लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजे बीजेपी के लिए मनमाफिक नहीं रहे। परिणाम सामने आने के बाद से ही एनडीए में खटपट की खबरें भी आनी शुरू हो गयी हैं। एक तरफ जहां महाराष्ट्र में शिवसेना (शिंदे गुट) और एनसीपी (अजित गुट) मोदी कैबिनेट में जगह नहीं मिलने से नाराज बताए जा रहे हैं। वहीं, राष्ट्रीय लोक मोर्चा के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा के एक सोशल मीडिया पोस्ट से भी अंदाजा लगाया जा रहा है कि बिहार में बीजेपी और एनडीए में सब कुछ ठीक नहीं है।

सबसे पहले बात करते हैं बिहार की, जहां गया से बीजेपी के दो बार सांसद रहे हरि मांझी ने पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। उन्होंने सोशल मीडिया पर एक के बाद एक कई पोस्ट कर कहा कि सम्राट ने लोकसभा चुनाव में हेल‍िकॉप्टर से खूब प्रचार किया मगर वे अपनी जाति (कुशवाहा) के वोट भी पार्टी को नहींं दिलवा सके। इस कारण औरंगाबाद, काराकाट, बक्सर और आरा में बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा।

मांझी ने सम्राट चौधरी के खिलाफ खोला मोर्चा

मांझी ने एक अन्य पोस्ट में कहा कि उन्होंने चुनाव से पहले सम्राट चौधरी को कई बार फोन किए लेकिन उन्होंने बात नहीं की। इससे पहले एक पोस्ट में हरि मांझी ने बिहार में बीजेपी का अध्यक्ष बदलने की मांग की थी। उन्होंने कहा कि बिहार में जो भी अगला अध्यक्ष हो वो कम से कम हम जैसे कार्यकर्ताओं की सुध ले। वह अपनी क्षेत्र की बात रखने के लिए समय दे। ये सब चीजें सिर्फ घोर भाजपाई में ही मिल सकती है।

बिहार भाजपा में नहीं है सबकुछ ठीक

इस चुनाव में बिहार में पिछली बार की तुलना में एनडीए को 9 सीटों का नुकसान हुआ है। जिसके बाद एनडीए में सबकुछ टीक नहीं होने की खबरें सामने आ रही हैं। राष्ट्रीय लोक मोर्चा के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने अखबार में छपी एक खबर के साथ सोशल मीडिया पर एक पोस्ट किया।

कुशवाहा ने लिखा है, “एनडीए के सभी घटक दलों के नेताओं से करबद्ध निवेदन है कि ऐसी खबरों को पब्लिक डोमेन में जाने से रोकें-बचें क्योंकि इस तरह की खबरें आपस में कटुता बना-बढ़ा सकती है। आरोप-प्रत्यारोप की स्थिति को जन्म दे सकती है। चुनाव परिणाम की समीक्षा अतिआवश्यक है परन्तु यह हमारा आंतरिक मामला है।” खबर में लिखा है कि विस्तारकों ने कहा बीजेपी को जेडीयू का वोट ट्रांसफर नहीं हुआ।

उपेंद्र कुशवाहा की नाराजगी

इससे पहले उपेंद्र कुशवाहा ने अपनी हार पर नाराजगी जताई थी। 6 जून को पटना एयरपोर्ट पर उपेंद्र कुशवाहा ने मीडिया से बात करते हुए कहा था, “हारा हूं या हराया गया हूं। सबको मालूम है सबको पता है सारी चीजें। चूक हुई या चूक करवाया गया ये सबको मालूम है। हमें खुलकर बोलने की जरूरत नहीं है। पवन सिंह फैक्टर बना या बनाया गया ये सबको पता है। हमको कुछ नहीं कहना है। सभी लोगों को पता है सब कुछ। अब किसी से इस बारे में बात करके क्या फायदा।”

गौरतलब है कि कुशवाहा बिहार के काराकाट से एनडीए के उम्मीदवार थे मगर परिणाम सामने आने पर वह तीसरे स्थान पर रहे। काराकाट लोकसभा सीट से सीपीआईएम के राजा राम सिंह ने बाजी मारी। वहीं, निर्दलीय पवन सिंह दूसरे स्थान पर रहे।

कैसी रही NDA के दलों की परफॉरमेंस?

बीजेपी ने इस बार के आम चुनाव में 240 सीटें जीतीं हैं, जो 2019 के लोकसभा चुनाव की तुलना में 63 सीटें कम हैं। इस बार पार्टी का स्ट्राइक रेट 54.42% रहा। एनडीए में शामिल एलजेपी (रामविलास) का स्ट्राइक रेट 100% रहा, पार्टी ने बिहार से लोकसभा चुनाव में लड़ी गई सभी 5 सीटों पर जीत हासिल की।

पार्टी स्ट्राइक रेट (%)
बीजेपी 54.42
टीडीपी 94.12
जेडीयू 75
एलजेपी 100

महाराष्ट्र में एनसीपी-शिवसेना नाराज

अब बात करते हैं महाराष्ट्र की, जहां एनडीए के दो घटक दल एनसीपी और शिवसेना नाराज बताए जाते हैं। मोदी कैबिनेट में शिवसेना को एक राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) मिला है। 7 सांसद होने के बावजूद कैबिनेट में जगह नहीं मिलने की वजह से शिवसेना नेता श्रीरंग बारणे ने नाराजगी जाहिर की है।

