सप्रीम कोर्ट (SC) ने कहा है कि वह जल्द ही वोटर वेरिफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपैट) पर्चियों के 100% वेरिफिकेशन की मांग वाली याचिकाओं पर विचार करेगा।

मार्च 2023 में एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स ने शीर्ष अदालत के समक्ष एक याचिका दायर करते हुए कहा था कि स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (EVM) में दर्ज वोट को VVPAT से क्रॉस-वेरीफाई किया जाना चाहिए।

यह सुनिश्चित करने के लिए कि यह प्रक्रिया यथासंभव तेजी से पूरी हो एडीआर ने वीवीपैट पर्चियों पर बारकोड के उपयोग का सुझाव दिया था। बता दें कि सात चरणों में आयोजित लोकसभा चुनाव-2024 के पहले चरण के लिए 19 अप्रैल को मतदान होना है।

FAQ : EVM and VVPAT : क्या है VVPAT और कैसे काम करता है?

VVPAT इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (EVM)  की बैलट यूनिट से जुड़ा होता है। आसान भाषा में कहें तो यह एक ड्रॉप बॉक्स वाले प्रिंटर होता है। यह मतदाताओं को उनके द्वारा चुने गए विकल्प का विज़ुअल दिखाता है। साथ ही उस विजुअल को एक पेपर स्लिप पर प्रिंट भी करता है। स्लिप पर उम्मीदवार का सीरियल नंबर, नाम, और पार्टी का सिंबल होता है।

ईवीएम के माध्यम से वोट डालते ही यह स्लिप पहले वीवीपैट के सामने लगे एक कांच की खिड़की में नजर आता। वोटर के पास सात सेकंड का टाइम होता यह वेरिफ़ाई करने लिए वोट उसी को गया, जिसका बटन ईवीएम में दबाया है। सात सेकंड बाद स्लिप नीचे बने कम्पार्टमेंट में गिर जाती है।

VVPAT
वीवीपैट में सामने की तरफ कांच की एक खिड़की होती है और साइड में ड्रॉप बॉक्स होता है।

कोई भी वोटर VVPAT स्लिप को अपने साथ नहीं ले जा सकता क्योंकि बाद में इसका उपयोग पांच रेंडमली सेलेक्टेड पोलिंग बूथ में दिए गए वोट को वेरीफाई करने के लिए किया जाता है।

VVPAT का आइडिया यह है कि इलेक्ट्रॉनिकली दिए गए वोट के फिजिकल वेरिफिकेशन को इजाजत देकर, वोटर और पॉलिटिकल पार्टी दोनों की इस प्रक्रिया में आस्था बढ़ाई जाए, ताकि उन्हें भरोसा रहे कि उनके वोट को सही तरह से रिकॉर्ड किया जा रहा है।

Electronic Voting Machine – भारत निर्वाचन आयोग : चुनाव आयोग ने वीवीपैट की शुरुआत क्यों की थी?

साल 2010 की बात है। चुनाव आयोग ने ईवीएम से होने वाले मतदान की प्रक्रिया को और अधिक पारदर्शी बनाने पर चर्चा के लिए राजनीतिक दलों के साथ एक बैठक की थी। उसी बैठक में वीवीपैट का विचार सबसे पहले सामने आया था।

वीवीपैट का एक प्रोटोटाइप तैयार होने के बाद जुलाई 2011 में लद्दाख, तिरुवनंतपुरम, चेरापूंजी, पूर्वी दिल्ली और जैसलमेर में फील्ड ट्रायल आयोजित किए गए।

डिजाइन को अंतिम रूप देने और राजनीतिक दलों से प्रतिक्रिया लेने के बाद, चुनाव आयोग की एक विशेषज्ञ समिति ने फरवरी 2013 में वीवीपैट के फाइनल डिजाइन को मंजूरी दे दी। उस वर्ष के बाद 1961 के चुनाव नियमों में संशोधन किया गया ताकि ईवीएम से जुड़े एक ड्रॉप बॉक्स वाले प्रिंटर को जोड़ा जा सके।

VVPAT FACT
PC- ECI

2013 में नागालैंड के नोक्सेन विधानसभा क्षेत्र के सभी 21 मतदान केंद्रों पर पहली बार वीवीपैट का उपयोग किया गया, इसके बाद चुनाव आयोग ने चरणबद्ध तरीके से वीवीपैट को बढ़ाना शुरू किया। जून 2017 तक वीवीपैट को 100% अपनाया जा चुका था।

Electronic Voting Machine(EVM) and VVPAT : केवल पांच मतदान बूथों की VVPAT पर्चियों की काउंटिंग क्यों की जाती है?

पिछले कुछ वर्षों से बार-बार यह सवाल उठाया जा रहा है कि वीवीपैट की सभी पर्चियों को ना गिनकर, रेंडमली सेलेक्टेड पांच पोलिंग बूथ की वीवीपैट पर्चियों को ही क्यों गिना जाता है? चुनाव आयोग ने इसका जवाब सुप्रीम कोर्ट में दायर एक दस्तावेज में दिया था।

दरअसल, साल 2018 में चुनाव आयोग ने भारतीय सांख्यिकी संस्थान (ISI) से “गणितीय रूप से सही, सांख्यिकीय रूप से ठोस और व्यावहारिक रूप से पर्याप्त” एक सैंपल साइज की मांग की ताकि EVM द्वारा डाले गए वोटों के साथ VVPAT पर्चियों की ऑडिट की जा सके।

फरवरी 2018 में चुनाव आयोग ने प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र से किसी एक मतदान केंद्र पर VVPAT पर्चियों की गिनती का आदेश दिया था। अप्रैल 2019 में TDP नेता चंद्रबाबू नायडू द्वारा दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद इसे बढ़ाकर पांच मतदान केंद्रों तक कर दिया गया था। संबंधित निर्वाचन अधिकारी लॉटरी के माध्यम से पांच मतदान केंद्रों का चयन करते हैं, और इसके लिए उम्मीदवारों/उनके एजेंटों को बुलाया जाता है।

Explainer | EVM-VVPAT Verification Issue Before Supreme Court : वीवीपैट को लेकर क्या हैं कानूनी मामले?

