भोजपुरी स्टार पवन सिंंह का काराकाट लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने का ऐलान क्या एनडीए पर भारी पड़ेगा? क्या बीजेपी कहीं कुछ वैसा ही खेल तो नहीं खेल रही जैसा उसने चिराग पासवान के जरिए तब नीतीश कुमार के साथ खेला था जब जदयू एनडीए का हिस्सा नहीं थी? ऐसे कुछ सवाल काराकाट लोकसभा क्षेत्र और बिहार में चुनावी बहस के बीच चर्चा का विषय बन गए हैं। ये सवाल एकदम बेबुनियाद भी नहीं हैं।
बीजेपी ने पिछले महीने पश्चिम बंगाल के आसनसोल से भोजपुरी गायक-अभिनेता पवन सिंह को टीएमसी के शत्रुघ्न सिन्हा के खिलाफ उम्मीदवार घोषित कर दिया था। पहले उन्होंने चुनाव लड़ने से मना कर दिया फिर बाद में मन बदल लिया। लेकिन, तब तक बीजेपी ने भी मन बदल लिया था। जब बीजेपी ने आसनसोल से एस.एस. अहलूवालिया को उम्मीदवार घोषित कर दिया तो पवन सिंंह ने काराकाट से निर्दलीय लड़ने का ऐलान कर दिया।
काराकाट से ही क्यों उतरे पवन सिंह?
भोजपुरी इलाकों में से आरा, बक्सर पवन सिंंह के लिए बेहतर विकल्प हो सकता था, लेकिन ये सीट बीजेपी के खाते में हैं और यहां से मौजूदा सांसद भी बीजेपी के ही हैं। संभव है, पवन सिंंह बीजेपी की संभावना कमजोर नहीं करना चाहते हों और उससे संबंध खराब नहीं करना चाहते हों।
काराकाट एनडीए में शामिल राष्ट्रीय लोक मंच (आरएलम) के खाते में है। उनके खिलाफ आरएलएम के संस्थापक और पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा हैं। महागठबंधन ने भी कुशवाहा उम्मीदवार ही उतारा है। यहांं से मौजूदा सांसद जदयू का है। यहां पवन सिंंह या कुशवाहा की जीत-हार से एनडीए को कोई फर्क नहीं पड़ने वाला। अगर पवन सिंंह निर्दलीय जीतते हैं तो इस बात की पूरी संभावना है कि बाद में वह बीजेपी में ही जाएंगे।
पवन ने आसनसोल से वापस ले लिया था नाम
मार्च में आसनसोल से शत्रुघ्न सिन्हा के खिलाफ चुनाव से सिंह ने अपना नाम वापस ले लिया था, क्योंकि तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के नेताओं ने उनके कुछ गानों में बंगाली महिलाओं के प्रति अभद्र और अपमानजनक संदर्भ होने का आरोप लगाया था। उस समय, उन्होंने कहा था कि वह आरा, बक्सर या काराकाट से चुनाव लड़ सकते हैं।
2008 में वजूद में आई काराकाट लोकसभा सीट में कुशवाहा मतदाता ज्यादा हैं। पिछले तीन चुनाव में इसी वर्ग के नेता यहां से जीते हैं। पवन सिंंह राजपूत हैं। बक्सर में राजद के सुधाकर सिंह और आरा में भाजपा के आर के सिंह जैसे राजपूत उम्मीदवार हैं। ऐसे में जाति के नाम पर वोट बंटने की आशंका ज्यादा थी।
लोकसभा चुनाव 2019 के परिणाम
काराकाट से जद (यू) के महाबली सिंह ने 2009 का लोकसभा चुनाव जीता था। उपेंद्र कुशवाहा ने 2014 में, और फिर महाबली सिंह ने 2019 में यहां जीत हासिल की। काराकाट में 18.50 लाख से अधिक मतदाता हैं। इनमें करीब 3 लाख सवर्ण मतदाता और करीब 2.5 लाख कुशवाहा मतदाता हैं। सामान्य वर्ग के मतदाताओं में राजपूतों का दबदबा है। इनकी संख्या करीब सवा लाख है।
काराकाट लोकसभा क्षेत्र में दो जिलों की छह विधानसभा सीटें आती हैं। रोहतास की डेहरी, नोखा और काराकाट और औरंगाबाद की गोह, ओबरा, नबीनगर। रोहतास जिले में भोजपुरी बोली जाती है और औरंगाबाद में मगही।

पवन सिंह ने एक हारमोनियम वादक के रूप में अपना कैरियर शुरू किया था। उनका पहला एल्बम “ओढ़निया वाली” 1997 में रिलीज़ हुआ था, इसके बाद 2005 में “काँच कसैली” आया। वह “हिले आरा डिस्ट्रिक्ट” गाना आने के बाद छा गए थे। उनकी लोकप्रिय फिल्मों में प्रतिज्ञा, सत्य, शेर सिंह और राजा शामिल हैं।
भाजपा पिछले कुछ चुनावों से लगाताार भोजपुरी कलाकारों पर सफल दांव लगाती रही है। पिछले चुनाव में भी रवि किशन और दिनेश यादव को सांसद बनाया। इस बार पवन सिंंह को टिकट देने के साथ उसने बॉलीवुड की कंगना रनौत को भी उम्मीदवार बनाया है।