जनसत्ता डॉट कॉम के नए कार्यक्रम ‘बेबाक’ में भारतीय जनता पार्टी के नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने बताया कि कैसे अब भारतीय राजनीति में ‘जुगाड़’ से सरकार बनना संभव नहीं है। जनसत्ता डॉट कॉम के संपादक विजय कुमार झा ने जब नकवी से पूछा कि 2024 के चुनावों में विपक्ष द्वारा बनाए जा रहे नैरेटिव ‘मोदी बनाम तमाम’ की काट के लिए भाजपा की स्ट्रेटजी क्या होगी तो उन्होंने एक शेर सुना दिया, “हर शाख़ पे उल्लू बैठा है अंजाम-ए-गुलिस्तां क्या होगा।”
नकवी का कहना था, “कांग्रेस को हराने के लिए उनके ही साथी काफी हैं।… आजादी के बाद यह पहला मौका होगा कि कोई गैर कांग्रेसी सरकार अपना दो कार्यकाल पूरा कर रही है और तीसरे कार्यकाल की तरफ बढ़ रही है। पहले भी गैर कांग्रेसी प्रधानमंत्री हुए। अटल जी हुए, चंद्रशेखर जी हुए, देवगौड़ा साहब हुए… लेकिन अटल जी को छोड़कर ज्यादातर कांग्रेस की बैसाखी पर रहे। ये पहला मौका है जब कांग्रेस की बैसाखी की जरूरत नहीं है। सीधे जनादेश के आधार पर सरकार चल रही है। 2014 में 283 और 2019 में 303 सीटें भाजपा को मिलीं। इसलिए मैं स्पष्ट कर दूँ कि अब जुगाड़ की सरकार नहीं बनेगी। अब जुगाड़ की सरकार के दिन लद गए। अब स्पष्ट जनादेश की सरकार बनेगी।”
यहां नकवी को बीच में टोकते हुए विजय कुमार झा ने पूछा कि यह आप सिर्फ दिल्ली की बात कर रहे हैं या राज्यों की भी? इस पर नकवी ने कहा- अभी दिल्ली की बात कर रहा हूं। जब राज्यों के बारे में पूछा गया तो उन्होंने हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक में स्पष्ट बहुमत से बनी कांग्रेस की सरकार का जिक्र किया और कहा कि यह ताजा उदारहण है। लेकिन, जब जनसत्ता डॉट कॉम के संपादक ने टोका कि ताजा उदाहरण तो महाराष्ट्र का देख रहे हैंं,तो नकवी ने कहा- वहां तो बिना जमीन के जमींदारी का झगड़ा है। तब नकवी से बेबाक सवाल एनसीपी के एक धड़े को महाराष्ट्र सरकार में शामिल करने को लेकर पूछा गया।
महाराष्ट्र में शिवसेना और एनसीपी के विद्रोही नेताओं के साथ मिलकर सरकार चला रही भाजपा के सवाल पर नकवी ने हंसते हुए कहा, ‘पार्टी के बाहर नो-एंट्री का बोर्ड नहीं लगा सकते’
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महाराष्ट्र में जिस तरह से एनडीए का विस्तार हुआ, उसे लेकर द इंडियन एक्सप्रेस के ‘आइडिया एक्सचेंज’ कार्यक्रम में देवेंद्र फडणवीस ने स्पष्ट शब्दों में कहा था कि आदर्शवाद तो ठीक है। हम चाहते हैं कि सिद्धांतवादी राजनीति करें। लेकिन अगर हमें कोई पीटकर भगा देता है तो आदर्श लेकर हम कहां जाएंगे। तो इसलिए हमें अपने अस्तित्व को बचाए रखने के लिए समझौते करने पड़ते हैं।
अब नकवी से सीधा सवाल था कि क्या जिस साफगोई से देवेंद्र फडणवीस ने अपनी बात रखी है, उसे भी लोकतंत्र के लिए अच्छा माना जाना चाहिए? नकवी ने कहा, “मुझे लगता है कि किसी भी राजनीतिक दल के सामने अगर महाराष्ट्र जैसी परिस्थिति होगी और कुछ दूसरे दल के लोग उससे जुड़ना चाहते होंगे तो पार्टी अपने ऑफिस के बाहर नो-एंट्री का बोर्ड तो नहीं लगा देगी। अगर आप नो एंट्री का बोर्ड लगा दें तो आपसे ज्यादा बेवकूफ राजनीतिक व्यक्ति कोई नहीं होगा। इसलिए यह कहना ठीक नहीं होगा कि भाजपा अपनी सैद्धांतिक प्रतिबद्धता से विचलित हो गई है। अगर दूसरों के यहां भगदड़ मची है, तो उन्हें अपने घर को संभालना चाहिए। घर को संभालने के बजाए अगर आप बीजेपी पर आरोप लगाएंगे तो उससे कोई लाभ होने वाला नहीं है।”
बिहार में JDU के लिए भी नो-एंट्री नहीं?
मुख्तार अब्बास नकवी के जवाब से ही सवाल निकाल जनसत्ता के संपादक ने पूछा कि क्या बिहार में भी जेडीयू के लिए नो-एंट्री का बोर्ड नहीं लगा है? सवाल का सीधा जवाब न देते हुए नकवी ने कहा, “बिहार में हमारे गठबंधन में और भी पार्टियां आएंगी। देखिए एक चीज आप समझिए ये जो गठबंधन हैं… 2014 में भाजपा के पास पूर्ण बहुमत था। तब किसी गठबंधन की जरूरत नहीं थी। उसके बाद भी मोदी जी ने सहयोगी दलों को साथ लेकर सरकार चलाई। अपने आप जिसे जाना था, गया। हमने किसी को बाहर नहीं किया। 2019 में भी हमें पूर्ण बहुमत मिला। लेकिन हमने अपने सहयोगियों को साथ लेकर सरकार चलाई। आने वाले दिनों में भाजपा के साथ और भी पार्टियां सहयोगी दल के रूप में जुड़ सकती हैं।”
भाजपा प्रेम कैसे पनपा…
‘बेबाक’ में शामिल होकर मुख्तार अब्बास नकवी ने अपनी जिंदगी और राजनीति से जुड़ी बहुत सी दिलचस्प बातें बताईं। नकवी ने बताया कि वह कॉलेज के दिनों में अपनी प्रेमिका (अब पत्नी) से मिलने इलाहाबाद के किस पार्क में जाया करते थे। साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि वह जनसंघ और भाजपा के प्रति कैसे आकर्षित हुए…।

नकवी के साथ हुई लंबी बातचीत का पूरा वीडियो जल्द ही जनसत्ता डॉट कॉम और जनसत्ता यूट्यूब चैनल पर देखने को मिलेगा।..