RSS-BJP Relations: लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजों के बाद यह सवाल उठा था कि क्या राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ने बीजेपी की मदद नहीं की क्योंकि बीजेपी और एनडीए का प्रदर्शन उम्मीदों से विपरीत रहा था। बीजेपी ने अपने लिए 370 और एनडीए के लिए 400 सीटों पर जीत का लक्ष्य रखा था लेकिन दोनों ही इससे काफी दूर रह गए।
ऐसे वक्त में जब महाराष्ट्र में विधानसभा का चुनाव चल रहा है तो पार्टी के बड़े नेता और शिंदे सरकार में कैबिनेट मंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने लोकसभा चुनाव में RSS की भूमिका को लेकर बड़ा बयान दिया है। मुनगंटीवार ने द इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा है कि ऐसा आरोप लगाना पूरी तरह गलत है कि RSS ने लोकसभा चुनाव में कुछ नहीं किया। RSS ने लोकसभा चुनाव के दौरान हमारी मदद की और वह अभी भी कर रहा है।
महाराष्ट्र चुनाव में बीजेपी की चुनाव घोषणापत्र समिति के अध्यक्ष मुनगंटीवार ने कहा कि वह RSS परिवार से जुड़े हुए हैं और RSS का यह तरीका नहीं है कि वह किसी भी राजनीतिक दल के लिए रैलियां करे। उसके स्वयंसेवक बड़े पैमाने पर लोगों से अपील करते हैं और उन्हें राष्ट्रीय हितों से जुड़े मुद्दों के बारे में बताते हैं।
चंद्रपुर जिले की बल्लारपुर सीट से चुनाव लड़ रहे मुनगंटीवार ने कहा कि महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव में भी RSS की भागीदारी लोकसभा चुनाव के बराबर ही है लेकिन लोगों के बड़े समूहों तक पहुंचने के बजाय अब RSS के लोग घर-घर जा रहे हैं। बीजेपी के वरिष्ठ नेता ने कहा कि RSS व्यक्ति पूजा में भरोसा नहीं रखता और उसका समर्पण मातृभूमि के लिए है।
‘माफिया की तरह काम कर रहा वक्फ़ बोर्ड, भ्रष्टाचार का बना अड्डा’, RSS नेता का बड़ा बयान
तीनों दल मिलकर लड़ रहे चुनाव
महाराष्ट्र में टिकट बंटवारे के दौरान महायुति में शामिल दलों (शिंदे गुट की शिवसेना, बीजेपी और अजित पवार गुट की एनसीपी) के बीच बहुत ज्यादा टकराव की खबरें सामने नहीं आई। मुनगंटीवार ने कहा कि महायुति के भीतर सत्ता संघर्ष की जैसी कोई स्थिति नहीं है और तीनों ही दल और इसके नेता सामूहिक टीम के रूप में काम कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि महायुति सरकार द्वारा महिलाओं को 1500 रुपये मासिक देने पर आखिर किसी को क्यों आपत्ति होनी चाहिए और यह हैरानी की बात है कि विपक्ष लड़की बहिन योजना पर सरकार से सवाल कर रहा है।
हरियाणा चुनाव में जमीन पर उतरा RSS
लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद जब पहला बड़ा विधानसभा चुनाव हरियाणा में हुआ तो वहां से इस तरह की स्पष्ट खबरें आई कि RSS ने बीजेपी के उम्मीदवारों के लिए चुनाव में खुलकर काम किया। हर विधानसभा क्षेत्र में लगभग 90 बैठकें की और पार्टी कार्यकर्ताओं और ग्रामीण मतदाताओं के साथ भी 200 बैठकें की। हरियाणा के चुनाव में RSS के स्वयंसेवक घर-घर तक पहुंचे और बीजेपी को चुनाव से जुड़ी जरूरी सलाह भी दी।
