बिहार में 7 मई को तीसरे चरण में जिन सीटों पर मतदान होना है, उनमें- मधेपुरा, भी शामिल है। मधेपुरा को यादव लैंड ऑफ बिहार भी कहा जाता है। यहां पर 1967 के बाद से ही सिर्फ यादव समुदाय के नेता को ही जीत मिली है। मधेपुरा में एक प्रचलित कहावत है- रोम पोप का, मधेपुरा गोप का। इसका मतलब है- रोम पोप का है और मधेपुरा यादवों का है। यह सीट समाजवादी नेताओं कर्पूरी ठाकुर और किराय मुसहर का गढ़ रही है। ये दोनों ही नेता अविभाजित मधेपुरा सीट से चुनाव जीते थे।
14 लाख से ज्यादा मतदाताओं वाले इस लोकसभा क्षेत्र में 5 लाख यादव मतदाता हैं। 2 लाख मुस्लिम, डेढ़ लाख राजपूत, 3 लाख ओबीसी बनिया, 2 लाख ब्राह्मण और 2.5 लाख अति पिछड़ा समुदाय के मतदाता भी यहां हैं।
मधेपुरा सीट पर महागठबंधन की भी परीक्षा होनी है। क्योंकि यहां यादव और मुस्लिम मतदाताओं की अच्छी संख्या है। यादव और मुस्लिम मतदाताओं को आरजेडी का कोर वोट बैंक माना जाता है।
Madhepura Lok Sabha: मधेपुरा से कब किसे मिली जीत
| साल | जीते सांसद का नाम |
| 1967 | बी. पी. मंडल |
| 1968 (उपचुनाव) | बी. पी. मंडल |
| 1971 | राजेंद्र प्रसाद यादव |
| 1977 | बी. पी. मंडल |
| 1980 | राजेंद्र प्रसाद यादव |
| 1984 | महावीर प्रसाद यादव |
| 1989 | रमेंद्र कुमार यादव |
| 1991 | शरद यादव |
| 1996 | शरद यादव |
| 1998 | लालू प्रसाद यादव |
| 1999 | शरद यादव |
| 2004 | लालू प्रसाद यादव |
| 2004 (उपचुनाव) | पप्पू यादव |
| 2009 | शरद यादव |
| 2014 | पप्पू यादव |
| 2019 | दिनेश चंद्र यादव |
2020 Bihar Assembly election: 5 सीटों पर जीता था एनडीए
मधेपुरा लोकसभा सीट में छह विधानसभा सीट शामिल हैं। मधेपुरा जिले में- मधेपुरा, आलमगंज और बिहारीगंज, सहरसा जिले में- सोनबरसा, सहरसा और महिषी सीट हैं। 2020 के विधानसभा चुनाव में आलमगंज, बिहारीगंज, सोनबरसा और महिषी सीट पर जेडीयू को जीत मिली थी जबकि मधेपुरा में आरजेडी और सहरसा में बीजेपी को जीत मिली थी।

Pappu Yadav Purnea: पप्पू यादव ने किया किनारा
2014 के लोकसभा चुनाव में यहां से राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव जीते थे। लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में पप्पू यादव तीसरे नंबर पर आए और उन्हें 1 लाख से भी कम वोट मिले। 2020 के विधानसभा चुनाव में भी पप्पू यादव यहां तीसरे नंबर पर आए। इसके बाद वे मधेपुरा छोड़कर चले गए। पप्पू यादव ने इस बार पूर्णिया लोकसभा सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा है।
मधेपुरा ऐसी सीट है जहां से पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव भी चुनाव जीते हैं। शरद यादव ने भी यहां से चार बार चुनाव जीता था और चार बार वह चुनाव हारे भी थे।

adhepura NDA Candidate : एनडीए-आरजेडी में है मुकाबला
मधेपुरा में जेडीयू के मौजूदा सांसद दिनेश चंद्र यादव इस बार फिर से एनडीए के उम्मीदवार हैं जबकि राजद ने यहां से चंद्रदीप यादव को टिकट दिया है। चंद्रदीप यादव पूर्व सांसद रामेंद्र यादव उर्फ रवि के बेटे हैं। मधेपुरा में कुछ लोगों का कहना है कि सांसद ने शायद ही कभी अपने लोकसभा क्षेत्र का दौरा किया हो या पिछले 5 सालों में कोई बड़ा काम किया हो।
दिनेश चंद्र यादव यादवों की ही एक उपजाति से संबंध रखते हैं और इस लोकसभा सीट पर उनकी जाति के 50000 मतदाता हैं। इसके अलावा मधेपुरा लोकसभा सीट पर ही आने वाले सहरसा में भी उनका प्रभाव है। कुछ अपवादों को छोड़ दिया जाए तो यहां पर सवर्ण समुदाय के मतदाता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ हैं। सवर्ण समुदाय के लोगों का कहना है कि मोदी देश के लिए काम कर रहे हैं।
ओबीसी समुदाय के तहत आने वाले कुर्मी और कुशवाहा मतदाता और अति पिछड़ा समुदाय के एक बड़े हिस्से में यहां मोदी काफी लोकप्रिय दिखाई देते हैं।

2019 के लोकसभा चुनाव में बिहार में इंडिया गठबंधन या महागठबंधन का प्रदर्शन बहुत खराब रहा था और उसे बिहार की 40 में से सिर्फ एक सीट पर जीत मिली थी। देखना होगा कि क्या इंडिया गठबंधन इस बार अपने पिछले प्रदर्शन में कुछ सुधार कर पाएगा?
