मोदी कैबिनेट 3.0 में किरेन रिजिजू अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री बनाए गए हैं। किरेन रिजिजू के रूप में अल्पसंख्यक मंत्रालय को पहली बार एक बौद्ध मंत्री मिला है। उनकी मदद के लिए राज्य मंत्री के रूप में जॉर्ज कुरियन होंगे जो केरल के ईसाई हैं।

अल्‍पसंख्‍यक मंत्रालय का गठन जनवरी 2006 में क‍िया गया था। तब से साल 2022 तक अल्पसंख्यक मंत्रालय का नेतृत्व मुस्‍ल‍िम के हाथों ही रहा।मुख्तार अब्बास नकवी ने जब जुलाई 2022 में राज्यसभा सदस्य के रूप में अपना कार्यकाल समाप्त होने से एक दिन पहले इस्तीफा दे दिया था तब महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी को अल्‍पसंख्‍यक मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार दिया गया। उसके बाद से मंत्रालय का नेतृत्‍व मुस्‍ल‍िम मंत्री के हाथों नहीं रहा।

अल्पसंख्यक कार्य मंत्री बने किरेन रिजिजू

किरेन रिजिजू को संसदीय कार्य मंत्रालय के साथ अल्‍पसंख्‍यक मामलों का मंत्रालय सौंपा गया है। उन्‍हें यह मंत्रालय देने की एक वजह यह भी हो सकती है क‍ि भाजपा के पास कोई मुस्‍ल‍िम सांसद चेहरा नहीं बचा है।

अब तक कौन-कौन रह चुके हैं अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री

अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री कार्यकाल
एआर अंतुले जनवरी 2006 से मई 2009
सलमान खुर्शीद मई 2009 से अक्टूबर 2012
के रहमान खान अक्टूबर 2012 से मई 2014
नजमा हेपतुल्ला मई 2014 से जुलाई 2016
मुख्तार अब्बास नकवी जुलाई 2016 से मई 2019, मई 2019 से जुलाई 2022
स्मृति ईरानी जुलाई 2022 से जून 2024
किरेन रिजिजू 10 जून 2024 से अब तक

किरेन रिजिजू ने लोकसभा चुनाव 2024 अरुणाचल प्रदेश पश्चिम सीट से जीता है। रिजिजू इससे पहले 2023 से जून 2024 तक भारत सरकार में पृथ्वी विज्ञान और खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के कैबिनेट मंत्री रहे हैं।

इससे पहले उन्होंने 2014 से 2019 तक गृह राज्य मंत्री, 2019 से 2021 तक अल्पसंख्यक मामलों के राज्य मंत्री, 2019 से 2021 तक खेल और युवा मामलों के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और 2021 से कानून मंत्री के रूप में कार्य किया। उन्होंने युवा मामलों और खेल के लिए स्वतंत्र प्रभार के साथ राज्य मंत्री (MoS), अल्पसंख्यक मामलों के लिए MoS, गृह मामलों के लिए MoS और कानून और न्याय मंत्री के रूप में कार्य किया है। कानून मंत्री के रूप में उनका कार्यकाल कई विवादों से भरा रहा। 18 मई, 2023 को उन्हें पृथ्वी विज्ञान मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया।

प्रधानमंत्री के विकसित भारत के सपने को पूरा करने के लिए काम करेंगे- किरेन रिजिजू

रविवार को तीसरी नरेंद्र मोदी सरकार में कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ लेने वाले रिजिजू ने कहा कि वह प्रधानमंत्री के विकसित भारत के सपने को पूरा करने के लिए पूरी ईमानदारी और समर्पण के साथ काम करना जारी रखेंगे। उन्होंने न्यूज एजेंसी पीटीआई से कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अधीन तीसरी बार मंत्री के रूप में सेवा करना सौभाग्य और सम्मान की बात है।”

भारत में कौन-कौन हैं अल्पसंख्यक?

अल्पसंख्यक मंत्रालय भारत सरकार का एक मंत्रालय है जिसे सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय से अलग करके 29 जनवरी 2006 को बनाया गया था। यह अल्पसंख्यक समुदायों के लिए केंद्र सरकार के विकास कार्यों के लिए काम करने वाली एक एपेक्स बॉडी है। वर्तमान में किरेन रिजिजू अल्पसंख्यक मंत्री हैं जो 10 जून 2024 से पद पर हैं और राज्य मंत्री जॉर्ज कुरियन (जून 2024 से) हैं।

गौरतलब है कि भारत में अल्पसंख्यक समुदाय, जिनमें मुस्लिम, सिख, ईसाई, बौद्ध, पारसी और जैन शामिल हैं, उन्हें राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग अधिनियम 1992 की धारा 2 (C) के तहत भारत के राजपत्र [2] में अल्पसंख्यक धार्मिक समुदायों के रूप में अधिसूचित किया गया है।

अल्पसंख्यक मंत्रालय का बजट

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने फरवरी 2024 में लोकसभा में अंतरिम बजट 2024-25 पेश किया था। यह उनका लगातार छठा बजट था। इस वर्ष अल्पसंख्यक मंत्रालय को 3,183.24 रुपये का बजट जारी किया गया।

अल्पसंख्यक मंत्रालय के लिए बजटीय आवंटन 2023-24 में 2,608.93 करोड़ रुपये की तुलना में 2024-25 के लिए 574.27 करोड़ रुपये बढ़कर 3,183.24 करोड़ रुपये किया गया था। 2023-24 में मंत्रालय के लिए बजट आवंटन 3,097.60 रुपये था। हालांकि, आधिकारिक दस्तावेज़ों के अनुसार संशोधित बजट 2,608.93 रुपये था।

अल्पसंख्यक मंत्रालय का बजट

मंत्रालय के लिए प्रस्तावित आवंटन में से 1,575.72 करोड़ रुपये शिक्षा सशक्तिकरण के लिए रखे गए थे। अल्पसंख्यकों के लिए प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति के लिए आवंटन 326.16 करोड़ रुपये और अल्पसंख्यकों के लिए पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति के लिए 1,145.38 करोड़ रुपये दिए गए थे।

भारत में अल्पसंख्यक आबादी

भारत में बहुसंख्यक हिंदू आबादी की हिस्सेदारी 1950 और 2015 के बीच 7.82% कम हो गई, जबकि मुस्लिम, ईसाई, सिख और बौद्ध सहित अल्पसंख्यक आबादी की हिस्सेदारी इस अवधि के दौरान बढ़ गई। ईएसी-पीएम (Economic Advisory Council to the PM) में प्रस्तुत पेपर के अनुसार, भारत में बहुसंख्यक हिंदू आबादी का हिस्सा 1950 और 2015 के बीच 7.82% कम हो गया (84.68% से 78.06% हो गया) जबकि मुस्लिम आबादी का हिस्सा बढ़ गया (1950 में 9.84% से 2015 में 14.09% हो गया)। इसी तरह, ईसाई आबादी का हिस्सा 2.24% से बढ़कर 2.36% हो गया, सिख आबादी का हिस्सा 1.24% से बढ़कर 1.85% हो गया। वहीं, बौद्ध आबादी छह दशकों में 0.05% से 0.81% हो गयी। हालांकि, भारत की जनसंख्या में जैनियों की हिस्सेदारी 0.45% से घटकर 0.36% हो गई, जबकि पारसी आबादी 0.03% से घटकर 0.004% हो गई।

2011 की जनगणना के मुताबिक भारत की आबादी 1.21 अरब है। जिसमें हिंदुओं की आबादी 79.80% और मुस्लिमों की आबादी 14.23% है।

धार्मिक समूह आबादी (%)
हिंदू 79.80
मुस्लिम 14.23
क्रिश्चियन 2.37
सिख 1.72
बौद्ध0.70
जैन 0.37