श्रीरंग ने कहा कि एनडीए में जो पार्टियां 4- 5 सीटें जीती हैं उन्हें भी कैबिनेट मंत्री का पद दिया गया है। वहीं, हमने 7 सीटें जीती हैं लेकिन एक भी कैबिनेट पद नहीं दिया गया है। शिंदे गुट की शिवसेना के सांसद प्रतापराव जाधव में केंद्र की नई सरकार में राज्य मंत्री की जिम्मेदारी मिली है। हालांकि, शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे के बेटे श्रीकांत शिंदे ने श्रीरंग बारणे के बयान का खंडन किया है। उन्होंने बिना शर्त मोदी सरकार को समर्थन की बात कही है।

‘सरकार को बिना शर्त समर्थन’

श्रीकांत ने कहा, “हमने पहले ही साफ कर दिया है कि हम सरकार को बिना शर्त समर्थन दे रहे हैं। इस देश को प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व की जरूरत है। सत्ता के लिए कोई सौदेबाजी या बातचीत नहीं है। हमने एक वैचारिक गठबंधन को बिना शर्त समर्थन दिया है। हम चाहते हैं कि प्रधानमंत्री मोदी राष्ट्र निर्माण के महान कार्य को आगे बढ़ाएं। पार्टी, सभी विधायक और सांसद एनडीए के प्रति पूरी निष्ठा से प्रतिबद्ध हैं।”

मोदी कैबिनेट में जगह नहीं मिलने से खफा एनसीपी

दूसरी ओर, अजित पवार की एनसीपी भी मोदी कैबिनेट में जगह नहीं मिलने से खफा है। भाजपा की ओर से एनसीपी को राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) की पेशकश हुई थी मगर एनसीपी ने इसे ठुकरा दिया। एनसीपी कैबिनेट मंत्री से नीचे कुछ भी मानने को तैयार नहीं है।

सूत्रों का कहना है कि एनसीपी प्रफुल्ल पटेल को केंद्र में भेजना चाहती थी। एनसीपी की नाराजगी की वजह यह भी है कि बिहार में जीतन राम मांझी को कैबिनेट में शामिल किया गया है जबकि उनकी पार्टी ने भी एक ही सीट जीती है। गौरतलब है कि एनसीपी ने महाराष्ट्र में 4 सीटों पर चुनाव लड़ा था मगर उन्हें जीत सिर्फ एक सीट पर मिली है।

छगन भुजबल नाराज?

एनसीपी अध्यक्ष अजित पवार की पत्नी सुनेत्रा पवार को गुरुवार को राज्यसभा उपचुनाव के लिए पार्टी के उम्मीदवार के रूप में नामित किया गया। इससे एनसीपी में कई लोगों के नाराज होने की संभावना है। हालांकि पार्टी के वरिष्ठ नेता और मंत्री छगन भुजबल ने दावा किया कि वह इस नामांकन के लिए अपना दावा खारिज होने से नाराज नहीं हैं। भुजबल से इससे पहले राज्यसभा सदस्य बनने की अपनी इच्छा के बारे में बताया था।

सुनेत्रा के नॉमिनेशन पर छगन ने कहा, ”पार्टी के कोर ग्रुप के सदस्यों ने सर्वसम्मति से सुनेत्रा पवार को राज्यसभा सीट देने का फैसला किया है। मेरे सहित कई लोग यह सीट चाहते थे लेकिन चर्चा के बाद हमने फैसला किया है कि सुनेत्रा पवार को राज्यसभा भेजा जाना चाहिए।’ मैं इस फैसले से बिल्कुल भी निराश नहीं हूं। हमने पार्टी के लिए यह फैसला लिया है।” उन्होंने कहा, “जब आप किसी पार्टी में काम करते हैं, तो आपको कुछ त्याग करना पड़ता है। पार्टी का हित सर्वोपरि है।”

यूपी में बेटे की हार पर बिफरे संजय निषाद

उत्तर प्रदेश में भी बीजेपी महज 33 सीटें जीत पायी। निषाद पार्टी के नेता संजय निषाद के बेट प्रवीण निषाद भी संत कबीरनगर से चुनाव हार गए। बेटे की हार पर संजय निषाद ने कहा कि बीजेपी की वजह से मेरा बेटा चुनाव हार गया। यूपी में बीजेपी के खराब प्रदर्शन पर मंत्री धर्मवीर प्रजापति ने कहा कि संविधान और आरक्षण बीजेपी के लिए नुकसानदेह साबित हुआ। हम इन आरोपों का जवाब नहीं दे पाए। कुछ उम्मीदवार के खिलाफ नाराजगी थी, इसका आकलन नहीं हुआ।

झारखंड में आजसू नाराज

वहीं, गिरिडीह लोकसभा सीट से लगातार दूसरी बार जीतने वाले आजसू सांसद चंद्रप्रकाश चौधरी भी मोदी कैबिनेट 3.0 में जगह नहीं मिलने से नाराज हैं। उन्होंने कहा कि एनडीए के घटक दलों की बैठक में सभी को उचित प्रतिनिधित्व देने की बात कही गई थी मगर मोदी मंत्रिमंडल में आजसू को नजरअंदाज किया गया है। गठबंधन धर्म के तहत सभी दल को सम्मान मिलना चाहिए और पार्टी स्तर पर हम सभी इस मामले पर विचार कर आगे की रणनीति तय करेंगे। हालांकि, आजसू चीफ सुदेश महतो ने अब तक इस पर खुलकर कुछ नहीं बोला है।