आदित्य धर निर्देशित ‘धुरंधर’ बॉक्स ऑफिस पर ब्लॉकबस्टर साबित हुई है। इसकी रिकॉर्ड तोड़ कमाई यह बताने के लिए काफी है कि रणवीर सिंह की फिल्म ने दर्शकों पर गहरा प्रभाव डाला है। इस एक फिल्म की वजह से पाकिस्तान के कई पहलू चर्चा में आ चुके हैं- चाहे वह गैंगस्टर रहमान डकैत हो, पुलिस अफसर चौधरी असलम हों या ल्यारी कस्बा। हर कोई इन सबके बारे में जानना चाहता है। लेकिन इस फिल्म का एक पहलू ऐसा भी है, जिसे लोग नजरअंदाज कर रहे हैं- फिल्म का टाइटल ‘धुरंधर’।

फिल्म रिलीज़ से पहले एक विवाद छिड़ गया था। सोशल मीडिया पर दावे किए गए कि रणवीर सिंह की ‘धुरंधर’ शहीद मेजर मोहित शर्मा के जीवन पर आधारित है। मामला कोर्ट तक पहुंचा, जिसके बाद यह साफ कर दिया गया कि फिल्म का मेजर मोहित शर्मा से कोई संबंध नहीं है। हालांकि, फिल्म का टाइटल जिस व्यक्ति पर सबसे ज्यादा फिट बैठता है, वह वास्तव में मेजर मोहित शर्मा ही हैं। रणवीर सिंह बड़े पर्दे पर धुरंधर बने हैं, लेकिन असल जिंदगी के सच्चे ‘धुरंधर’ मेजर मोहित शर्मा थे। उनकी कहानी किसी का भी सीना गर्व से चौड़ा कर देती है।

मेजर मोहित शर्मा का शुरुआती जीवन

मेजर मोहित शर्मा का जन्म हरियाणा के रोहतक में हुआ था। बाद में उनका परिवार गाजियाबाद शिफ्ट हो गया और उनकी स्कूली शिक्षा वहीं पूरी हुई। उन्होंने दिल्ली पब्लिक स्कूल, गाजियाबाद से 12वीं पास की और इंजीनियरिंग कॉलेज में एडमिशन लिया। लेकिन किस्मत उन्हें किसी और दिशा में ले जा रही थी- देश सेवा की ओर।

इंजीनियरिंग के साथ-साथ उन्होंने एनडीए की प्रवेश परीक्षा दी और शानदार प्रदर्शन किया। 1995 में भोपाल में आयोजित SSB इंटरव्यू में चयनित होकर वे पुणे के खड़कवासला स्थित NDA पहुंचे। 1998 में उन्होंने देहरादून की IMA में ट्रेनिंग ली और 1999 में भारतीय सेना में शामिल हो गए।

मेजर मोहित की पहली पोस्टिंग और बड़ा सम्मान

मेजर मोहित शर्मा की पहली पोस्टिंग हैदराबाद में 5 मद्रास रेजीमेंट में हुई। 2002 में वे जम्मू-कश्मीर की 38 राष्ट्रीय राइफल्स में पहुंचे। यहीं पर उनके साहस और कार्यशैली के चलते उन्हें COAS Commendation Card मिला।

पैरा स्पेशल फोर्सेज में शामिल हुए मोहित

लेकिन उनका लक्ष्य इससे कहीं बड़ा था। वर्ष 2003 में उन्होंने भारतीय सेना की सबसे प्रतिष्ठित पैरा स्पेशल फोर्सेज जॉइन कर ली। यह उनके करियर का वह मोड़ था, जहां वे सही मायनों में “धुरंधर” बन गए। दो वर्षों तक उन्होंने सबसे कठिन कमांडो ट्रेनिंग ली और अपनी क्षमताओं से सभी वरिष्ठ अधिकारियों को प्रभावित किया।

जब ‘धुरंधर’ बन गए मेजर मोहित

साल 2004 में हिजबुल मुजाहिदीन के दो खूंखार आतंकी — अबू तोरारा और अबू सब्जार LOC पार करने की योजना बना रहे थे। मिशन बेहद चुनौतीपूर्ण था और इसकी ज़िम्मेदारी मेजर मोहित शर्मा को सौंपी गई। इस मिशन की सफलता के लिए उन्होंने अपनी पहचान बदली और “इख्तार भट्ट” नाम से एक नई कहानी गढ़ी। मेजर मोहित ने उन आतंकियों को बताया कि 2001 में उनके भाई की मौत आर्मी चेकपोस्ट पर हुई थी और अब वे बदला लेना चाहते हैं।

उन्होंने इस किरदार को इतनी गहराई से निभाया कि आतंकी भी धोखा खा गए। वे उनके बिल्कुल करीब पहुंच गए और उनका विश्वास जीत लिया। विश्वास ऐसा जीता की आतंकियों ने अपने हथियार तक मेजर मोहित को दे दिए। आखिरकार मौका मिलते ही मेजर मोहित ने अपना ‘धुरंधर’ रूप दिखाया और दोनों आतंकियों को मौत के घाट उतार दिया। इस ऑपरेशन ने उन्हें भारतीय सेना के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में दर्ज कर दिया।

मेजर मोहित का आखिरी मिशन

इसके बाद मेजर मोहित की लोकप्रियता शिखर पर पहुंच गई, हर बड़े मिशन में वे जुड़ते चले गए। इसके बाद 21 मार्च 2009 को कुपवाड़ा (जम्मू-कश्मीर) में कुछ आतंकी छिपे होने की सूचना मिली। मेजर मोहित अपनी टीम के साथ तुरंत ऑपरेशन पर निकले। दुश्मन ऊंचाई पर छिपे थे और ताबड़तोड़ गोलीबारी कर रहे थे। उस गोलीबारी में टीम के चार जवान घायल हो गए, लेकिन मेजर मोहित ने जान की परवाह किए बिना उन्हें सुरक्षित निकाल लिया।

उन्होंने रेडियो पर जवानों को पीछे हटने का आदेश दिया, लेकिन खुद गोलीबारी के बीच जमे रहे। उन्होंने अकेले चार आतंकियों को मार गिराया।

लेकिन इस दौरान वह गंभीर रूप से घायल हो गए और 31 साल की उम्र में देश के लिए सर्वोच्च बलिदान दे दिया। उनके अद्वितीय साहस के लिए सेना ने उन्हें अशोक चक्र से सम्मानित किया।

रणवीर बड़े पर्दे के धुरंधर, मेजर मोहित असल जीवन के

इसके बाद 2019 में गाजियाबाद के राजेंद्र नगर मेट्रो स्टेशन का नाम बदलकर मेजर मोहित शर्मा मेट्रो स्टेशन रखा गया। उनके स्कूल DPS गाजियाबाद में भी उनकी प्रतिमा स्थापित की गई। इस असल कहानी से ही समझ आता है कि रणवीर सिंह बड़े पर्दे के ‘धुरंधर’ हो सकते हैं, लेकिन रीयल लाइफ में धुरंधर मेजर मोहित शर्मा थे। उनकी कहानी साहस, त्याग और देशभक्ति की जीवंत मिसाल है।

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