पश्चिम बंगाल में लोकसभा चुनाव का पहला चरण भाजपा के लिए महत्वपूर्ण है। 19 अप्रैल को उत्तरी बंगाल की तीन सीटों – अलीपुरद्वार, कूच बिहार और जलपाईगुड़ी पर मतदान है। इन तीनों ही सीटों को भाजपा ने पिछले चुनाव में जीता था। लोकसभा चुनाव 2019 में भाजपा पश्चिम बंगाल की कुल 42 संसदीय सीटों में से 18 जीतने में कामयाब रही थी।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व में साल 2011 से राज्य पर शासन कर रही तृणमूल कांग्रेस (TMC) भाजपा की जीत को सेंधमारी की तरह देख रही है। टीएमसी का प्रयास है कि वह भाजपा द्वारा जीती गई सीटों पर वापस कब्जा करें। पिछली बार टीएमसी सबसे ज्यादा सीटें (22) तो जीत गई थी, लेकिन 2014 की तुलना में 12 सीटे कम हो गई थीं। भाजपा इस बार अपनी टैली बढ़ा कर नंबर एक पार्टी बनने के मकसद से मैदान में उतरी है।
पहले चरण की सीटों पर किसकी कैसी तैयारी?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ममता बनर्जी दोनों ने पूरे उत्तर बंगाल में जोरदार प्रचार किया है। तीन सीटों पर होने वाली वोटिंग से राज्य में होने वाले अन्य छह चरणों के मतदान के लिए माहौल तैयार होने की उम्मीद है।
टीएमसी के लिए ममता और उनके भतीजे अभिषेक बनर्जी दोनों ने तीन निर्वाचन क्षेत्रों में कई रैलियों को संबोधित किया है। ममता बनर्जी ने भाजपा के खिलाफ आरोप लगाया है कि “मोदी ने उत्तर बंगाल के लोगों के लिए कुछ नहीं किया है”।
भाजपा के अभियान का नेतृत्व करते हुए, पीएम मोदी ने भी एक से अधिक बार उत्तर बंगाल का दौरा किया और टीएमसी पर निशाना साधने के लिए भ्रष्टाचार के आरोपों और संदेशखाली की घटना का सहारा लिया है।
द इंडियन एक्सप्रेस में लिखे अत्रि मित्रा, रविक भट्टाचार्य की रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि चुनाव के शुरुआती चरणों में उत्तर बंगाल की पहचान की राजनीति और चाय बेल्ट के मुद्दे हावी रह सकते हैं। पहले चरण की तीन सीटों पर भाजपा और टीएमसी दोनों ने महत्वपूर्ण स्थानीय जाति समूहों का प्रतिनिधित्व करने के लिए राजबोंगशी या आदिवासी उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है।

पहले चरण की तीन सीटों पर किसने किसको उतारा?
भाजपा ने कूच बिहार में केंद्रीय मंत्री निसिथ प्रमाणिक और जलपाईगुड़ी में जयंत रॉय को दोहराया है। जबकि अलीपुरद्वार के मौजूदा सांसद जॉन बारला की जगह दो बार के मदारीहाट विधायक और विधायक दल के मुख्य सचेतक मनोज तिग्गा को टिकट दिया है।
कूच बिहार लोकसभा चुनाव 2024
उम्मीदवार | पार्टी |
निसिथ प्रमाणिक | भाजपा |
जगदीश चंद्र बर्मा बसुनिया | टीएमसी |
नितीश चंद्र रॉय | फॉरवर्ड ब्लॉक |
पिया रॉय चौधरी | कांग्रेस |
2019 में कूच बिहार से किस पार्टी को कितना मिला था वोट?
पार्टी | वोट |
भाजपा | 7,28,834 |
टीएमसी | 6,76,339 |
लेफ्ट (फॉरवर्ड ब्लॉक) | 46,648 |
कांग्रेस | 28,087 |
2021 विधानसभा चुनाव में कूच बिहार की सातों विधानसभा सीटों पर किसका कैसा था प्रदर्शन?
पार्टी | वोट |
भाजपा | 7,96,933 |
टीएमसी | 6,98,829 |
लेफ्ट (फॉरवर्ड ब्लॉक)+कांग्रेस | 58,031 |
अलीपुरद्वार लोकसभा चुनाव 2024
उम्मीदवार | पार्टी |
मनोज तिग्गा | भाजपा |
प्रकाश चिक बड़ाईक | टीएमसी |
मिली उराँव | आरएसपी |
2019 में अलीपुरद्वार से किस पार्टी को कितना मिला था वोट?
पार्टी | वोट |
भाजपा | 7,50,804 |
टीएमसी | 5,06,815 |
लेफ्ट (आरएसपी) | 54,010 |
2021 विधानसभा चुनाव में अलीपुरद्वार की सातों विधानसभा सीटों पर किसका कैसा था प्रदर्शन?
पार्टी | वोट |
भाजपा | 7,25,347 |
टीएमसी | 5,81,415 |
लेफ्ट (आरएसपी) | 68,645 |
जलपाईगुड़ी लोकसभा चुनाव 2024
उम्मीदवार | पार्टी |
जयन्त राय | भाजपा |
नितमल चंद्र रॉय | टीएमसी |
देबराज बर्मन | सीपीएम |
2019 में जलपाईगुड़ी से किस पार्टी को कितना मिला था वोट?
पार्टी | वोट |
भाजपा | 7,60,145 |
टीएमसी | 5,76,141 |
लेफ्ट (आरएसपी) | 76,166 |
2021 विधानसभा चुनाव में जलपाईगुड़ी की सातों विधानसभा सीटों पर किसका कैसा था प्रदर्शन?
पार्टी | वोट |
भाजपा | 7,33,130 |
टीएमसी | 6,81,777 |
लेफ्ट (आरएसपी) | 91,983 |
पश्चिम बंगाल में लगातार मजबूत हो रही है भाजपा
आंकड़े बता रहे हैं कि भाजपा पश्चिम बंगाल में लगातार मजबूत हो रही है। चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने दावा किया है कि लोकसभा चुनाव 2024 में भाजपा नंबर एक पार्टी के रूप में सामने आएगी। अलग-अलग सर्वे में भाजपा के लिए 20 से ज्यादा सीट जीतने का अनुमान लगाया जा रहा है। भाजपा ने अपने लिए 35 सीट जीतने का टार्गेट रखा है। टीएमसी नेता कुणाल घोष का दावा है कि उनकी पार्टी 30-35 जीतने वाली है।

राज्य में विपक्षी दल इंडिया ब्लॉक के बैनर तले एकजुट नहीं हो पाए हैं। टीएमसी अपने दम पर भाजपा को रोकने दावा कर रही है। कांग्रेस और वाम दल अपनी-अपनी ताकत लगा रहे हैं। कुल मिलाकर मुकाबला त्रिकोणीय हो सकता है, और विश्लेषक मानते हैं इसी से भाजपा को फायदा होगा।
किसका वोट लेकर मजबूत हो रही है भाजपा?
पिछले दो दशकों में पश्चिम बंगाल का राजनीतिक परिदृश्य काफी बदल गया है – सबसे पहले 1998 में स्थापित टीएमसी के उदय ने वामपंथियों के प्रभाव को कम कर दिया; और फिर भाजपा के उदय ने कांग्रेस और वाम दोनों को निचोड़ लिया।
विधानसभा में भी टीएमसी ने अपना दबदबा बनाए रखा है, 2016 में 295 में से 211 सीटें और 2021 में 215 सीटें जीती हैं। कांग्रेस और लेफ्ट लगातार गिर रहे हैं, 2016 में क्रमशः 44 और 33 सीटें थीं, जो 2021 में एक भी नहीं रह गईं। इस गिरावट का स्पष्ट लाभा भाजपा को हुआ है, जो 2016 में 3 सीटों से बढ़कर 2021 में 77 हो गई।

लोकसभा में भी टीएमसी काफी हद तक कामयाब रही है, लेकिन बीजेपी के ठोस प्रयास का असर दिख रहा है। द इंडियन एक्सप्रसे के अंजिश्नु दास इसे उदाहरण से समझाते हैं। वह लिखते हैं, 2014 के नरेंद्र मोदी लहर के चुनाव में, जब भाजपा भारी बहुमत के साथ केंद्र में सत्ता में आई, तो टीएमसी ने बंगाल में 48 में से 34 सीटें जीतीं। उस समय कांग्रेस ने 4 सीटें जीती थीं, और लेफ्ट और बीजेपी ने 2-2 सीटें जीती थीं।
लेकिन 2019 तक भाजपा ने अंतर को कम कर दिया और बंगाल में 18 लोकसभा सीटें जीत लीं, जो टीएमसी की 22 से सिर्फ 4 सीटें कम थीं। कांग्रेस 2 सीटों पर सिमट गई और वाम दल एक भी सीट नहीं जीत पाए। दिलचस्प है कि भाजपा की लोकसभा जीतें बंगाल के उत्तरी और पूर्वी क्षेत्रों में केंद्रित हैं, जहां कभी वामपंथियों का दबदबा हुआ करता था।

लोकसभा चुनावों में वोट शेयर के मामले में टीएमसी ने 2014 और 2019 के बीच 3.9% की वृद्धि दर्ज की, लेकिन फिर भी 12 सीटें घट गईं। भाजपा के वोट शेयर में 23.6% की बढ़ोतरी हुई, जबकि कांग्रेस के वोट शेयर में 4% और लेफ्ट के वोट शेयर में 22.4% की गिरावट आई।
विधानसभा चुनावों में टीएमसी का वोट शेयर 2016 की तुलना में 2021 में 3.1% बढ़ गया। लेकिन फिर भाजपा जंप हाई था। वह 10.2% वोटों से, 38% तक पहुंच गई। दूसरी ओर कांग्रेस और वामपंथियों में क्रमशः 9.3% और 20.1% वोटों की गिरावट आई।
विपक्ष के बिखरे होने का भाजपा को मिल रहा फायदा?
अगर टीएमसी, कांग्रेस और लेफ्ट, तीनों ने मिलकर पिछला लोकसभा चुनाव लड़ा होता तो भाजपा द्वारा जीती गई 18 सीटों में से 9 पर उसे आराम से हरा सकते थे। भाजपा का कुल वोट शेयर 40.6% था, जबकि टीएमसी, कांग्रेस और लेफ्ट एक हो जाते तो इन का वोट शेयर 56.9% हो जाता है।
टीएमसी और लेफ्ट के बीच प्रतिद्वंद्विता और उन दोनों के एक साथ आने की असंगति को देखते हुए, अगर सिर्फ कांग्रेस के वोट शेयरों को टीएमसी में जोड़ दिया जाता, तब भी भाजपा की 18 सीटों में से 6 पर कांग्रेस टीएमस की जीत हो जाती। कुल मिलाकर, टीएमसी-कांग्रेस-लेफ्ट ग्रुपिंग ने संयुक्त रूप से 56.7% वोट शेयर हासिल किया, जबकि टीएमसी और कांग्रेस को कुल मिलाकर 51% वोट मिले।