आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल की हिरासत एक अप्रैल तक बढ़ा दी गई है। आप नेता और कार्यकर्ता सड़कों पर उतरे हुए हैं। वे केजरीवाल की गिरफ्तारी को ‘दिल्ली वालों को परेशान करने की साजिश’ बता रहे हैं। सीएम केजरीवाल ने भी कोर्ट में अपनी गिरफ्तारी को राजनीतिक साजिश बताया है।
लोकसभा चुनाव 2024 में पहले चरण की वोटिंंग से कुछ सप्ताह पहले हुई इस गिरफ्तारी के राजनीतिक निहितार्थ निकाले जा रहे हैं। आप और भाजपा दोनों द्वारा इसे चुनावी मुद्दा बनाया जा रहा है। कई चुनावी विश्लेषक इसे भाजपा की गलती बता रहे हैं। उनके मुताबिक, इसका खामियाजा भाजपा को आगामी लोकसभा चुनाव में भुगतना पड़ सकता है।
हालांकि भाजपा इस मुद्दे को लेकर जरा भी बैकफुट पर जाती नहीं नजर आ रही है। पूरे आत्मविश्वास के साथ पार्टी कार्यकर्ता केजरीवाल के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं। इस आत्मविश्वास के पीछे कुछ आंकड़ों के होने की संभावना है।
क्या हैं वो आंकड़े?
दिल्ली की जनता लोकसभा और विधानसभा चुनाव में अलग-अलग तरह से वोट करती है। दिल्ली के जो मतदाता विधानसभा चुनाव में पूर्ण बहुमत से आम आदमी पार्टी को चुनते हैं, वहीं लोकसभा चुनाव में दिल्ली की सातों सीट भाजपा की झोली में डाल देते हैं।
2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को दिल्ली की सभी सात सीटों पर जीत मिली थी। वोट शेयर 50 प्रतिशत से ज्यादा था। इसके अगले ही साल हुए विधानसभा चुनाव में दिल्ली के मतदाताओं ने आम आदमी पार्टी को दिल्ली की 70 में 67 सीटों पर जीत दिला दी। पार्टी को कुल वोट का 50 प्रतिशत से ज्यादा मिला था।

ऐसे में भाजपा को यह उम्मीद है कि केजरीवाल की गिरफ्तारी आम मतदाताओं को प्रभावित नहीं करेगी, क्योंकि वो राष्ट्रीय और राज्य के चुनावों में BJP और AAP के बीच घूमती रहती है। उपरोक्त आंकड़ों को देखते हुए भाजपा, लोकसभा चुनाव में दिल्ली की चिंता से मुक्त रह सकती है। भाजपा की वास्तविक परीक्षा शायद 2025 के विधानसभा चुनावों में होगी।
झारखंड में भी यही रणनीति
लगता है झारखंड में भी भाजपा इसी सोच के साथ लोकसभा चुनाव लड़ रही है। वहां भी मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन हिरासत में हैं। झारखंड में लोकसभा के चुनावों में भाजपा का मत प्रतिशत लगातार बढ़ रहा है। 2014 के विधानसभा चुनाव में झारखंड की कुल 81 सीटों में से 37 पर भाजपा और 19 पर झारखंड मुक्ति मोर्च (JMM) को जीत मिली थी। 2014 के लोकसभा चुनाव में झारखंड की 14 सीटों में 12 पर भाजपा और दो पर जेएमएम को जीत मिली थी।
सिर्फ 2009 के लोकसभा चुनाव को छोड़ दें तो पिछले चार आम चुनावों में भाजपा का ग्राफ लगातार बढ़ा है। पिछले लोकसभा चुनाव में पार्टी को 50 प्रतिशत से ज्यादा वोट और 12 में से 11 सीटों पर जीत मिली थी।

झारखंड और दिल्ली में दूर की सोच रही है भाजपा!
पिछले दो चुनावों में जो ट्रेंड देखने को मिला है, उसे ध्यान में रखते हुए भाजपा लोकसभा को लेकर निश्चिंत हो सकती है। विश्लेषकों का मानना है भाजपा दिल्ली और झारखंड में विधानसभा की तैयारी में लगी है। दोनों ही राज्यों में लोकसभा चुनाव के ठीक बाद विधानसभा के चुनाव होने हैं।
केजरीवाल की गिरफ्तारी का विश्लेषण करते हुए द इंडियन एक्सप्रेस की कंट्रीब्यूटिंग एडिटर नीरजा चौधरी ने लिखा है
भाजपा केजरीवाल समेत आप के बड़े नेताओं की गिरफ्तारी का लाभ उठाकर आम आदमी पार्टी में नेतृत्व शून्यता उजागर करना चाहती है ताकि विपक्ष के हमले से लाचार होकर पार्टी कोई रणनीति न बना सके और टूट जाए।
आप को पंजाब में डबल झटका
चौधरी की यह भविष्यवाणी सच होती भी नजर आ रही है, केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद आप को पंजाब में डबल झटका लगा है। जालंधर के आप सांसद सुशील कुमार रिंकू और जालंधर पश्चिम से आप विधायक शीतल अंगुराम भाजपा में शामिल हो गए हैं।
झारखंड में भी जेएमएम की सीता हुईं भाजपा की
झारखंड में भी यही देखने को मिल रहा है। पिछले लोकसभा चुनाव में जेएमएम को झारखंड की सिर्फ एक लोकसभा सीट पर जीत मिली थी। वह इकलौती सांसद सीता सोरेन थीं, जो हेमंत सोरेन की भाभी भी हैं। सोरेन को हिरासत में लिए जाने के बाद सीता सोरेन भाजपा में शामिल हो गई हैं।
चुनाव में बहुमत पाए बिना भी कई राज्यों में सरकार बना चुकी है भाजपा
2014 से अब तक भारतीय जनता पार्टी 9 राज्यों में बिना चुनाव जीते ही सरकार बना पाने में कामयाब रही है। विस्तार से पढ़ने के लिए फोटो पर क्लिक करें:
