लोकसभा चुनाव 2024 में पांच चरणों का मतदान हो चुका है। 427 संसदीय क्षेत्रों के आंकड़ों का विश्लेषण करने से पता चलता है कि 115 (27 प्रतिशत) में 2019 की तुलना में कम लोग वोट करने आए। यहां बात वोटिंंग पर्सेंटेज की नहीं हो रही है, बल्कि मतदान करने वाले मतदाताओं की कुल संख्या की हो रही है। भारत के इतिहास में शायद ही ऐसा कभी हुआ हो। यह कहना है ऑल इंडिया प्रोफेशनल्स कांग्रेस के चेयरमैन और कांग्रेस के डाटा एनालिस्ट प्रवीण चक्रवर्ती का।
चक्रवर्ती ने ‘द हिंदू’ अखबार में एक लेख के जरिए आंकड़ों का विश्लेषण किया है और इस पर सवाल भी खड़ा किया है।
प्रवीण ने यह तर्क भी दिया है कि हर पांच साल में वोटर्स की संख्या बढ़ती ही है। ऐसे में मतदान का प्रतिशत ऊपर-नीचे हो सकता है, लेकिन मतदान करने वालों की कुल संख्या में कमी हैरान करने वाली है।
अगर 2024 के चुनावों की बात की जाए तो लगभग एक-तिहाई निर्वाचन क्षेत्रों में 2019 के चुनावों की तुलना में मतदान करने वालों की संख्या घटी है। टेबल में देखें
घटता-बढ़ता है मतदान प्रतिशत
बता दें कि इस बार मतदान प्रतिशत के आंकड़ों को लेकर भी विवाद हो गया है। अंतिम आंकड़े जारी करने में देरी और शुरुआती और अंतिम आंकड़ों में अंतर को लेकर चुनाव आयोग सवालों के घेरे में है। लेकिन, प्रवीण चक्रवर्ती का कहना है कि मतदान प्रतिशत से ज्यादा सटीक आंकड़ा मतदाताओं की कुल संख्या का है।

इसके पीछे वह तर्क देते हैं कि मतदान प्रतिशत मतदाता सूची में मतदाताओं की कुल संख्या पर आधारित होता है। मतदाता सूची रजिस्टर्ड नए मतदाताओं की संख्या के साथ-साथ लिस्ट से हटाए गए (मृत या माइग्रेटेड मतदाताओं आदि) की संख्या पर निर्भर करती है। ये सूची कितनी पुख्ता होगी, यह इस बात पर निर्भर होगा कि चुनाव आयोग ने किस स्तर तक नए मतदाता लिस्ट में जोड़े हैं और मृत या दूसरे क्षेत्र में जा चुके मतदाताओं को हटाया है। इस लिहाज से कितने लोग मतदान करने आए, इस संख्या के आधार पर चुनाव का आंकलन करना ज्यादा तर्कसंगत है।
पिछले बार की तुलना में इस चुनाव में अब तक 4% बढ़ा मतदान प्रतिशत
पांचवे चरण तक 2024 के चुनाव में 505 मिलियन से अधिक लोगों ने मतदान किया जबकि 2019 में 485 मिलियन लोगों ने मतदान किया था, जोकि केवल 4% की वृद्धि है। 2014 की तुलना में 2019 में इन्हीं निर्वाचन क्षेत्रों में मतदान करने वाले कुल मतदाताओं में 12% की वृद्धि दर्ज हुई थी। ऐसे में यह साफ है कि पिछले चुनावों की तुलना में वर्तमान चुनाव में मतदाताओं की कुल संख्या में महत्वपूर्ण गिरावट आई है।
प्रवीण चक्रवर्ती के मुताबिक इससे भी अधिक चौंकाने वाली बात यह है कि 115 निर्वाचन क्षेत्रों में 2019 की तुलना में मतदाताओं की कुल संख्या में गिरावट आई है, जो भारत जैसे देश में आश्चर्यजनक है।
चुनावी वर्ष | कुल मतदान (प्रतिशत) |
1951 | 45.67 |
1957 | 47.74 |
1962 | 55.42 |
1967 | 61.04 |
1971 | 55.27 |
1977 | 60.49 |
1980 | 56.92 |
1984-85 | 64.01 |
1989 | 61.95 |
1991-92 | 55.88 |
1996 | 57.94 |
1998 | 61.97 |
1999 | 59.99 |
2004 | 58.07 |
2009 | 58.21 |
2014 | 66.44 |
2019 | 67.40 |
इनमें से किसी भी निर्वाचन क्षेत्र में 2014 में कुल मतदाताओं की संख्या में गिरावट नहीं हुई थी और 2019 में केवल 19 में ऐसा हुआ था। चक्रवर्ती बताते हैं कि केरल, मध्य प्रदेश, राजस्थान, तमिलनाडु, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश वे राज्य हैं जहां के सबसे ज्यादा संसदीय क्षेत्रों में मतदाताओं की कुल संख्या में कमी पाई गई है। प्रवीण चक्रवर्ती कहते हैं कि चुनाव आयोग को इसका कारण समझाना चाहिए।

