लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजे सामने आ चुके हैं। भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाले एनडीए ने 293 सीटों पर जीत दर्ज करते हुए बहुमत हासिल किया है और इंडिया गठबंधन के खाते में 233 सीटें गयी हैं। वहीं, अगर बीजेपी की बात की जाये तो उसके हिस्से में 240 सीटें आई हैं।

भाजपा को इस बार अपने दम पर पूर्ण बहुमत न मिलने के बाद पार्टी सूत्रों ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि ऐसे नतीजे के बाद आने वाले समय में पार्टी के भीतर भी मंथन तेज हो सकता है और शीर्ष नेतृत्‍व की कार्यशैली में बदलाव के ल‍िए आवाज उठ सकती है। सूत्रों ने कहा कि अब भाजपा को ज‍िस तरह एनडीए के अपने सहयोगियों की बातें सुननी और उसे साथ लेकर चलने की मजबूरी के साथ चलना होगा, उसी तरह पार्टी के भीतर भी अधिक सहमतिपूर्ण दृष्टिकोण अपनाना होगा।

बीजेपी को बदलनी होगी अपनी रणनीति

एक वरिष्ठ भाजपा नेता ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “यह लोकसभा चुनाव भाजपा में एक नया अध्याय बनाएगा। नेतृत्व अब सवाल या आलोचना से परे नहीं है।”

पार्टी नेताओं के अनुसार, भाजपा अपने सहयोगियों को वैसे ही मैनेज करना चाहती है जैसे अटल बिहारी वाजपेयी के समय में एनडीए सरकार ने किया था। यान‍ि, प्रभावी गठबंधन संयोजन के साथ हर बड़े फैसले के लिए गठबंधन सहयोगियों के साथ लगातार बैठकें और परामर्श किया जाएगा।

भाजपा नेताओं ने कहा कि राजस्थान में सीटों में गिरावट के बाद वसुंधरा राजे और मध्य प्रदेश में जीत के बाद शिवराज सिंह चौहान, महाराष्ट्र में नितिन गडकरी और यूपी में राजनाथ सिंह जैसे अन्य दिग्गजों का पार्टी में महत्व बढ़ जाएगा।

भाजपा करेगी समीक्षा

द इंडियन एक्सप्रेस से बात करने वाले कई बीजेपी नेताओं ने जोर देकर कहा कि लोकसभा चुनाव के नतीजों से पार्टी में तुरंत कोई बदलाव नहीं आएगा क्योंकि एनडीए ने मोदी के नेतृत्व में लड़ाई लड़ी। लेकिन, उन्होंने स्वीकार किया कि नेतृत्व को अपनी कार्यशैली की समीक्षा करनी होगी और अपने लिए गए फैसलों और नियुक्तियों पर व्यापक रूप से चर्चा करनी होगी।

चुनाव के नतीजों के बाद पहला कदम उठाते हुए पार्टी को जल्द ही एक राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव करना होगा क्योंकि जेपी नड्डा का विस्तारित कार्यकाल इस महीने समाप्त हो रहा है। इसके बाद, राज्य इकाइयों को भी नए पदाधिकारी मिलने के साथ ही संगठन में आमूलचूल बदलाव की उम्मीद है।

कांग्रेस की जीत से भाजपा की बढ़ी चुनौतियां

पार्टी सूत्रों ने बताया कि राहुल गांधी के अधिक मजबूत विपक्षी नेता के रूप में उभरने के साथ कांग्रेस एक बार फिर आगे बढ़ गयी है। सूत्रों ने कहा, “न केवल भाजपा विरोधी ताकतें बल्कि पार्टी में नाखुश और असंतुष्ट नेता भी उनके पीछे आ सकते हैं। इससे कांग्रेस का भविष्य उज्जवल हो सकता है, जिससे कई जगहों पर भाजपा के लिए नई चुनौतियां खड़ी हो सकती हैं।”

सूत्रों ने यह भी कहा कि भाजपा और आरएसएस के बीच सीनियर लेवल पर कम्यूनिकेशन को हाल के दिनों में झटका लगा है। भाजपा के एक मजबूत संगठन के रूप में विकसित होने के साथ, कई प्रमुख क्षेत्रों में जमीनी स्तर पर अपने आउटरीच कार्यक्रमों के लिए संघ पर उसकी निर्भरता कम हो गई थी। पार्टी के एक सूत्र ने कहा, “लेकिन अब इस चुनाव में भाजपा को झटका लगने के बाद, संबंधों में सुधार और संचार को नियमित करने के प्रयास होंगे।”