उत्तराखंड में प्रवासी पक्षियों का आगमन इस साल समय से शुरू हो गया है, परंतु इनकी संख्या पिछले सालों के मुकाबले अभी बहुत कम है, क्योंकि अभी इनके लिए सर्दी बहुत कम है सर्दी बढ़ने पर इनकी तादाद बढ़ेगी। अंतर्राष्ट्रीय पक्षी विज्ञानी और गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के पर्यावरण विज्ञान विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रोफेसर दिनेश चंद्र भट्ट का कहना है कि इस बार अभी तक प्रवासी पक्षियों की 12 प्रजातियां ही उत्तराखंड की विभिन्न नदियों और झीलों में आई है। जिनमें साइबेरिया के सुर्खाब, पनकौवा, चकवा, चकवी, तील, मेलार्ड, सैंड पाइपर, स्पाट बिल डक, रिवर लैपविंग, नेट स्टील्स आदि शामिल है।

देहरादून के विकास नगर क्षेत्र में आसान झील में सबसे पहले दस्तक साइबेरिया के सुर्खाब विदेशी पक्षी ने दी है और सर्दियां बढ़ने के साथ-साथ ही अन्य प्रजातियों के पक्षी भी पहुंचने लगेंगे। कैलाश मानसरोवर तथा उसके आसपास लाल तलाईयों में रहने वाला राजहंस पक्षी अपने जोड़े के साथ नवंबर के प्रथम सप्ताह में उत्तराखंड की झीलों में डेरा डालेंगे। और धीरे-धीरे नवंबर के अंतिम सप्ताह तक उत्तराखंड की सभी झीलें और नदियां प्रवासी पक्षियों के झुंडों से सराबोर हो जाएंगी।

तराई और मैदानी क्षेत्रों में प्रवासी पक्षी

देहरादून के विकास नगर के आसान झील क्षेत्र के वन विभाग के वन दरोगा प्रदीप सक्सेना का कहना है कि उत्तराखंड में प्रवासी पक्षियों का आगमन अक्टूबर के महीने में शुरू हो जाता है और वे यहां पर मार्च तक यहां प्रवास करते हैं।

उत्तराखंड के देहरादून के विकास नगर क्षेत्र में आसान झील के अलावा डाकपत्थर बैराज, ऋषिकेश के वीरभद्र गंगा बैराज, हरिद्वार के भीमगोडा गंगा बैराज, हरिद्वार के कनखल स्थित मिस्सरपुर में गंगा नदी इन प्रवासी पक्षियों के पसंदीदा डेरे हैं। उत्तराखंड के वन विभाग द्वारा प्रवासी पक्षियों की सुरक्षा के लिए गश्त बढ़ा दी गई है और मानवीय हस्तक्षेप को रोकने के निर्देश दिए गए हैं। उत्तराखंड के तराई और मैदानी क्षेत्रों में प्रवासी पक्षी इस बार पिछले साल के मुकाबले समय पर आए हैं और इस बार उनके लिए उत्तराखंड में प्रजनन के लिए मौसम भी अनुकूल दिखाई दे रहा हैं। विज्ञानियों का मानना है कि ऐसा बदलते पर्यावरण के कारण हो रहा है और इस बार पर्वतीय क्षेत्रों में बर्फबारी भी पिछले साल के मुकाबले पहले पड़ने लगी है, जैसे-जैसे ठंड बढ़ती जाती है, प्रवासी पक्षी अपने मूल ठिकानों से उत्तराखंड के तराई और मैदानी क्षेत्रों की ओर कूच कर जाते हैं।

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इस साल मध्य एशिया, मंगोलिया, चीन, साइबेरिया व रूस के पूर्वी क्षेत्रों से आने वाले प्रवासी पक्षियां देहरादून के कालागढ़ क्षेत्र में यमुना घाटी, ऋषिकेश तथा हरिद्वार के गंगा तटों पर आ चुके है। प्रवासी पक्षियों की कुछ प्रजातिया जैसे सुर्खाब, जल काग ,ब्लैकविंग इसटिल्ट, रीवर लैपविंग, स्पाटबिल्ड़ डक, वैगटेल यानी सुदंर नेत्रों वाली खंजन, सैंड पाइपर, ,रीवर टर्न, रेड़नेप्पड़ आइबिस के समूह ऋषिकेश और हरिद्वार के गंगा क्षेत्र पर अपना नया ठिकाना बना चुके हैं। पक्षी वैज्ञानिकों का कहना है कि इस साल अक्तूबर माह के प्रथम सप्ताह में प्रवासी पक्षियों का पहला जत्था देहरादून, हरिद्वार कोटद्वार पहुंचा तो तब इन क्षेत्रों का औसत तापमान 20 से 22 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था।