केरल की तिरुवनंतपुरम संसदीय क्षेत्र में 26 अप्रैल को मतदान है। मुकाबला त्रिकोणीय बताया जा रहा है। कांग्रेस ने अपने तीन बार के सीटिंग सांसद शशि थरूर को उम्मीदवार बनाया है। वहीं भाजपा की तरफ से केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर और लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट की तरफ से पनियन रविंद्रन (पूर्व सीपीआई सांसद) मैदान में हैं।
बिजनेसमैन से नेता बने 59 वर्षीय राजीव चंद्रशेखर ने तिरुवनंतपुरम को इस बार केरल में सबसे कांटे की लड़ाई में से एक बना दिया है, भले ही भाजपा राज्य में कभी भी लोकसभा सीट जीतने में सक्षम नहीं रही है। अपने चुनाव प्रचार में भाजपा उम्मीदवार सीएए पर वामपंथियों के विरोध और ‘हिंदुत्व के खिलाफ’ उनकी लड़ाई को भी रेखांकित कर रहे हैं।
लेकिन दिलचस्प है कि इस तरह के प्रचार के बावजूद केरल की राजधानी में हिंदू भी मणिपुर हिंसा पर चिंता जता रहे हैं। अन्य मुद्दों के अलावा मणिपुर हिंसा भी तिरुवनंतपुरम में एक चुनावी मुद्दा है।
तिरुवनंतपुरम में मणिपुर हिंसा बन रहा चुनावी मुद्दा
द इंडियन एक्सप्रेस के शाजू फिलिप ने अपनी एक ग्राउंड रिपोर्ट के लिए परसाला में पूजा सामग्री बेचने वाले राजेश से बातचीत की है। राजेश का मानना है कि तिरुवनंतपुरम का मुकाबला मुख्य रूप से थरूर और चंद्रशेखर के बीच होगा।
वह कहते हैं, “वामपंथी ज़मीनी स्तर पर बेहतरीन काम कर रहे हैं, लेकिन लोग राज्य सरकार के प्रदर्शन से खुश नहीं हैं। थरूर 15 साल से यहां हैं। लोग यह नहीं कहते कि थरूर ने प्रदर्शन नहीं किया है, लेकिन उनमें से एक वर्ग बदलाव की उम्मीद कर सकता है। साथ ही, यहां जिन हिंदुओं से मैं मिलता हूं, वे भी मणिपुर हिंसा पर अपनी चिंता व्यक्त करते हैं।”
क्या है तिरुवनंतपुरम का समीकरण?
तिरुवनंतपुरम में शहरी, तटीय और ग्रामीण मतदाताओं का मिश्रण है। मतदाताओं में 68% हिंदू, 19% ईसाई और 13% मुस्लिम शामिल हैं। तीनों प्रमुख उम्मीदवार, थरूर, चंद्रशेखर और रवींद्रन, ऊंची जाति के नायर समुदाय से हैं, जो हिंदू मतदाताओं के बीच एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। नायर समुदाय और नादर समुदाय सहित कुछ अल्पसंख्यक वर्गों को आम तौर पर तिरुवनंतपुरम में प्रमुख ताकत माना जाता है।

तीनों पार्टियों द्वारा नायर उम्मीदवार उतारे जाने की वजह से, समुदाय का समर्थन तीन भागों में बंटता दिख रहा है। निर्वाचन क्षेत्र में ईसाई और मुस्लिम समुदाय के वोट महत्वपूर्ण होंगे। तटीय क्षेत्र में रहने वाले ईसाई समुदाय में अडानी समूह की विझिंजम परियोजना को लेकर सीपीएम के नेतृत्व वाले एलडीएफ के साथ-साथ भाजपा सरकार के खिलाफ कुछ नाराजगी है।
तिरुवनंतपुरम पर किसका दबदबा?
केरल के 20 संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों में से एक तिरुवनंतपुरम में 1980 से कांग्रेस का दबदबा रहा है। पिछले 44 साल में कांग्रेस के अलावा इस सीट से सिर्फ सीपीएम के उम्मीदवार ही जीत पाए हैं। 1980 से अब तक कांग्रेस नौ बार और सीपीएम चार बार जीती है।
पार्टी | 2019 | 2014 | 2009 |
कांग्रेस | 41.19% | 29.48% | 32.34% |
भाजपा | 31.3% | 27.95% | 8.54% |
सीपीएम | 25.6% | 24.64% | 22.44% |
तिरुवनंतपुरम में भाजपा का वोट प्रतिशत लगातार बढ़ रहा है। लेकिन कामयाबी अब तक नहीं मिली है। 2009 से 2019 के बीच भाजपा का वोट प्रतिशत 22.76% बढ़ गया है। इसी अवधि में कांग्रेस का वोट प्रतिशत 8.85% और सीपीएम का 3.16% बढ़ा है।
मध्य वर्ग पर राजीव चंद्रशेखर की नजर
सीट जीतने के लिए भाजपा उम्मीदवार शशि थरूर के वोट बेस में सेंध लगाने की कोशिश कर रहे हैं। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट बताती है कि पिछले सप्ताह चंद्रशेखर ने इंजीनियरों, डॉक्टरों और टेक्नोक्रेट सहित शहर के विभिन्न पेशेवर समूहों के साथ बैठक की, जिनके वोट बैंक में युवाओं और पेशेवरों के अलावा आकांक्षी मध्यम वर्ग का एक बड़ा वर्ग शामिल है।
यही कांग्रेस का मूल जनाधार है। पिछले तीन चुनावों में, भाजपा और वामपंथी उम्मीदवारों के पास मध्यम वर्ग के बीच थरूर की अपील का कोई जवाब नहीं था, जिसे अब चंद्रशेखर कम करने का प्रयास कर रहे हैं।
शशि थरूर की कैसी है तैयारी?
शशि थरूर लगातार चौथी बार सीट पाने के लिए पूरे निर्वाचन क्षेत्र में अपने 15 साल का ट्रैक रिकॉर्ड दिखा रहे हैं। मीडिया से बातचीत में वह स्वीकार करते हैं कि चंद्रशेखर एक चुनौती हैं। इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में थरूर कहते हैं, “एनडीए का प्रचार अभियान ऊर्जावान और पेशेवर है। पिछले 15 वर्षों में मैंने जो विकास किया है उसे कोई नकार नहीं सकता। राष्ट्रीय राजमार्ग विकास, विझिंजम बंदरगाह और आईटी विकास। मैं देश के भविष्य के बारे में बोलता हूं।” कांग्रेस ने चुनाव आयोग से शिकायत की थी कि चंद्रशेखर के चुनावी हलफनामे में “विसंगतियां” हैं।

लेफ्ट का क्या हाल?
78 वर्षीय सीपीआई नेता और एलडीएफ उम्मीदवार पनियन रविंद्रन ने 2005 में उपचुनाव में यह सीट जीती थी। 2014 के बाद से भाजपा तिरुवनंतपुरम में उपविजेता रही है, जिसने एलडीएफ को तीसरे स्थान पर धकेल दिया है। 2019 के चुनावों में थरूर ने भाजपा के कुम्मनम राजशेखरन को लगभग एक लाख वोटों से हराया था।
यह चुनाव एलडीएफ के लिए एक अग्निपरीक्षा बनने वाला है, जो वर्षों से घटते जनाधार का सामना कर रहा है। लेफ्ट का वोट शेयर 2005 में उपचुनाव के दौरान 51.41% था, जो 2009 में 30.74%, 2014 में 28.5% और 2019 में 25.6% हो गया।