महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) के प्रमुख राज ठाकरे ने लोकसभा चुनाव 2024 में एनडीए को समर्थन देने का ऐलान किया है। महाराष्ट्र में एनडीए में बीजेपी के अलावा मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाली शिवसेना और उपमुख्यमंत्री अजीत पवार की एनसीपी शामिल हैं। ये तीनों ही दल मिलकर महाराष्ट्र में सरकार चला रहे हैं।

क्या राज ठाकरे महाराष्ट्र में वाकई बीजेपी और एनडीए की कुछ मदद कर सकते हैं। इसके लिए राज ठाकरे की सियासी हैसियत के बारे में बात करना जरूरी होगा

Maharashtra Navnirman Sena Politics: कैसा रहा मनसे का प्रदर्शन

आइए एक नजर डालते हैं कि मनसे का प्रदर्शन पिछले कुछ चुनाव में कैसा रहा है। यहां इस बात का जिक्र करना जरूरी है कि इस चुनाव में बीजेपी का समर्थन करने वाले राज ठाकरे ने 2019 के लोकसभा चुनाव में मनसे के किसी उम्मीदवार को चुनाव मैदान में नहीं उतारा था और खुलकर बीजेपी का विरोध किया था। पहले देखते हैं पिछले लोकसभा चुनावों में मनसे का प्रदर्शन कैसा रहा।

लोकसभा चुनावकितने मिले वोटकितनी सीटों पर लड़ीकितनी सीटें जीती
2009  4.1%11 0
20141.5%100
2019

बीते महाराष्‍ट्र व‍िधानसभा चुनाव में एमएनएस का प्रदर्शन

विधानसभा चुनावकितने मिले वोटकितनी सीटों पर लड़ीकितनी सीटें जीती
20095.71%14313
20143.2%2191
20192.25%1011

चुनावी आंकड़ों को देखने के बाद यह साफ है कि पिछले कुछ विधानसभा और लोकसभा चुनाव में मनसे की ताकत लगातार गिरती गई है।

मुंबई, पुणे और नासिक में है मनसे का आधार

मुंबई मेट्रोपॉलिटन रीजन यानी एमएमआर में लोकसभा की 10 सीटें आती हैं। मुंबई में लोकसभा की छह सीटें हैं जबकि एमएमआर में चार सीटें हैं। मुंबई की छह सीटों में- मुंबई उत्तर, मुंबई उत्तर पूर्व, मुंबई उत्तर पश्चिम, मुंबई उत्तर मध्य, मुंबई दक्षिण और मुंबई दक्षिण मध्य शामिल हैं। एमएमआर में ठाणे, कल्याण, भिवंडी और पालघर की सीट शामिल है।

बीजेपी की कोशिश राज ठाकरे के जरिए इन 10 सीटों पर मराठी समुदाय के ज्यादा से ज्यादा वोट बटोरने की है। राज ठाकरे का समर्थन मिलने के बाद बीजेपी के नेताओं का कहना है कि महाराष्ट्र में एनडीए के उम्मीदवारों को मुंबई, पुणे और नासिक के लोकसभा क्षेत्रों में अतिरिक्त 20 से 30000 वोटों का समर्थन मिल सकता है। मनसे का मुख्य आधार भी मुंबई, नासिक और पुणे में ही है।

BJP Narendra Modi
चुनावी सभा को संबोधित करते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी। (PC- PTI)

2019 Maharashtra Lok Sabha Election: 2019 में एनडीए रहा था हावी

48 लोकसभा सीटों वाले महाराष्ट्र में 2019 में बीजेपी को 23 सीटों पर जीत मिली थी जबकि पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में लड़ी अविभाजित शिवसेना ने 18 सीटें जीती थी। शरद पवार की अगुवाई वाली एनसीपी को 4 सीटों पर जबकि कांग्रेस को एक सीट पर जीत मिली थी। एक-एक सीट एआईएमआईएम और निर्दलीय के खाते में गई थी।

आंकड़ों से पता चलता है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में एनडीए का प्रदर्शन काफी बेहतर रहा था।

BJP Shiv sena Alliance: 2019 में साथ थीं बीजेपी और शिवेसना

बताना होगा कि महाराष्ट्र में साल 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी और शिवेसना साथ थीं। नवंबर, 2019 में हुए विधानसभा चुनाव में शिवसेना ने बीजेपी से नाता तोड़ लिया था और कांग्रेस, एनसीपी के साथ गठबंधन कर सरकार बनाई थी। इस गठबंधन को महाविकास अघाडी (एमवीए) नाम दिया गया था।

जून, 2022 में शिवसेना में टूट होने के बाद एकनाथ शिंदे ने बीजेपी के साथ मिलकर महाराष्ट्र में सरकार बनाई थी। बीते साल एनसीपी में भी टूट हुई थी और अजीत पवार के नेतृत्व में एनसीपी के विधायक पार्टी से अलग हो गए थे। अजीत पवार को शिंदे-बीजेपी सरकार में उप मुख्यमंत्री बनाया गया।

Maratha Reservation: मराठा आरक्षण का मुद्दा

महाराष्ट्र में पिछले कुछ महीनों में मराठा आरक्षण का मुद्दा बेहद गर्म रहा है। मराठा आरक्षण की मांग को लेकर सामाजिक कार्यकर्ता मनोज जरांगे ने 17 दिन तक अनशन किया था। महाराष्ट्र के मराठा समुदाय के लिए मराठा आरक्षण बेहद भावनात्मक मुद्दा है। महाराष्ट्र की कुल आबादी में मराठा समुदाय 28% है।

राज ठाकरे मराठी मानुष की राजनीति करते हैं, ऐसे में उनके साथ आने से बीजेपी मराठा समुदाय के गुस्से को शांत करने की कोशिश करेगी। मनोज जरांगे ने कहा है कि अगर मराठा समुदाय को आरक्षण नहीं मिला, तो वे पांच जून से फिर अनशन पर बैठेंगे। उन्होंने एनडीए सरकार की आलोचना करते हुए कहा है कि उसने मराठा आरक्षण मुद्दे पर फैसले को सात महीने तक टालकर मराठा समुदाय को धोखा दिया है। ऐसे में मराठा समुदाय की नाराजगी को लेकर एनडीए के दलों में भी चिंता है।

Congress Rahul Gandhi
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी। (PC-PTI)

उत्तर भारतीयों की नाराजगी का खतरा

राज ठाकरे के साथ आने से बीजेपी और एनडीए को उत्तर भारतीय मतदाताओं की नाराजगी का भी सामना करना पड़ सकता है। क्योंकि मनसे के कार्यकर्ताओं द्वारा पिछले कुछ सालों में उत्तर भारतीयों के साथ मारपीट की कई घटनाओं को लेकर अच्छा-खासा शोर हो चुका है।