके आदेश का पालन ही नहीं हुआ तो बेंच बहुत नाराज हो गई। जस्टिस रोहित आर्य ने कोर्ट में मौजूद माइनिंग अफसर दिनेश सिंह से कहा- 14 मार्च 2023 का कोर्ट का आदेश है। इससे पहले 20 दिसंबर 2022 को कलेक्टर ने भी आदेश दिया था, इसपर आपने क्या किया?
जज ने कहा- चौथी बार नौकरी खतरे में पड़ जाएगी
जस्टिस आर्य ने कहा कि अब मैं तीसरी बार बोल रहा हूं। चौथी बार में तुम्हारी नौकरी खतरे में पड़ जाएगी। उन्होंने कहा कि मैं हर दिन खुद मुरैना के पास देखता हूं कि सुबह 5 बजे से 8 बजे तक ट्रैक्टर की लाइन लगी रहती है। कोई पूछने वाला नहीं है। जस्टिस आर्य ने अधिकारी को लताड़ लगाते हुए कहा कि उस वक्त आपके अफसर मुरैना छोड़कर कहीं चले जाते हैं क्या? इतनी अवैध माइनिंग चल रही है कि कोई देखने वाला नहीं है।
सुनवाई के दौरान अधिकारी ने कहा कि सुपुर्दगी नामा से काम चल सकता है। इसपर जस्टिस आर्य ने टोकते हुए कहा कि यही बात आप लिखकर दे दीजिये कि हम सुपुदर्गीनामा दे रहे हैं, ट्रांजिट पास की कोई जरूरत ही नहीं है। किसी को 1 लाख 94 क्यूबिक रेत दोगे तो क्या वह किसी बॉक्स में ले जाएगा?
पास नहीं दिया तो कर देंगे सस्पेंड
जस्टिस रोहित आर्य इतने तल्ख हुए कि अफसर से कहा कि तुम हाईकोर्ट के आदेश को इसलिये नहीं लागू कर रहे हो कि तुम्हारी सेवा-पूजा नहीं हुई। नहीं सुधरोगे तो किसी दिन नौकरी जाएगी। अगर नहीं चाहते की नौकरी जाए तो जो ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट और हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने आदेश दिया है, उसका अक्षरश: पालन करिये। नहीं करेंगे तो आपको आज ही सस्पेंड कर देंगे। आपको ईटीपी पास देना होगा…अगर नहीं दे रहे हैं और कोई दूसरा रास्ता है तो वह भी लिखकर दीजिये कि ये रेत को कहीं ले जाएं, इनसे कोई नहीं पूछेगा।
इसपर माइनिंग अफसर ने कहा कि ये हमारी अथॉरिटी नहीं है। इस पर जस्टिस आर्य बेहद नाराज हो गए। कहा कि ये इसके वश का मामला नहीं है। अब हम डायरेक्टर (माइनिंग) को बुलवाएंगे। ये जेल जाएगा…बाबू टाइप की बात कर रहा है। जस्टिस आर्य ने लताड़ लगाते हुए कि तुमको अफसर किसने बना दिया? यहां डिविजन बेंच का आदेश है…मजिस्ट्रेट के ऑर्डर को भी टेस्ट कर लिया। हाईकोर्ट ने याचिका खारिज कर दी। इसके बावजूद सुधर नहीं रहे हो, क्योंकि तुम्हारे हाथ पर ग्रीस नहीं लगाई गई।
‘तुम चपरासी बनने लायक नहीं हो’
जस्टिस आर्य की नाराजगी इतनी बढ़ी कि उन्होंने कहा कि ये बाबू बनाने लायक आदमी नहीं हैं…कहां से अफसर बन गया? तुमको हाईकोर्ट की अहमियत नहीं पता है क्या? आदत से मजबूर हैं और ड्रामा कर रहे हैं। इसी दौरान जस्टिस आर्य ने कोर्ट में मौजूद डिप्टी डायरेक्टर (माइनिंग) संतोष पटेल को भी तलब कर लिया है और कहा कि तुम्हें इतनी भी तमीज नहीं कि कोर्ट पूछ रहा है तो उसका जवाब दें। कलेक्टर लिखकर दे रहा है…हाईकोर्ट दे रहा है…फिर भी पास क्यों नहीं दे रहो हो। जेल जाना है क्या? क्या नाम है तुम्हारा? तुम तो चपरासी के लायक भी नहीं हो।
जस्टिस आर्य ने कहा कि आप लिखकर दीजिये कि आप आदेश का पालन नहीं कर रहे हैं, मैं कलेक्टर को बुलवाता हूं। ये दोनों भ्रष्ट अफसर हैं, इनकी आदतें खराब हैं और आदत से मजबूर हैं।
कौन हैं जस्टिस रोहित आर्य?
28 अप्रैल 1962 को जन्में जस्टिस रोहित आर्य की गिनती ऐसे जजों में होती है, जिन्हें भ्रष्टाचार या हीला-हवाली बर्दाश्त नहीं है। जस्टिस आर्य ने 1984 में बतौर एडवोकेट प्रैक्टिस शुरू की थी और अगस्त 2003 में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में सीनियर एडवोकेट नियुक्त हुए।
सिविल, कमर्शियल, लेबर लॉ, टैक्स लॉ, कॉरपोरेट लॉ और संवैधानिक मामलों के विशेषज्ञ माने जाने वाले जस्टिस आर्य एडवोकेट रहते तमाम मामलों में केंद्र सरकार से लेकर एसबीआई, टेलीकॉम डिपार्टमेंट और बीएसएनल जैसी प्रमुख संस्थाओं का केस लड़ चुके हैं।
जस्टिस रोहित आर्य 16 सितंबर 2013 को मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के जज नियुक्त हुए थे और 26 मार्च 2015 को स्थायी जज बने।