लोकसभा चुनाव 2024 में पूरा जोर लगाने के बाद भी बीजेपी की अगुवाई वाला एनडीए गठबंधन अपने लक्ष्य से काफी पीछे रह गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एनडीए के लिए 400 सीटें जीतने का नारा दिया था लेकिन एनडीए सिर्फ 293 सीटें ही जीत सका। बीजेपी भी पिछली बार उसे मिली 303 सीटों के मुकाबले सिर्फ 240 सीटें जीत सकी।
फिर भी एनडीए के पास सरकार चलाने के लिए जरूरी बहुमत है लेकिन बीजेपी के लिए यह जरूरी है कि सहयोगी दल मजबूती के साथ एनडीए गठबंधन से जुड़े रहें। क्योंकि कांग्रेस के नेृतत्व वाले इंडिया गठबंधन की भी एनडीए के सहयोगी दलों पर नजर है।
ऐसे में जब शुक्रवार को संसद के सेंट्रल हॉल में एनडीए के सहयोगी दलों के तमाम नेता मंच पर मौजूद थे तो एक दिलचस्प वाकया हुआ।
बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पिछली मोदी सरकार में मंत्री भूपेंद्र यादव माइक से जरूरी अनाउंसमेंट कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष जयंत चौधरी का नाम लिया और एनडीए के तमाम सांसदों से अपील की कि वे उनका स्वागत करें। इस दौरान भूपेंद्र यादव ने जब ‘तीसरी बार मोदी सरकार’ का नारा लगाया तो पार्टी के एक अन्य नेता ने उनसे इसमें बदलाव करने के लिए कहा और कहा कि यादव को ‘तीसरी बार एनडीए सरकार’ का नारा लगाना चाहिए।

निश्चित रूप से जिस तरह का जनादेश एनडीए को मिला है, ऐसे में बीजेपी के लिए 2014 और 2019 की तरह सरकार चलाना आसान नहीं होगा क्योंकि तब बीजेपी के पास अपने दम पर बहुमत था। लेकिन इस बार बीजेपी को सरकार चलाने के लिए सहयोगी दलों की सख्त जरूरत है।
इसीलिए ‘तीसरी बार एनडीए सरकार’ के नारे का मतलब है कि बीजेपी एनडीए के सभी घटक दलों को जोड़कर इस गठबंधन को मजबूत बनाए रखे और साथ ही यह गठबंधन किसी एक नेता के बजाय सामूहिक नेतृत्व में आगे बढ़े। आने वाले सालों में एनडीए अपनी इसी रणनीतिक लाइन पर सरकार चलाते हुए आगे बढ़ता दिख सकता है।
सेंट्रल हॉल में हुई इस बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य बीजेपी नेताओं के साथ राष्ट्रीय लोकदल (आरएलडी) के अध्यक्ष जयंत चौधरी, टीडीपी प्रमुख चंद्रबाबू नायडू, जेडीयू अध्यक्ष नीतीश कुमार, शिवसेना प्रमुख एकनाथ शिंदे, एलजेपी (रामविलास) प्रमुख चिराग पासवान, जन सेना पार्टी प्रमुख पवन कल्याण, जेडी (एस) नेता एचडी कुमारस्वामी, एनसीपी के प्रमुख अजित पवार, अपना दल (सोनेलाल) की प्रमुख अनुप्रिया पटेल और हम के अध्यक्ष जीतन राम मांझी भी मौजूद थे। लेकिन जयंत अन्य सांसदों के साथ तीसरी पंक्ति में थे। इसे विपक्ष ने मुद्दा भी बनाया था।

एनडीए गठबंधन में बीजेपी की 240 सीटों के अलावा टीडीपी के पास 16, जेडीयू के पास 12, एकनाथ शिंदे की शिवसेना के पास 7, एनसीपी के पास एक, आरएलडी के पास दो और कुछ सीटें अन्य दलों के पास हैं।
इंडिया गठबंधन को मिली 233 सीटें
कांग्रेस के नेतृत्व में चुनाव लड़े इंडिया गठबंधन ने इस बार शानदार प्रदर्शन किया और वह 233 सीटें जीतने में कामयाब रहा। कांग्रेस ने अपने पिछले प्रदर्शन में जबरदस्त सुधार किया। कांग्रेस को पिछले चुनाव में 52 सीटों पर जीत मिली थी लेकिन इस बार उसने 99 सीटें जीती। इंडिया गठबंधन के अन्य दलों में समाजवादी पार्टी ने 37, टीएमसी ने 29, डीएमके ने 22, शिवसेना यूबीटी ने 9, आम आदमी पार्टी ने तीन, झारखंड मुक्ति मोर्चा ने तीन और कुछ सीटें अन्य दलों ने जीती हैं।

11 लाख वोटों से जीते लालवानी
मध्य प्रदेश की इंदौर सीट पर बीजेपी के शंकर लालवानी 11 लाख से अधिक वोटों के अंतर से चुनाव जीते जो सबसे ज्यादा मार्जिन है। मुंबई की नॉर्थ वेस्ट सीट पर सबसे कम अंतर से जीत हुई है। यहां शिवसेना (यूबीटी) के रविंद्र दत्ताराम वायकर ने 48 वोटों के अंतर से जीत हासिल की।
किस मार्जिन से हुआ कितनी सीटों का फैसला
मार्जिन | सीटों की संख्या |
1000 से कम | 3 |
1000-10,000 | 17 |
10,000-50,000 | 97 |
50,000 से 1 लाख | 120 |
1 लाख से 3 लाख | 232 |
3 लाख से 6 लाख | 67 |
6 लाख से ज्यादा | 7 |