लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजे भाजपा के लिए खराब रहे हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने अकेले दम पर 303 सीटों पर जीत हासिल की थी लेकिन इस बार वह सिर्फ 240 सीटों पर ही जीत दर्ज कर सकी है। इस तरह वह पिछली बार के अपने आंकड़े से 63 सीटें पीछे रह गई है। हालांकि एनडीए की अगुवाई में उसने सरकार बनाने के लिए जरूरी 272 सीटों का आंकड़ा हासिल कर लिया है।

लोकसभा चुनाव का ऐलान होने से पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीजेपी के लिए 370 सीटें जीतने का टारगेट तय कर दिया था। उन्होंने इसे जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाए जाने से जोड़ा था। बीजेपी के तमाम नेताओं ने अपनी चुनावी रैलियों में पार्टी को 370 सीटें देने की अपील जनता से की थी। लेकिन जो हुआ वह भाजपा की उम्मीदों के बिल्कुल उलट था। इस तरह बीजेपी ने इस बार 67 सीटें बढ़ाने का टारगेट रखा था।

NDA 293 Seats 2024 Election: पिछली बार से पीछे रहा एनडीए

बताना होगा कि एनडीए को इस चुनाव में कुल 293 सीटों पर जीत मिली है। इसमें से बीजेपी की 240 सीटों के अलावा, टीडीपी को 16, शिवसेना को 7, जेडीयू को 12 और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) को पांच सीटों पर कामयाबी मिली है। एनडीए को पिछली बार 353 सीटों पर जीत मिली थी।

जबकि कांग्रेस की अगुवाई वाले इंडिया गठबंधन ने 233 सीटें जीती हैं।

कांग्रेस ने अपने पिछले प्रदर्शन में सुधार करते हुए 99 सीटें जीती हैं जबकि पिछले चुनाव में उसे सिर्फ 52 सीटें मिली थीं। सपा ने भी अपने प्रदर्शन में जबरदस्त सुधार किया है और पिछली बार मिली 5 सीटों के मुकाबले पार्टी को इस बार 37 सीटों पर जीत मिली है। टीएमसी ने 29, डीएमके ने 22 और उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाली शिवसेना ने 9 सीटें जीती हैं। अन्य दलों और निर्दलीयों को 18 सीटों पर जीत मिली है।

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(बायें से दायें) (चंद्रशेखर आजाद और मायावती) (Source- PTI)

UP Lok Sabha Results 2024: यूपी में 29 सीटों का हुआ नुकसान

बीजेपी को पिछली बार से जो 63 सीटें कम मिली हैं, उसमें से 29 सीटों का नुकसान तो उसे अकेले उत्तर प्रदेश में हुआ है। 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को उत्तर प्रदेश में अपने दम पर 62 सीटों पर जीत मिली थी। लेकिन इस बार पार्टी 33 सीटें ही जीत सकी है।

राज्य 2019 में मिली सीटेंगंवाई सीटें
उत्तर प्रदेश 6229
महाराष्ट्र 2314
पश्चिम बंगाल 186
राजस्थान 2511
बिहार175
कर्नाटक 258
हरियाणा 105

Smriti Irani Amethi: मोदी सरकार के 6 मंत्री हारे

उत्तर प्रदेश के प्रदर्शन को इसलिए बीजेपी के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने यहां काफी ताकत लगाई थी। खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पूरे प्रदेश में पार्टी के उम्मीदवारों के लिए धुआंधार प्रचार किया था। लेकिन बावजूद इसके उत्तर प्रदेश से आने वाले मोदी सरकार के 6 मंत्रियों को चुनाव में हार का मुंह देखना पड़ा। इसमें अमेठी से चुनाव हारने वाली स्मृति ईरानी का नाम प्रमुख हैं।

स्मृति ईरानी को अमेठी सीट से गांधी परिवार के करीबी किशोरी लाल शर्मा ने 1.6 लाख वोटों से चुनाव हराया है। लखीमपुर खीरी सीट से केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी को भी हार मिली है। टेनी के बेटे पर आरोप है कि उसने प्रदर्शन कर रहे किसानों को अपनी थार गाड़ी से कुचल दिया था। विपक्ष ने इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाया था।

