लोकसभा चुनाव 2024 में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने केरल की वायनाड और उत्तर प्रदेश की रायबरेली दोनों सीटों से जीत दर्ज की है। पर, नियानमानुसार राहुल केवल एक सीट से ही सांसद रह सकते हैं। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह है कि राहुल दोनों में से कौन सी सीट खाली करेंगे? इस सवाल का जवाब राहुल ने 17 जून की शाम को दे दिया। उन्होंने ऐलान किया कि वायनाड से उनकी बहन प्रियंका गांधी चुनाव लड़ेंगी और वह खुद रायबरेली से सांसद रहेंगे।
इससे एक दिन पहले इंडियन एक्सप्रेस के ‘डेल्ही कॉन्फिडेंशियल’ कॉलम में छपा था कि राहुल गांधी के कार्यालय ने उनके इस्तीफे के संबंध में प्रक्रिया जानने के लिए लोकसभा सचिवालय से संपर्क किया था।
चूंकि, राहुल ने रायबरेली और वायनाड दोनों सीटों से जीत हासिल की है और उन्हें चुनाव के 14 दिनों के भीतर एक सीट छोड़नी थी।
क्या है इस्तीफे से जुड़ा नियम और प्रक्रिया?
आर्टिकल 240 (1) का तहत अगर कोई सदस्य लोकसभा या किसी सीट से इस्तीफा देना चाहता है तो उसे सदन के स्पीकर को अपने हाथ से लिखित पत्र के रूप में इसकी सूचना देनी होगी। हालांकि, उन्हें इस्तीफे का कोई कारण बताना जरूरी नहीं होगा।
नियम के अनुसार, अगर कोई सदस्य अपना इस्तीफा सौंपता है और कहता है कि यह इस्तीफा स्वैच्छिक और वास्तविक है और स्पीकर को उसकी बात सही लगती है तो वह तुरंत इस्तीफा स्वीकार कर सकते हैं। वहीं, अगर स्पीकर को इस्तीफा या तो डाक से या किसी अन्य व्यक्ति के माध्यम से मिलता है तो वह पूछताछ कर सकते हैं जब तक कि वह संतुष्ट न हो जाएं कि इस्तीफा स्वैच्छिक है। वहीं, अगर स्पीकर को लगता है कि इस्तीफा स्वैच्छिक या सही नहीं है तो वह इस्तीफा स्वीकार नहीं करेंगे।

स्पीकर द्वारा स्वीकार किए जाने से पहले वापस लिया जा सकता है इस्तीफा
स्पीकर द्वारा स्वीकार किए जाने से पहले किसी भी समय सदस्य अपना त्यागपत्र वापस ले सकता है। इस्तीफा स्वीकार करने के बाद स्पीकर जितनी जल्दी हो सके सदस्य द्वारा सीट से त्यागपत्र देने के संबंध में सदन को सूचित करते हैं।
महासचिव, स्पीकर द्वारा इस्तीफा स्वीकार कर लेने के बाद बुलेटिन और गैजेट पर इसकी जानकारी पब्लिश करता है और उसकी एक कॉपी चुनाव आयोग को भेजता है ताकि खाली हुई सीट को जल्द से जल्द भरा जा सके। संविधान के अनुच्छेद 101 के खंड (4) के तहत सदस्य की सीट रिक्त घोषित की जायेगी।
चुनाव परिणाम घोषित होने के 14 दिनों में देना होगा इस्तीफा
संविधान के तहत कोई व्यक्ति एक साथ संसद के दोनों सदनों या संसद और राज्य विधानमंडल दोनों का सदस्य नहीं हो सकता है, ना ही एक सदन में एक से ज़्यादा सीटों का प्रतिनिधित्व कर सकता है। संविधान के अनुच्छेद 101(1) में जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 68(1) के तहत अगर कोई दो सीटों से चुनाव जीतता है तो उसे चुने जाने की तिथि से 14 दिन के भीतर एक सीट से सांसदी छोड़नी होती है। अगर वह चुनाव परिणाम घोषित होने के 14 दिनों के भीतर एक सीट से इस्तीफा नहीं देता है, तो उसकी दोनों सीटें रिक्त हो जाएंगी।

ऐसे में राहुल गांधी को भी 18 जून तक चुनाव आय़ोग को सूचना देनी होगी कि वह किस सीट से सांसदी बरकरार रखेंगे और कौन सी सीट छोड़ेंगे, नहीं तो दोनों सीटों पर से उनका दावा खत्म हो जाएगा। जनप्रतिनिधित्व कानून, 1951 की धारा 33(7) के तहत कोई भी व्यक्ति दो संसदीय क्षेत्रों से चुनाव लड़ सकता है।
दो सीटों पर नहीं रह सकता कोई सांसद
जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 151A के अनुसार, निर्वाचन आयोग को संसद के दोनों सदनों और राज्यों के विधायी सदनों में खाली सीटों को रिक्त होने की तिथि से 6 महीने के भीतर उपचुनाव कराना होगा। जुलाई 2004 में मुख्य चुनाव आयुक्त ने प्रधानमंत्री से धारा 33(7) में संशोधन करने का आग्रह किया था, वरना दो सीटों से चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवार को उस सीट पर उपचुनाव का खर्च उठाना चाहिए जिसे वह छोड़ने का फैसला करता है। ECI ने सुझाव दिया कि उम्मीदवार को विधानसभा सीट पर उपचुनाव कराने के लिए 5 लाख रुपये और लोकसभा सीट पर 10 लाख रुपये का योगदान देना चाहिए।
जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 किसी व्यक्ति को आम चुनाव या उपचुनाव में अधिकतम दो निर्वाचन क्षेत्रों से लड़ने की अनुमति देता है लेकिन उम्मीदवार केवल एक ही सीट बरकरार रख सकता है। 1996 के संशोधन से पहले, किसी व्यक्ति द्वारा चुनाव लड़ने की सीटों की संख्या पर कोई प्रतिबंध नहीं था।

जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 33(7) को अमान्य घोषित करने के लिए याचिका
2023 में, भाजपा सदस्य और वकील अश्विनी उपाध्याय ने जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 33(7) को अमान्य घोषित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट (SC) में याचिका दायर की। उन्होंने याचिका में तर्क दियाथा कि चूंकि ‘एक व्यक्ति एक वोट’ हमारे लोकतंत्र के आधारभूत सिद्धांत में से एक है इसलिए ‘एक उम्मीदवार एक निर्वाचन क्षेत्र’ भी होना चाहिए। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने उनकी याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि यह विधायी नीति का मामला है।
इस्तीफा देने के बाद सांसद के पास कितनी शक्तियां बचती हैं?
पद से इस्तीफा देने के बाद एक सांसद से लगभग सभी शक्तियां छिन जाती हैं। हालांकि, इस्तीफे के बाद भी कुछ अधिकार बने रहते हैं। जैसे- चिकित्सीय सुविधाएं और पेंशन मिलती है। संसद में आ-जा सकते हैं लेकिन किसी कार्यवाही में हिस्सा नहीं ले सकते हैं। इस्तीफे के बाद सांसद न तो सवाल उठा सकते हैं और न ही कार्यवाही के दौरान सदन में मौजूद रह सकते हैं।

वायनाड में राहुल गांधी की जीत का अंतर
केरल की वायनाड सीट पर मुख्य मुक़ाबला कांग्रेस के राहुल गांधी, सीपीआई की एनी राजा और बीजेपी के के सुरेंद्रन के बीच था। राहुल ने यहां 3.6 लाख वोटों के अंतर से जीत हासिल की। राहुल को जहां 6.4 लाख, वहीं दूसरे स्थान पर रही एनी राजा को 2.8 लाख वोट मिले थे।
पार्टी | उम्मीदवार | वोट प्रतिशत |
कांग्रेस | राहुल गांधी | 59.69 |
सीपीआई | एनी राजा | 26.09 |
बीजेपी | के सुरेंद्रन | 13.00 |
रायबरेली में राहुल गांधी की जीत का अंतर
यूपी की रायबरेली सीट से भी राहुल ने 3.9 लाख वोटों के अंतर से जीत दर्ज की। यहां मुक़ाबला कांग्रेस के राहुल गांधी और बीजेपी के दिनेश प्रताप सिंह के बीच था। राहुल को जहां 6.8 लाख, वहीं दिनेश को 2.9 लाख वोट मिले थे।
पार्टी | उम्मीदवार | वोट प्रतिशत |
कांग्रेस | राहुल गांधी | 66.17 |
बीजेपी | दिनेश प्रताप सिंह | 28.64 |
बीएसपी | ठाकुर प्रसाद यादव | 2.08 |
रायबरेली या वायनाड कौन सी सीट छोड़ेंगे राहुल?
चुनाव परिणाम आने के बाद जब राहुल से पूछा गया था कि वह किस सीट को छोड़ेंगे तो उन्होंने कहा था, “दोनों सीटों के वोटर्स का दिल से धन्यवाद करना चाहूंगा। हालांकि, मैंने इस पर अभी फैसला नहीं लिया है कि किस सीट को छोड़ूंगा। इसे लेकर थोड़ी चर्चा करूंगा, इसके बाद फैसला लूंगा।” ऐसे में आइये जानते हैं क्या है लोकसभा से इस्तीफा देने का नियम।