CM Biren Singh Manipur Violence: मणिपुर पिछले डेढ़ साल से लगातार हिंसा की आग में जल रहा है। राज्य में पिछले कुछ दिनों में हिंसा की घटनाएं तेज हुई हैं और सवाल मोदी सरकार और बीजेपी से पूछा जा रहा है कि आखिर यह हिंसा कब थमेगी? हालात इस कदर खराब हैं कि राजधानी इंफाल में बीजेपी विधायकों-मंत्रियों के घरों पर आगजनी हो रही है और कई जगहों पर तोड़फोड़ हो चुकी है। दो दिनों के भीतर तीन मंत्रियों सहित 9 विधायकों के घरों पर भीड़ हमला कर चुकी है।

ऐसे हालात में जब मंत्री और विधायक ही सुरक्षित नहीं हैं तो यह कैसे भरोसा किया जाए कि इस राज्य में आम लोग महफूज रह पाएंगे?

मोदी सरकार मणिपुर में हालात सामान्य करने में क्यों फेल हो रही है? मणिपुर में शांति की बहाली कब होगी, केंद्र सरकार और बीजेपी इन सवालों का जवाब नहीं दे पा रही है। इस तरह के सवाल न सिर्फ मणिपुर बल्कि पूर्वोत्तर और देश के अन्य हिस्सों से भी सामने आ रहे हैं।

Manipur Violence: मणिपुर में सीएम के खिलाफ मोर्चा (सोर्स – PTI/File)

संकट में है BJP की सरकार

इधर, राज्य की बीजेपी सरकार पर स्थिरता का संकट आ खड़ा हुआ है। सरकार में शामिल नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) ने सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया है। एनपीपी का कहना है कि राज्य सरकार अल्पमत में है। याद दिलाना होगा कि बीजेपी के भीतर पिछले एक साल में कई बार यह आवाज उठी है कि मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह को हटा दिया जाए लेकिन बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व ने अब तक इस बारे में फैसला नहीं लिया है। एन. बीरेन सिंह को आखिर बीजेपी नेतृत्व क्यों नहीं हटाना चाहता?

एनपीपी के एक विधायक ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि कुकी समुदाय के सात विधायक बीजेपी सरकार से नाराज हैं। ऐसे में बीजेपी को विधानसभा में बहुमत साबित करने के लिए संघर्ष करना पड़ सकता है। 60 सदस्यों वाली मणिपुर की विधानसभा में बीजेपी के पास 37 विधायकों का समर्थन है।

मणिपुर में हिंसा को लेकर निशाने पर है बीजेपी। (Source-@kharge/X)

विधानसभा से इस्तीफा देने को तैयार हैं कांग्रेस विधायक

कांग्रेस और तमाम विपक्षी दलों ने मणिपुर में हिंसा को लेकर बीजेपी को घेरा हुआ है। कांग्रेस का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश भर में चुनावी रैलियों को संबोधित कर रहे हैं, विदेश जा रहे हैं लेकिन मणिपुर जाने का वक्त उनके पास नहीं है जबकि लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी दो बार मणिपुर जा चुके हैं। मणिपुर में हिंसा की ताजा घटनाओं के बाद कांग्रेस के विधायक विधानसभा से इस्तीफा देने के लिए तैयार हैं।

इस बीच, बीजेपी के कई विधायक केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मिलने के लिए दिल्ली पहुंचे हैं। अमित शाह ने मणिपुर में हिंसा बढ़ने के बाद महाराष्ट्र के अपने राजनीतिक कार्यक्रमों को रद्द कर दिया और वह गृह मंत्रालय के आला अफसरों के साथ बैठक कर रहे हैं। लेकिन सवाल यह है कि पिछले डेढ़ साल से लगातार बैठकों और चिंतन के बाद भी मोदी सरकार मणिपुर को क्यों नहीं संभाल पा रही है?

बीजेपी के विधायक इबोमचा द इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहते हैं, “कुकी उग्रवादियों द्वारा महिलाओं और बच्चों की हत्या से लेकर घाटी में अफस्पा लागू करने की वजह से लोग नाराज हैं। मंत्रियों और विधायकों के घरों को जला दिया गया है।” एक विधायक जब दिल्ली में थे तो उनके घर को जला दिया गया।

विधायकों की बात क्यों नहीं सुनती पार्टी?

मणिपुर में बीजेपी विधायकों का एक गुट एन. बीरेन सिंह को पद से हटाना चाहता है। उनका कहना है कि एन. बीरेन सिंह तमाम कोशिशों के बाद भी राज्य में हालात सामान्य नहीं कर सके। अब वे चाहते हैं कि केंद्रीय नेतृत्व इस मामले में फैसला करे। कुछ महीने पहले बीजेपी के 19 विधायकों ने केंद्र सरकार को ज्ञापन सौंपकर बताया था कि राज्य में हिंसा खत्म करने के लिए क्या-क्या किया जाना चाहिए?

बीजेपी के विधायकों को इस बात का डर है कि हालात और खराब हो सकते हैं। एक विधायक ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि लोग अपना गुस्सा हम पर निकाल रहे हैं। विधायक का घर भी भीड़ ने बीते शनिवार को जला दिया था। उन्होंने बताया कि कुछ विधायक इस्तीफा देने की बात कर रहे हैं क्योंकि हालात बस के बाहर हो चुके हैं और लोग देख रहे हैं कि हम उनकी मदद नहीं कर सकते। ऐसे में अपने पद पर बने रहना मुश्किल होगा।

एक विधायक ने कहा कि मुख्यमंत्री के पास कोई ताकत नहीं है और सब कुछ सुरक्षा सलाहकार कुलदीप सिंह देख रहे हैं। ऐसा लगता है कि मुख्यमंत्री के हाथ-पैर बांध दिए गए हैं और उन्हें नदी में फेंक दिया गया है। ऐसे में आप उनसे तैरने की उम्मीद कैसे कर सकते हैं?

Manipur Violence: हिंसा में झुलसता मणिपुर (Photo: PTI)

काबू से बाहर हैं हालात

मणिपुर के लोगों के साथ ही पूरे पूर्वोत्तर और भारत के तमाम हिस्सों को मणिपुर में हालात सामान्य होने का इंतजार है। बीजेपी विधायकों के बयानों से साफ पता चलता है कि मणिपुर में हालात काबू से बाहर हैं और इनके जल्द सामान्य होने की कोई उम्मीद भी नहीं दिखाई देती। लेकिन इस खराब दौर में भी यह मानने से इनकार नहीं किया जा सकता कि मणिपुर में शांति का सूरज कभी ना कभी जरूर उगेगा लेकिन इसके लिए केंद्र सरकार को बहुत ठोस कोशिश करनी होगी।