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वाराणसी में बीजेपी का प्लान फेल (Source- Jansatta)

इसके अलावा जालौन से भानु सिंह वर्मा, चंदौली से महेंद्र नाथ पांडे, मुजफ्फरनगर से संजीव बालियान, मोहनलालगंज से कौशल किशोर और फतेहपुर सीट से उम्मीदवार साध्वी निरंजन ज्योति को भी चुनाव में हार का मुंह देखना पड़ा है।

मोदी की जीत का अंतर घटा

वाराणसी से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मिली जीत का अंतर भी पिछली बार से एक तिहाई रह गया है। 2019 के लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस सीट से 4.8 लाख वोटों से जीते थे लेकिन इस बार उनकी जीत का अंतर 1.5 लाख वोट रह गया है। इसी तरह रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह 2019 के चुनाव में 3.5 लाख वोटों से जीते थे लेकिन इस बार उनकी जीत का अंतर 1.35 लाख वोटों का है। महाराजगंज सीट से जीत हासिल करने वाले केंद्रीय मंत्री पंकज चौधरी 2019 में 3.4 लाख वोटों से जीते थे लेकिन इस बार वह सिर्फ 35 हजार वोटों से जीत हासिल कर सके।

बीजेपी की सहयोगी और अपना दल (सोनेलाल) की अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल 2019 में 2.3 लाख वोटों से जीती थी लेकिन इस बार उनकी जीत का अंतर सिर्फ 46 हजार वोट ही रहा है।

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लोकसभा चुनाव 2024 में क‍िस पार्टी को म‍िले क‍ितने प्रत‍िशत वोट

बंगाल में 35 का था टारगेट, मिली 12 सीटें

बीजेपी ने इस बार पश्चिम बंगाल में आक्रामक चुनाव प्रचार अभियान किया था। पार्टी ने 42 लोकसभा सीटों में से 35 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा था। चुनाव प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई टीवी चैनलों के साथ इंटरव्यू में भी इस बात का जिक्र किया था कि इस बार पश्चिम बंगाल में बीजेपी की सीटों का आंकड़ा बढ़ेगा लेकिन पार्टी पिछली बार मिली 18 सीटों के आंकड़े से भी काफी दूर रह गई और 12 सीटें ही जीत सकी।

जबकि राज्य में सरकार चला रही टीएमसी को पिछली बार मिली 22 सीटों के मुकाबले इस बार 29 सीटों पर जीत मिली है।

टीएमसी ने दक्षिण बंगाल में अपना दबदबा कायम रखा है और बर्धमान-दुर्गापुर, हुगली, मेदिनीपुर और बैरकपुर जैसी अहम सीटों को बीजेपी से छीन लिया है। पार्टी इस बार आसनसोल सीट पर भी जीत दर्ज करने में कामयाब रही है। 2022 में हुए उपचुनाव में वह यहां हार गई थी।

बीजेपी को बंगाल में आदिवासी बहुल जंगलमहल इलाके में भी नुकसान हुआ है। 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने जंगलमहल इलाके में आने वाली चार लोकसभा सीटों- झारग्राम, बांकुड़ा, बिष्णुपुर और पुरुलिया सीटें जीत ली थी लेकिन इस बार वह सिर्फ बिष्णुपुर और पुरुलिया सीट ही जीत सकी है।

बीजेपी के तमाम बेहतर प्रदर्शन के दावों के बीच टीएमसी ने वोट शेयर बढ़ाने में कामयाबी हासिल की है। पार्टी को पिछली बार 43.3% वोट मिले थे जो इस बार बढ़कर 45.76% हो गए हैं। चुनाव आंकड़ों के विश्लेषण से यह भी पता चलता है कि टीएमसी अपने अल्पसंख्यक वोट बैंक को अपने साथ जोड़े रखने में कामयाब रही है। इसी वजह से कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी बहरामपुर लोकसभा सीट से चुनाव हार गए। अधीर रंजन चौधरी 1999 से इस सीट से कभी नहीं हारे थे। इस सीट पर 52% मुस्लिम मतदाता हैं।