सुब्रमण्यम स्वामी बनाम भारत निर्वाचन आयोग के मामले से शुरुआत करते हुए VVVPAT कई कानूनी मामलों का विषय रहा है। जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया था कि स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों के लिए पेपर ट्रेल जरूरी है और सरकार को VVPAT को बढ़ावा देने के लिए फंडिंग का आदेश दिया था।
 
2019 में चंद्रबाबू नायडू ने सुप्रीम कोर्ट में कम से कम 50% रैंडम VVPAT स्लिप को गिनने के लिए एक याचिका दायर की। हालांकि, EC ने तर्क दिया कि अगर ऐसा हुआ तो रिजल्ट आने में पाँच से छह दिनों तक देरी हो जाएगी।

इसके अलावा EC ने ISI द्वारा बताए गए सैंपल साइज की ओर इशारा किया, जिसके मुताबिक पूरे देश से रेंडमली सेलेक्टेड 479 VVPAT के स्लिप गिनने पर भी 99% से अधिक सटीकता की गारंटी होगी। हालांकि तब कोर्ट ने EC को पांच मतदान केंद्रों पर VVVPAT की गिनती करने का आदेश दिया था।

चुनाव आयोग 50 प्रतिशत पर्चियों की गिनती क्यों नहीं करना चाहता?

चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अपनी याचिका में दावा किया था कि चुनाव अधिकारी को एक पोलिंग स्टेशन पर EVM की मतगणना से VVPAT पर्चियों का मिलान करने में घंटे भर का समय लगता है |

चुनाव आयोग के सूत्रों ने बताया, चूंकि VVPAT पर्चियों की गिनती ईवीएम से दिए वोटों की गिनती के बाद शुरू हो सकती है, ऐसे में अगर पांच पोलिंग स्टेशन की वीवीपैट पर्चियों को गिना जाएगा तो इसमें कुल पांच घंटे की देरी हो जाएगी।

इसके अलावा चुनाव आयोग ने यह भी माना कि जहां VVPAT पर्चियों की गणना की जाती है, वहां बुनियादी ढांचे की कमी है। साथ ही इस काम को करने के लिए लोग भी कम हैं।

राजनीतिक दल ज्यादा से ज्यादा VVPAT पर्चियों को गिनने की मांग क्यों कर रहे हैं?

विपक्षी पार्टियां वोटिंग को और अधिक पारदर्शी बनाने के लिए अधिक पोलिंग बूथ पर वेरिफिकेशन की मांग की जा रही है। उनका तर्क है कि निष्पक्ष चुनाव की पवित्रता परिणामों की घोषणा में देरी की चिंता से अधिक है।

पार्टियों ने 50% से 100% तक VVPAT पर्चियों के गिनती की मांग की है। दिसंबर में विपक्ष के INDIA गठबंधन, जिसमें कांग्रेस, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, तृणमूल कांग्रेस, द्रमुक और समाजवादी पार्टी शामिल हैं, उन्होंने VVPAT पर्चियों के 100% वेरिफिकेशन की मांग करते हुए एक प्रस्ताव पारित किया था। INDIA गठबंधन ने मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार से मिलने और अपनी चिंताओं पर चर्चा करने का समय भी मांगा है। हालांकि, चुनाव आयोग ने अब तक ऐसा करने में अनिच्छा दिखाई है।

ये भी पढ़ें- 2019 लोकसभा चुनाव से पहले 30% तक EVM में पाई गई थी खराबी

एक आरटीआई कार्यकर्ता से प्राप्त दस्तावेजों के आधार पर द इंडियन एक्सप्रेस ने फरवरी 2024 में लिखा था कि पिछले लोकसभा चुनाव (2019) से पहले EVM की प्रथम स्तरीय जांच (FLC) के दौरान बड़ी संख्या में मशीनों में खराबी पाई गई थीं। विस्तार से पढ़ने के लिए फोटो पर क्लिक करें:

EVM
प्रतीकात्मक तस्वीर (PC- Election Commission of India)

जब बैलट बॉक्‍स से न‍िकलती थीं मन्‍नत की पर्च‍ियां…

पहले आम चुनाव के मतदान के बाद कई मतपेट‍ियों पर फूल और स‍िंदूर लगा हुआ पाया गया था। दरअसल, कई लोग मतपेटी को पूजा की वस्‍तु मान बैठे थे। कई मत पेट‍ियों से मन्‍नत ल‍िखी पर्च‍ियां, स‍िक्‍के, नोट आद‍ि म‍िले थे। विस्तार से पढ़ने के लिए फोटो पर क्लिक करें:

Lok Sabha Election 2024
पहले आम चुनाव के दौरान मतपेटी में मतपत्र डालता एक मतदाता (Wikimedia Commons)