हार के बाद RSS ने दी थी BJP को नसीहत
याद दिलाना होगा कि लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद RSS के कई नेताओं ने बीजेपी को नसीहत दी थी। RSS से संबंधित पत्रिका ऑर्गेनाइजर में तो यहां तक कहा गया था कि बीजेपी के नेता सोशल मीडिया पर पोस्ट शेयर करने में व्यस्त रहे और चुनाव के दौरान जमीन पर नहीं उतरे। लोकसभा चुनाव के नतीजों पर बात करते हुए RSS प्रमुख मोहन भागवत ने कहा था कि एक सच्चे स्वयंसेवक में अहंकार नहीं होता है और वह दूसरों को कोई चोट पहुंचाए बिना काम करता है।
RSS के विचारक रतन शारदा ने कहा था कि RSS के कैडर को अहमियत नहीं दी गई और इसे हल्के में लिया गया। उन्होंने कहा था कि बीजेपी में टिकट बंटवारे के दौरान पुराने कार्यकर्ताओं की अनदेखी की गई और पार्टी के खराब प्रदर्शन के पीछे सबसे बड़ी वजह दलबदलुओं को टिकट देना है।
नड्डा के बयान को लेकर नाराज था RSS
लोकसभा चुनाव के दौरान बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का यह बयान कि बीजेपी अब आगे बढ़ चुकी है और अकेले चलने में सक्षम है, काफी चर्चित रहा था। नड्डा ने कहा था, ‘शुरू में हम थोड़ा कम थे, हमें संघ की जरूरत पड़ती थी, आज हम बढ़ गए हैं, सक्षम हैं तो बीजेपी अपने आप को चलाती है।’ रतन शारदा ने कहा था कि नड्डा का ऐसा बयान लोकसभा चुनाव के दौरान नहीं आना चाहिए था। रतन शारदा बचपन से ही संघ से जुड़े हुए हैं। वह मुंबई में संघ में रहकर कई जिम्मेदारियां निभा चुके हैं। रतन शारदा ने गुरुजी यानी संघ के द्वितीय सर संघचालक माधवराव सदाशिवराव गोलवलकर के बारे में प्रख्यात विचारक श्री रंगा हरि द्वारा लिखित दो पुस्तकों का हिंदी से अंग्रेजी में अनुवाद भी किया है।
हेडगेवार ने रखी थी RSS की नींव
आरएसएस छह विभागों के जरिये काम करता है। शारीरिक (फिजिकल), संपर्क (आउटरीच), प्रचार (पब्लिसिटी), बौद्धिक (इंटलेक्चुअल), व्यवस्था (एडमिनिस्ट्रेटिव) और सेवा (सर्विस)। आरएसएस की नींव 1925 में केशव बलिराम हेडगेवार ने रखी थी और वह 1925 से 1930 तक और 1931 से 1940 तक सर संघचालक के पद पर रहे। संघ में सरसंघचालक के बाद सरकार्यवाह की भूमिका बेहद अहम होती है। सरकार्यवाह संघ हर दिन किस तरह काम करता है इस पर नजर बनाए रखते हैं।
आरएसएस के प्रमुख को सरसंघचालक कहा जाता है। मौजूदा वक्त में मोहन भागवत इस पद को संभाल रहे हैं। आरएसएस का मुख्यालय नागपुर में है। सरसंघचालक के नीचे सरकार्यवाह या महासचिव होते हैं। सरकार्यवाह के नीचे सह सरकार्यवाह यानी संयुक्त महासचिव काम करते हैं।
सह सरकार्यवाह के नीचे सेवा प्रमुख, भौतिक प्रमुख, प्रचारक प्रमुख, सह सेवा प्रमुख, सह बौद्धिक प्रमुख, सह प्रचार प्रमुख काम करते हैं। उनके नीचे संपर्क प्रमुख, शारीरिक प्रमुख, सह संपर्क प्रमुख, सह शारीरिक प्रमुख, प्रचार प्रमुख, व्यवस्था प्रमुख, सह प्रचार प्रमुख और सह व्यवस्था प्रमुख अपनी-अपनी जिम्मेदारियां को निभाते हैं।