संदेह के दायरे में है चुनाव आयोग?
2019 के विपरीत इस आम चुनाव में किसी भी निर्वाचन क्षेत्र में डाले गए वोटों की पूर्ण संख्या जारी नहीं करने के लिए चुनाव आयोग संदेह के दायरे में आ गया है। ECI ने केवल मतदान प्रतिशत प्रकाशित किया वो भी देरी के बाद। पहले चरण के मतदान के 11 दिनों के बाद 19 अप्रैल को और 26 अप्रैल को दूसरे चरण के मतदान के चार दिन बाद डाटा रिलीज किया गया।
7 मई को, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने इंडिया गठबंधन के नेताओं को पत्र लिखकर कहा कि ईसीआई द्वारा जारी मतदान डेटा गंभीर संदेह पैदा करता है। उन्होंने इस बात पर भी चिंता व्यक्त की कि अपने 52 साल के चुनावी जीवन में उन्होंने अंतिम प्रकाशित आंकड़ों में मतदान प्रतिशत में इतनी अधिक वृद्धि कभी नहीं देखी।

चुनाव आयोग ने देर से जारी किए मतदान के आंकड़े
19 अप्रैल को शाम 7 बजे आयोग द्वारा जारी पहले चरण के लिए अंतिम मतदान प्रतिशत लगभग 60% था और 26 अप्रैल को दूसरे चरण के लिए 60.96% था। हालांकि, पहले चरण के लिए 30 अप्रैल को जारी अंतिम आंकड़े 66.14% (5.5% से अधिक की वृद्धि) और दूसरे चरण के लिए 66.71% (5.74% से अधिक की वृद्धि) थे।
कोर्ट भी गया मामला
ADR ने मतदान खत्म होने के तुरंत बाद ईसीआई द्वारा जारी किए गए प्रारंभिक मतदान आंकड़ों और उसके बाद प्रकाशित अंतिम मतदाता प्रतिशत में एक बड़ा अंतर बताया गया है। इस तरह की विसंगतियों ने सार्वजनिक डोमेन में उपलब्ध मतदान डेटा की प्रामाणिकता और मतगणना चरण में हेरफेर की संभावना के बारे में विपक्ष ने तीखे सवाल उठाए हैं।
20 मई को, इस मामले में वकील महमूद प्राचा द्वारा एक हस्तक्षेप आवेदन भी दायर किया गया था। उन्होंने एक स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में रामपुर लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा था। उन्होंने आरोप लगाया कि संबंधित रिटर्निंग ऑफिसर (आरओ) ने चुनाव संचालन नियम, 1961 (1961 नियम) के तहत उनके निर्वाचन क्षेत्र में डाले गए वोटों के फॉर्म 17 रिकॉर्ड की प्रतियां उपलब्ध नहीं कराई थीं।

इसी तरह की चिंताओं को व्यक्त करते हुए सिविल सोसाइटी के सदस्यों और कुछ पूर्व ब्यूरोक्रेट्स ने भी शीर्ष चुनाव निकाय को लिखा है, जिसमें हर मतदान केंद्र के मतदाता मतदान के प्रमाणित रिकॉर्ड को सीआई वेबसाइट के माध्यम से तुरंत रिलीज करने का आग्रह किया गया है।
2024 के चुनाव में कितने वोटर्स?
लोकसभा चुनाव 2024 की घोषणा से पहले चुनाव आयोग ने बताया था कि देश में 96.8 करोड़ मतदाता हैं जिनमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 49.7 करोड़ है जबकि महिला मतदाताओं की संख्या 47.1 करोड़ है। वहीं, इस साल 21 करोड़ से ज्यादा नौजवान मतदाता हैं। चुनाव परिणामों पर असर डालने वाले तीन फैक्टर्स में से महिलाएं, युवा और अनुसूचित जाति (SC) हैं.
2019 के चुनाव में कितने थे वोटर्स?
मतदाता | संख्या (करोड़) |
महिला | 29.41 |
पुरुष | 31.67 |
थर्ड जेंडर | 5682 |
एनआरआई | 25606 |
कुल | 91.05 |