2019 के लोकसभा चुनावों में, 1.06 प्रतिशत मतदाताओं ने किसी भी पार्टी को नहीं चुनते हुए NOTA का बटन दबाया था। यह 2014 के लोकसभा चुनावों के 1.08 प्रतिशत से कम था। कई राज्यों में यह प्रतिशत 2% से ज्यादा तो ज्यादातर राज्यों में लगभग 1 प्रतिशत मतदाताओं ने नोटा का बटन दबाया था।
आंकड़ों पर राज्यवार नजर डालने से पता चलता है कि 2019 में, बिहार में सबसे ज्यादा (2 प्रतिशत) लोगों ने नोटा का बटन दबाया था। इसके बाद आंध्र प्रदेश (1.54 प्रतिशत) और छत्तीसगढ़ (1.44 प्रतिशत) में लोगों ने किसी भी दल के स्थान पर नोटा का बटन दबाना जरूरी समझा। केंद्र शासित प्रदेशों में, दमन और दीव (1.70) में सबसे अधिक नोटा वोट पड़े थे।
डाक मतपत्र से भेजे गए 22,272 NOTA वोट
2019 के लोकसभा चुनावों में कुल 6.52 मिलियन नोटा वोट पड़े थे, जिनमें से 22,272 वोट डाक मतपत्र थे। 2014 में, मेघालय (2.80 प्रतिशत) में सबसे अधिक नोटा वोट पड़े थे। उसके बाद छत्तीसगढ़ (1.83 प्रतिशत) और गुजरात (1.76 प्रतिशत) का स्थान रहा। केंद्र शासित प्रदेशों में, पुड्डुचेरी में सबसे अधिक 3 प्रतिशत NOTA वोट दर्ज किया गया। 2014 में 6.02 मिलियन नोटा वोट पड़े थे।
नोटा का प्रावधान पहली बार दिसंबर 2013 में छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, मिजोरम, दिल्ली और राजस्थान के विधानसभा चुनावों के दौरान किया गया था। तब से, यह सभी विधानसभा और लोकसभा चुनावों में शामिल हुआ है।
2019 के लोकसभा चुनाव में NOTA का प्रतिशत
2019 में, लगभग 1.06% मतदाताओं ने महसूस किया कि कोई भी उम्मीदवार उनके वोट का हकदार नहीं है और NOTA का बटन दबाया। वहीं, 2014 के लोकसभा चुनाव में लगभग 1.08% मतदाताओं ने NOTA दबाया था। 2019 का लोकसभा चुनाव छह हफ्ते तक चला था और लोकसभा चुनाव के इतिहास में सबसे अधिक मतदान दर्ज किया गया था। चुनाव आयोग के अनुसार, 2019 में मतदान प्रतिशत 67.11% रहा था। इस चुनाव में सबसे अधिक असम और बिहार में 2.08% लोगों ने NOTA का बटन दबाया था, वहीं सिक्किम में सबसे कम 0.65% लोगों ने NOTA को चुना था।
लोकसभा क्षेत्र | NOTA (प्रतिशत) |
गोपालगंज | 5.03 |
बस्तर | 4.56 |
पश्चिम चंपारण | 4.51 |
अरुकु | 4.45 |
जमुई | 4.16 |
लोकसभा चुनाव 2014 में NOTA का प्रतिशत
इस लोकसभा चुनाव में लगभग 60 लाख मतदाताओं ने ‘उपरोक्त में से कोई नहीं’ (NOTA) विकल्प चुना था। अपने मताधिकार का प्रयोग करते हुए, देश के 59,97,054 मतदाताओं ने EVM पर नोटा बटन दबाया, जो 543 सीटों पर इन चुनावों के दौरान डाले गए कुल वोटों के 1.1 प्रतिशत के बराबर था। NOTA दबाने वाले मतदाताओं का अधिकतम प्रतिशत पुडुचेरी में था, जहां कुल वोटों का 3 प्रतिशत नोटा था (कुल 22,268 वोट)
इसके बाद मेघालय में 2.8 फीसदी, गुजरात में 1.8 फीसदी, छत्तीसगढ़ में 1.8 फीसदी, दादरा और नगर हवेली में 1.8 फीसदी वोट नोटा को मिले थे। नोटा के तुलनात्मक रूप से अधिक प्रतिशत वाले अन्य राज्यों में बिहार- 1.6 प्रतिशत, ओडिशा- 1.5 प्रतिशत, मिजोरम- 1.5 प्रतिशत, झारखंड- 1.5 प्रतिशत, दमन और दीव- 1.5 प्रतिशत थे। जिन राज्यों में नोटा का कम प्रतिशत था, उनमें लक्षद्वीप 0.3 प्रतिशत, हरियाणा 0.3 प्रतिशत, नागालैंड 0.3 प्रतिशत और पंजाब 0.4 प्रतिशत थे।
लोकसभा क्षेत्र | NOTA (प्रतिशत) |
बस्तर | 5.04 |
नीलगिरी | 4.99 |
नबरंगपुर | 4.34 |
तुरा | 4.19 |
दाहोद | 3.58 |
पिछले 5 सालों में 1.29 करोड़ वोट NOTA को
2018 से 2022 के बीच पांच वर्षों में राज्य और आम चुनावों में नोटा के लिए लगभग 1.29 करोड़ वोट डाले गए। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) और नेशनल इलेक्शन वॉच (NEW) ने 2018 से 2022 के दौरान विभिन्न चुनावों में NOTA को मिले वोटों की संख्या का विश्लेषण किया। रिपोर्ट के अनुसार, राज्य विधानसभा चुनाव में औसतन 64.53 लाख वोट नोटा को पड़े। रिपोर्ट में कहा गया है कि कुल मिलाकर नोटा को 65,23,975 (1.06 प्रतिशत) वोट मिले।
कैसे हुई NOTA की शुरुआत?
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद चुनावों के लिए ईवीएम पर नोटा बटन की शुरुआत के 10 साल से अधिक समय बाद भी, इसे चुनने वाले मतदाताओं की संख्या अभी भी कम है। विशेषज्ञ इसे बिना दांत का टाइगर कहते हैं जिसका परिणामों पर कोई असर नहीं पड़ता है। NOTA को सितंबर 2013 में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भारत के चुनावों में शुरू किया गया था। दागी उम्मीदवारों को मैदान में उतारने से पार्टियों को रोकने के लिए नोटा को पेश करने की आवश्यकता महसूस की गई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को मतपत्रों/ईवीएम में आवश्यक प्रावधान करने का निर्देश दिया ताकि मतदाता मैदान में किसी भी उम्मीदवार को वोट न देने का फैसला कर सकें। सितंबर 2013 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद, चुनाव आयोग ने वोटिंग पैनल पर अंतिम विकल्प के रूप में ईवीएम पर नोटा बटन जोड़ा। शीर्ष अदालत के आदेश से पहले, जो लोग किसी भी उम्मीदवार को वोट देने के इच्छुक नहीं थे, उनके पास फॉर्म 49-O भरने का विकल्प था।