चुनाव परिणाम आने के बाद अक्सर सबसे ज्यादा सवाल EVM पर ही उठाए जाते हैं पर इस बार कुछ अलग देखने को मिला। लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजे आने के बाद ना तो हारने वाले और ना ही जीतने वाले दलों ने ईवीएम को लेकर कोई हंगामा किया। इसका मुख्य कारण इस बार के आम चुनाव के अप्रत्याशित नतीजे रहे जिसमें बीजेपी को 240 और कांग्रेस को 99 सीटों पर जीत हासिल हुई। हालांकि, परिणाम के बाद अब चुनाव आयोग को ईवीएम वेर‍िफ‍िकेशन की 8 अर्ज़ियां मिली हैं।

हार के बाद ईवीएम पर सवाल उठाने वाले विपक्षी दलों पर तंज़ कसते हुए हाल ही में पीएम मोदी ने सवाल किया था कि चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद क्या ईवीएम मर गयी या जिंदा थी? नवनिर्वाचित सांसदों को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा था, “4 जून से पहले विपक्ष लगातार ईवीएम पर आरोप लगा रहा था और भारत की लोकतांत्रिक प्रक्रिया में जनता के विश्वास को कम करने के लिए प्रतिबद्ध था। मुझे लगा कि वे ईवीएम का अंतिम संस्कार जुलूस निकालेंगे।”

ईवीएम/वीवीपैट वेरिफिकेशन की मांग करने वाले 11 आवेदन

हालांकि, अब मामला कुछ अलग है। चुनाव आयोग ने गुरुवार को घोषणा की कि अपने निर्वाचन क्षेत्रों के ईवीएम/वीवीपैट वेरिफिकेशन की मांग करने वाले उम्मीदवारों के 11 आवेदन प्राप्त हुए हैं। कुल मिलाकर, आठ लोकसभा क्षेत्रों में EVM/VVPAT वेरिफिकेशन के लिए आवेदन भेज दिए गए हैं, जिसमें 92 पोलिंग स्टेशन शामिल हैं। वहीं, विधानसभा चुनावों में दो राज्यों के 26 मतदान केंद्रों पर तीन आवेदन भेजे गए हैं।

इन आवेदनों का मतलब है कि इनमें से प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र में 5% ईवीएम में डाले गए वोटों का दोबारा मिलान किया जाए।

सुप्रीम कोर्ट ने दिया था वेरिफिकेशन का आदेश

गौरतलब है कि किसी भी चुनाव में उपविजेताओं के अनुरोध पर सत्यापन की अनुमति देने के 24 अप्रैल के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद यह पहली बार है कि इस तरह के अनुरोध प्राप्त हुए हैं। चुनाव आयोग के एक बयान के अनुसार, लोकसभा चुनावों के लिए आठ वेरिफिकेशन अनुरोध प्राप्त हुए, जिनमें भाजपा और कांग्रेस से तीन-तीन रिक्वेस्ट थीं जबकि तीन रिक्वेस्ट विधानसभा चुनावों के लिए थे।

बीजेपी और कांग्रेस उम्मीदवारों के तीन-तीन आवेदन

लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों में, अहमदनगर (महाराष्ट्र), वेल्लोर (तमिलनाडु), और जहीराबाद (तेलंगाना) में भाजपा उम्मीदवारों की ओर से तीन आवेदन आए। वहीं, कांकेर (छत्तीसगढ़), फ़रीदाबाद (हरियाणा), और करनाल (हरियाणा) में कांग्रेस के तीन उम्मीदवारों के आवेदन आए। विरुधुनगर (तमिलनाडु) में देसिया मुरपोक्कू द्रविड़ कड़गम (डीएमडीके) के उम्मीदवार और विजयनगरम (आंध्र प्रदेश) से युवजन श्रमिक रायथू कांग्रेस पार्टी (वाईएसआरसीपी) के एक-एक उम्मीदवार ने भी आवेदन किया।

विधानसभा चुनाव में ईवीएम वेरिफिकेशन के लिए दो अनुरोध ओडिशा में बीजू जनता दल के उम्मीदवारों से आए थे जबकि एक आंध्र प्रदेश में वाईएसआरसीपी उम्मीदवार से आया था।

बीजेपी उम्‍मीदवार ने की सबसे ज्‍यादा 40 बूथ पर ईवीएम वेर‍िफ‍िकेशन की मांग

भाजपा के सुजय विखे-पाटिल, जो एनसीपी (शरदचंद्र पवार) गुट के नीलेश लंके से 28,000 से अधिक वोटों से हार गए, उन्होंने महाराष्ट्र के अहमदनगर में 40 मतदान केंद्रों पर वेरिफिकेशन के लिए आवेदन किया है। इतनी संख्‍या में बूथ पर ईवीएम वेर‍िफ‍िकेशन की मांग बाकी क‍िसी आवेदक ने नहीं की है।

तमिलनाडु के वेल्लोर में एसी शनमुगम और तेलंगाना के ज़हीराबाद में हारने वाले बीबी पाटिल ने भी ईसीआई का रुख किया है।

वहीं, जिन तीन कांग्रेस उम्मीदवारों ने आवेदन दिया है, उनमें छत्तीसगढ़ के कांकेर से पार्टी कैंडीडेट बीरेश ठाकुर हैं जो भाजपा उम्मीदवार से 1,884 वोटों से हार गए थे। दूसरी करनाल में कांग्रेस की दिव्यांशी बुद्धिराजा हैं जो पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्टर से 2.3 लाख वोटों से हार गईं थी और तीसरे महेंद्र प्रताप सिंह जो हरियाणा के फरीदाबाद में 1.3 लाख वोटों से हार गए।

विधानसभा चुनाव परिणामों के बाद भी सत्यापन की मांग

तमिलनाडु के विरुधुनगर में डीएमडीके उम्मीदवार विजयप्रभाकरन वी, जो कांग्रेस के मनिकम टैगोर बी से 4,379 वोटों से हार गए थे, उन्होंने 14 मतदान केंद्रों पर वेरिफिकेशन के लिए आवेदन दायर किया है। आंध्र प्रदेश के विजयनगरम में वाईएसआर कांग्रेस के बेलाना चंद्रशेखर ने 2.4 लाख वोटों से हार के बाद आवेदन किया है।

विधानसभा चुनावों की बात की जाये तो बीजेडी उम्मीदवार दीपाली दास ने भाजपा से मामूली हार के बाद ओडिशा के झारसुगुड़ा में 13 मतदान केंद्रों पर सत्यापन की मांग की है। आंध्र प्रदेश में गजपतिनगरम और ओंगोल के विधानसभा क्षेत्रों में वाईएसआर कांग्रेस के उम्मीदवारों ने भी क्रमशः 1 और 12 मतदान केंद्रों में सत्यापन की मांग की है।

ECI ने जारी की थी SOP

इस साल के लोकसभा चुनावों में पहली बार एक निर्वाचन क्षेत्र में दो उपविजेता उम्मीदवारों को 4 जून को परिणाम घोषणा दिवस के सात दिनों के भीतर छेड़छाड़ या किसी गड़बड़ी के लिए ईवीएम/वीवीपैट माइक्रोकंट्रोलर के सत्यापन की मांग करने का मौका मिला। सुप्रीम कोर्ट के अप्रैल 2024 के आदेश के बाद, ईसीआई ने 1 जून को आवेदन प्रक्रिया के लिए एक विस्तृत मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) जारी की थी। जिसके मुताबिक, वेरिफिकेशन ऐप्लीकेशन का स्टेटस जानने के चार हफ्ते के भीतर राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों द्वारा जांच और सत्यापन प्रक्रिया शुरू की जा सकती है। वर्तमान चुनाव चक्र के लिए यह समय सीमा 19 जुलाई है, यानी परिणाम घोषित होने की तारीख से 45 दिन।

कितनी है वेरिफिकेशन प्रक्रिया की लागत

इसके अनुसार वेरिफिकेशन प्रक्रिया की लागत है। ईसीआई के मुताबिक, 2024-25 के चुनाव चक्र के लिए प्रत्येक ईवीएम यूनिट (कंट्रोल यूनिट, बैलेट यूनिट और वीवीपैट सहित) की जांच और सत्यापन के लिए 40,000 रुपये प्लस 18% जीएसटी खर्च होगा। हालांकि, अगर सत्यापन प्रक्रिया के दौरान ईवीएम इकाई से छेड़छाड़ साबित हो जाती है तो यह लागत वापस कर दी जाएगी।

चुनाव आयोग ने वीवीपैट की शुरुआत क्यों की थी?

साल 2010 में चुनाव आयोग ने ईवीएम से होने वाले मतदान की प्रक्रिया को और अधिक पारदर्शी बनाने पर चर्चा के लिए राजनीतिक दलों के साथ एक बैठक की थी। उसी बैठक में वीवीपैट का विचार सबसे पहले सामने आया था।

पिछले कुछ सालों से बार-बार यह सवाल उठाया जा रहा है कि वीवीपैट की सभी पर्चियों को ना गिनकर, रेंडमली सेलेक्टेड पांच पोलिंग बूथ की वीवीपैट पर्चियों को ही क्यों गिना जाता है? दरअसल, साल 2018 में चुनाव आयोग ने भारतीय सांख्यिकी संस्थान (ISI) से “गणितीय रूप से सही, सांख्यिकीय रूप से ठोस और व्यावहारिक रूप से पर्याप्त” एक सैंपल साइज की मांग की ताकि EVM द्वारा डाले गए वोटों के साथ VVPAT पर्चियों की ऑडिट की जा सके।

अधिक पोलिंग बूथ पर वेरिफिकेशन की मांग

फरवरी 2018 में चुनाव आयोग ने प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र से किसी एक मतदान केंद्र पर VVPAT पर्चियों की गिनती का आदेश दिया था। अप्रैल 2019 में TDP नेता चंद्रबाबू नायडू द्वारा दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद इसे बढ़ाकर पांच मतदान केंद्रों तक कर दिया गया था। संबंधित निर्वाचन अधिकारी लॉटरी के माध्यम से पांच मतदान केंद्रों का चयन करते हैं, और इसके लिए उम्मीदवारों/उनके एजेंटों को बुलाया जाता है।

हालांकि, विपक्षी पार्टियां वोटिंग को और अधिक पारदर्शी बनाने के लिए अधिक पोलिंग बूथ पर वेरिफिकेशन की मांग लगातार कर रही हैं। पार्टियों ने 50% से 100% तक VVPAT पर्चियों के गिनती की मांग उठाई है।