लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजे आ गए हैं और 18वीं लोकसभा की तस्‍वीर देश के सामने है। चुनाव प्रचार में हर बार की तरह इस बार भी जात‍ि का बोलबाला रहा। इस बार ओबीसी की चर्चा कुछ ज्‍यादा हुई। तो नई लोकसभा में ओबीसी सांसदों का प्रत‍िशत भी 2019 की तुलना में बढ़ गया है। 2019 में जहां 22.8 प्रत‍िशत ओबीसी सांसद चुने गए थे, वहीं इस बार यह आंकड़ा 25.4 फीसदी का है। इतनी बढ़ोतरी क‍िसी और समुदाय के सांसदों में नहीं हुई है।

जातीय आधार पर देखें तो सबसे ज्‍यादा सांसद (25.8 प्रत‍िशत) अगड़ी जात‍ियों के ही चुने गए हैं, लेक‍िन प‍िछली लोकसभा की तुलना में यह करीब तीन प्रत‍िशत कम (28.5 प्रत‍िशत) है। अगड़ी जात‍ियों और ओबीसी सांसदों का प्रत‍िशत लगभग बराबर ही है। 2019 में अगड़ी जात‍ियों की तुलना में ओबीसी सांसद करीब छह फीसदी कम थे।

बता दें क‍ि 4 जून को सामने आए लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजों में तीसरी बार एनडीए को बहुमत मिला है। एनडीए 293 सीटों के साथ एक बार फिर सरकार बना सकती है वहीं, कांग्रेस को 99 सीटें मिली हैं।

2024 के चुनाव के दौरान जाति एक बड़ा मुद्दा रही

2024 के चुनाव प्रचार अभियान के दौरान जाति एक बड़ा मुद्दा रही। भाजपा ने जहां हिंदू जातियों के एकीकरण पर ध्यान केंद्रित किया, वहीं इंडिया गठबंधन ने जाति को सामाजिक न्याय, प्रतिनिधित्व का वादा और एक कल्याणकारी शासन के प्रमुख साधन के रूप में इस्‍तेमाल क‍िया।

लोकसभा चुनाव पर‍िणाम: 2019 और 2024 में क‍िस जाति-समुदाय के क‍ितने प्रत‍िशत सांसद

जाति2019 (%)2024 (%)
उच्च जाति 28.525.8
इंटरमीड‍िएट कास्‍ट14.4 13.6
ओबीसी 22.825.4
एससी 15.515.8
एसटी 10.110.1
मुस्लिम 5.04.4
क्रिश्चियन 1.31.3
सिख 2.02.4
बौद्ध 0.20

हिन्दी बेल्ट के सांसदों का जाति और समुदाय के आधार पर लोकसभा में प्रतिनिधित्व

जाति2019 (%)2024 (%)
उच्च जाति38.932.7
इंटरमीड‍िएट कास्‍ट6.2 6.6
ओबीसी25.731.0
एससी17.317.7
एसटी8.08.4
मुस्लिम3.53.1
क्रिश्चियन0.4

एनडीए और कास्‍ट इक्‍वेशन

एनडीए से अगड़ी जातियों के ज्यादा सांसद (33.2%) जीते हैं जबकि कांग्रेस में ओबीसी सांसदों की संख्या (30.7%) ज्यादा है। वहीं, अगर धार्मिक रूप से अल्पसंख्यक समुदायों की बात की जाये तो इंडिया गठबंधन ने 12.7% ऐसे उम्मीदवार उतारे थे, वहीं एनडीए ने 1.7% अल्पसंख्यक कैंडीडेट को टिकट दिया था।

जाति एनडीए ने उतारे उम्मीदवार (%)एनडीए के जीते सांसद (%)
उच्च जातियां 31.3 33.2
ब्राह्मण 14.9 14.7
राजपूत 7.0 8.7
अन्य अगड़ी जातियां 9.4 9.8
इंटरमीडिएट कास्ट 15.3 15.7
मराठा 4.3 3.1
जाट 3.4 2.4
लिंगायत 1.5 1.0
पाटीदार 1.5 2.4
रेड्डी 1.7 2.1
वोक्कालिगा 1.1 1.7
अन्य इंटरमीडिएट कास्ट 1.7 2.8
ओबीसी 25.5 26.2
यादव 2.3 3.1
कुर्मी 2.5 3.5
अन्य ओबीसी 20.8 19.6
एससी 15.8 13.3
एसटी 10.0 10.8
मुस्लिम 0.9 0
क्रिश्चियन 0.2 0
सिख 0.4 0
बुद्ध 0.2 0
अनआडेंटिफ़ाइड कास्ट 0.4 0.7

इंडिया और कास्‍ट इक्‍वेशन

जाति इंडिया ने उतारे उम्मीदवार (%)इंडिया के जीते सांसद (%)
उच्च जातियां 19.2 12.4
ब्राह्मण 10.05.9
राजपूत 2.71.5
अन्य अगड़ी जातियां 6.55.0
इंटरमीडिएट कास्ट 14.011.9
मराठा 3.45.0
जाट 3.33.0
लिंगायत 1.11.5
पाटीदार 1.5 2.4
रेड्डी 1.7 0
वोक्कालिगा 1.1 0.5
अन्य इंटरमीडिएट कास्ट 1.30.5
ओबीसी 26.930.7
यादव 4.23.5
कुर्मी 2.7 3.0
अन्य ओबीसी 20.0 24.3
एससी 17.6 17.8
एसटी 9.69.9
मुस्लिम 7.37.9
क्रिश्चियन 2.73.5
सिख 2.2 5.0
बुद्ध 0.2 0
अनआडेंटिफ़ाइड कास्ट 0.4 1.0

4 जून को नवनिर्वाचित 18वीं लोकसभा के सदस्यों की घोषणा के साथ, पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च द्वारा संकलित आंकड़ों से पता चलता है कि 18वीं लोकसभा के 543 सदस्यों में से 262 पहले सांसद के रूप में कार्य कर चुके हैं, जिनमें 216 पिछली बार दोबारा निर्वाचित हुए थे। दोबारा निर्वाचित सांसदों में से 8 ने 2019 से अपना निर्वाचन क्षेत्र बदल लिया था।

नई लोकसभा में सांसदों की औसत आयु 56 वर्ष

नई लोकसभा में सांसदों की औसत आयु 56 वर्ष है। जबकि 40 साल या उससे कम उम्र के सांसद लोकसभा के कुल सांसदों का 11% हैं, 38% सांसद 41 से 55 साल के बीच हैं, और 52% सांसद 55 साल से अधिक उम्र के हैं। सबसे उम्रदराज सांसद 82 साल के हैं और तीन सांसद 25 साल के हैं, जो लोकसभा के लिए चुने जाने वाले सबसे कम उम्र के सांसद है।

खुद को निरक्षर बताने वाले सभी 121 उम्मीदवार चुनाव हार गये

पिछली लोकसभा में 78 महिला सांसदों की तुलना में अब 74 महिलाएँ हैं जो कुल सदस्यों का 14% हैं। नई लोकसभा में 78% सांसदों ने कम से कम स्नातक की डिग्री पूरी की है और 5% के पास डॉक्टरेट की डिग्री है। हलफनामे में खुद को निरक्षर बताने वाले सभी 121 उम्मीदवार चुनाव हार गये।पेशे के संदर्भ में 48% नए सांसदों ने अपने हलफनामे में अपना व्यवसाय सामाजिक कार्य बताया, इसके बाद 37% ने कृषि में अपना व्यवसाय घोषित किया।