न सिर्फ महाराष्ट्र बल्कि देश की राजनीति में भी बेहद अहम माने जाने वाले बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) के चुनाव में महा विकास अघाड़ी (एमवीए) के साथ ही इंडिया गठबंधन भी पूरी तरह दरक गया है।
बीएमसी के चुनाव के लिए 15 जनवरी को वोटिंग होनी है और उससे पहले तमाम कोशिशों के बाद भी एमवीए में शामिल दल एकजुट नहीं हो सके।
एमवीए में शामिल उद्धव ठाकरे की शिवसेना ने महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना से हाथ मिला तो कांग्रेस ने इससे पहले ही एमवीए से अलग होकर चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया था। कांग्रेस ने तर्क दिया कि वह मनसे के साथ गठबंधन नहीं कर सकती क्योंकि कई मुद्दों को लेकर उसका इस पार्टी के प्रमुख राज ठाकरे से वैचारिक मतभेद है।
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सपा, आप ने भी उतारे उम्मीदवार
शिवसेना (यूबीटी), कांग्रेस और एनसीपी (शरद पवार) के अलावा राष्ट्रीय स्तर पर इंडिया गठबंधन में शामिल आम आदमी पार्टी और समाजवादी पार्टी ने भी बीएमसी चुनाव में अपने उम्मीदवार उतार दिए हैं।
लोकसभा चुनाव 2024 से पहले केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार और एनडीए गठबंधन को चुनौती देने के लिए इंडिया गठबंधन बनाया गया था। लोकसभा चुनाव में इस गठबंधन ने अच्छा प्रदर्शन किया और बीजेपी को अकेले दम पर बहुमत पाने से रोक दिया लेकिन उसके बाद यह गठबंधन हरियाणा, महाराष्ट्र, दिल्ली और बिहार के चुनाव में फेल रहा।
ऐसे में सीधा सवाल यह है कि बिखरा हुआ विपक्ष बीएमसी के चुनाव में क्या महायुति के सामने कोई चुनौती खड़ी कर पाएगा? बीएमसी में 227 वार्ड हैं।
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स्थानीय निकाय में महायुति की बड़ी जीत
महाराष्ट्र में हाल ही में हुए स्थानीय निकायों के चुनाव में भी बीजेपी और उसके सहयोगी दलों- अजित पवार की एनसीपी और एकनाथ शिंदे की शिवसेना ने बहुत अच्छा प्रदर्शन किया था और इससे भी इस गठबंधन को विपक्षी दलों पर मनोवैज्ञानिक बढ़त मिली है। निश्चित रूप से इस तरह के राजनीतिक हालात महायुति के लिए बहुत फायदेमंद साबित होंगे।
महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव में जिस तरह की बड़ी जीत बीजेपी की अगुवाई वाली महायुति को मिली थी, उसके बाद स्थानीय निकाय के चुनाव में भी महायुति ने खुद को साबित किया है। दूसरी ओर, एमवीए के साथ ही इंडिया गठबंधन में शामिल अन्य विपक्षी दल भी अलग-अलग चुनाव लड़ रहे हैं।
ऐसे में बीएमसी के चुनाव में महायुति के सामने कोई बड़ी चुनौती नजर नहीं आती।
