40 लोकसभा सीटों वाले बिहार की सियासत हमेशा से पेंचीदा रही है। बिहार में 1990 से लगातार 2005 तक अपने दम पर सरकार चलाने वाली आरजेडी को 2019 के लोकसभा चुनाव में करारी शिकस्त मिली थी। साल 2019 का लोकसभा चुनाव पहला ऐसा चुनाव था जिसमें आरजेडी बिहार में अपना खाता भी नहीं खोल सकी। इस लोकसभा चुनाव में आरजेडी को 15.4% वोट मिले थे लेकिन यह निश्चित रूप से हैरान करने वाली बात है कि उसे एक भी सीट नहीं मिली थी।
जबकि 2014 के लोकसभा चुनाव में हालांकि उसे 20.1 फीसदी वोट मिले थे लेकिन उसने चार सीटों पर जीत भी हासिल की थी।
आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि आरजेडी उसे मिले वोटों को सीटों में तब्दील करने में बुरी तरह फेल रही। 1999 में आरजेडी के लिए वोट और सीटों के प्रतिशत का अनुपात 0.44 फीसदी था, जबकि 2004 में यह आंकड़ा बढ़कर 1.79 हुआ और 2009 में यह गिरकर 0.52 फीसदी हो गया।
2014 में यह आंकड़ा और गिरा और यह 0.50 फीसदी हो गया, लेकिन साल 2019 के लोकसभा चुनाव में तो यह शून्य हो गया। लोकसभा चुनाव के इन आंकड़ों को देखने से पता चलता है कि 2019 में आरजेडी को जनता ने वोट (15.4 फीसदी) तो दिया, लेकिन सीटें नहीं दीं।
फायदे में नीतीश
आंकड़ों को देखने पर पता चलता है कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जेडीयू को 2019 के लोकसभा चुनाव में बड़ा फायदा हुआ। साल 2014 के लोकसभा चुनाव में जेडीयू को 15.8 फीसदी वोट मिले थे जबकि वह सिर्फ दो सीट जीतने में कामयाब हो पाई थी। इसके उलट साल 2019 के लोकसभा चुनाव में उसे 21.8 फीसदी वोट मिले, लेकिन सीटों का आंकड़ा बढ़कर 16 हो गया।
अगर जेडीयू को मिले वोट शेयर की तुलना सीट शेयर से करें 1999 में यह आंकड़ा 1.71 फीसदी था जबकि 2004 में यह गिरकर 0.67 फीसदी हो गया। लेकिन 2009 में यह बढ़कर 2.08 फीसदी और फिर 2014 में गिरकर .32 फीसदी रह गया। लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में जेडीयू फायदे में रही क्योंकि तब यह आंकड़ा बढ़कर 1.83 फीसदी हो गया था। बीजेपी और राजद की तुलना में जेडीयू को मिले वोट और सीट प्रतिशत का अनुपात अधिक रहा।
बीजेपी का ग्राफ उतार-चढ़ाव वाला
आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि बिहार में बीजेपी का ग्राफ उतार-चढ़ाव वाला रहा है। बीजेपी को साल 1999 के लोकसभा चुनाव में 16.9 फीसदी वोट मिले जबकि 2004 में यह आंकड़ा गिरकर 14.6 फीसदी हो गया। 2009 में यह आंकड़ा फिर से गिरा और पार्टी ने 13.9 फीसदी वोट हासिल किए लेकिन 2014 में पार्टी को 29.4 फीसदी वोट मिले। 2019 में बीजेपी के वोट शेयर में एक बार फिर गिरावट आई और उसे 23.6% वोट हासिल हुए।
अगर बीजेपी को मिले वोट शेयर की तुलना सीट शेयर से करें तो यहां भी पार्टी का ग्राफ उतार चढ़ाव वाला दिखाई देता है। 1999 में यह आंकड़ा जहां 1.77 फीसदी था, वहीं 2004 में यह 0.86 फीसदी हो गया। 2009 में यह आंकड़ा बढ़कर 2.15 हुआ लेकिन 2014 में यह 1.87 और 2019 में 1.80 पर पहुंच गया।
बिहार में लोकसभा चुनाव 2024 में भी कमोबेश 2019 वाले गठबंधन के बीच ही मुकाबला है। मुस्लिम-यादव (माय) समीकरण के बलबूते राजनीति करने वाली आरजेडी ने इस बार अपना समीकरण बड़ा करते हुए ‘बाप’ (BAAP) यानि बहुजन, अगड़ा, आधी आबादी (महिला) और गरीब का भी ऐलान किया है। तो देखना दिलचस्प होगा कि इस चुनाव में उसका खाता खुलता है या नहीं।
