चुनावों में नेताओं द्वारा बड़े-बड़े या झूठे वादे करना तो आम बात है, लेकिन लोकसभा चुनाव 2024 में तथ्यों से खिलवाड़ किए जाने के मामले भी खूब सामने आ रहे हैं। सत्ता पक्ष और विपक्ष, दोनों की ओर से ऐसे मामले देखने को मिल रहे हैं।
मंगलसूत्र, संपत्ति छीने जाने, विरासत टैक्स लगाने, आरक्षण खत्म करने, ओबीसी का आरक्षण मुसलमानों को देने, आरक्षण खत्म करने, हिंंदुओं की तुलना में मुस्लिमों की आबादी काफी बढ़ने जैसे दावे प्रधानमंत्री सहित तमाम नेता कर रहे हैं। क्या बोला जा रहा है और सच या सही संदर्भ क्या है, हम आपको बताएंगे।
कुछ दिन पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुंबई की एक चुनावी रैली में यह आरोप लगाया कि कांग्रेस केंद्रीय बजट का 15% हिस्सा मुसलमानों के लिए रखने की पक्षधर है। उन्होंने कांग्रेस पर हिंदू-मुस्लिम राजनीति करने का भी आरोप लगाया। इस वीडियो में सुनिए:
यूपीए सरकार लाई थी 15 सूत्रीय कार्यक्रम
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का इशारा शायद यूपीए सरकार के द्वारा लाए गए 15 सूत्रीय कार्यक्रम की ओर था। अल्पसंख्यक कल्याण के लिए 15 सूत्रीय कार्यक्रम की घोषणा सबसे पहले प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 1983 में की थी। इस कार्यक्रम का ऐलान सरकारी नौकरियों में अल्पसंख्यकों को प्रतिनिधित्व देने और आर्थिक सशक्तिकरण के कार्यक्रमों में उनकी उचित भागीदारी के लिए किया गया था।
यूपीए सरकार ने 2004 में 15 सूत्रीय कार्यक्रम को नए रूप में पेश किया और इसमें अल्पसंख्यकों के विशेष कल्याण पर फोकस किया। अक्टूबर 2004 में यूपीए सरकार ने नेशनल कमीशन फॉर रिलिजियस एंड लिंग्विस्टिक माइनॉरटीज संस्था का गठन किया जिसे रंगनाथ मिश्र आयोग के नाम से जाना जाता है।
इस आयोग ने 2005 में अपना काम शुरू किया। 2005 में राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने कहा था कि रंगनाथ मिश्रा आयोग वंचित वर्गों के सामाजिक और आर्थिक पहलू का अध्ययन करेगा और उनके शैक्षणिक, नौकरी और आर्थिक अवसरों को बेहतर करने के संबंध में सुझाव देगा।
मार्च 2005 में सरकार ने एक हाई लेवल कमेटी का गठन किया था। इस कमेटी का काम भारत में मुस्लिम समुदाय की सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक स्थिति के बारे में रिपोर्ट देना था और इसका प्रमुख रिटायर्ड जस्टिस राजेंद्र सच्चर को बनाया गया था।
अल्पसंख्यक तुष्टिकरण का आरोप
2006 में मनमोहन सिंह की सरकार ने 15 सूत्रीय कार्यक्रम के तहत जो दिशा-निर्देश जारी किए थे, उनमें कहा गया था कि जहां भी संभव हो सरकारी योजनाओं के तहत दिए गए लक्ष्य और खर्च होने वाले धन का 15% अल्पसंख्यकों के लिए निर्धारित किया जाना चाहिए। लेकिन जब दिसंबर 2007 में मनमोहन सिंह सरकार ने 15 सूत्रीय कार्यक्रम को 11वीं पंचवर्षीय योजना में शामिल किया था तो बीजेपी ने मनमोहन सिंह सरकार पर अल्पसंख्यक तुष्टिकरण का आरोप लगाया था।
बीजेपी के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने कहा था कि अल्पसंख्यकों के लिए 15% धन आरक्षित करके सरकार नफरत को बढ़ावा दे रही है।
पूर्व वित्त मंत्री और कांग्रेस के नेता पी. चिदंबरम ने कहा था कि पिछले 75 सालों से हम सभी जानते हैं कि बजट एक ही होता है, ऐसे में हिंदू और मुसलमान के लिए अलग-अलग बजट कैसे हो सकते हैं। चिदंबरम ने ट्वीट करके भी अपनी बात को साफ किया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते महीने राजस्थान के बांसवाड़ा में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए कहा था कि अगर कांग्रेस सत्ता में आई तो वह देश की संपत्ति को ‘घुसपैठियों और जिनके अधिक बच्चे हैं’, उनके बीच बांट देगी। माना गया था कि मोदी ने इस बयान के जरिये मुसलमानों पर हमला किया था।
मोदी ने कहा था, “ये कांग्रेस का घोषणापत्र कह रहा है कि वे माताओं-बहनों के सोने का हिसाब करेंगे, उसकी जानकारी लेंगे और फिर उस संपत्ति को बांट देंगे और उनको बांटेगे जिनके बारे में मनमोहन सिंह की सरकार ने कहा था कि संपत्ति पर पहला अधिकार मुसलमानों का है।”
संपत्ति बांटने से संबंधित बयान पर राहुल गांधी की बात सुनिए।
इस मुद्दे पर सुनिए प्रियंका गांधी की बात।
एक विवाद मनमोहन सिंंह के बारे में यह कहते हुए भी उठा कि उन्होंने देश के संसाधनों पर पहला हक मुसलमानों का बताया था-
लेकिन क्या वाकई मनमोहन सिंह ने ऐसा कुछ कहा था? दिसंबर 2006 में राष्ट्रीय विकास परिषद की एक बैठक को संबोधित करते हुए मनमोहन सिंह ने संसाधनों के विवेकपूर्ण उपयोग की आवश्यकता पर ज़ोर दिया था। जानने के लिए नीचे खबर पर करें क्लिक।

Muslim Population in India: मुस्लिम आबादी बढ़ने का तर्क
प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद की ओर से तैयार की गई एक रिपोर्ट कुछ दिन पहले सामने आई थी। रिपोर्ट में कहा गया था कि 1950 से 2015 के बीच भारत में हिंदू आबादी 7.82% कम हुई है जबकि मुस्लिम समुदाय की आबादी 43.15% बढ़ी है। बीजेपी के नेताओं ने इस रिपोर्ट को बड़े पैमाने पर शेयर किया था। प्रधानमंत्री ने भी इसका जिक्र किया।
इस रिपोर्ट के मुताबिक, 1950 में हिंदू समुदाय की आबादी 84.68% थी जो 2015 में गिरकर 78.06% हो गई है इसी तरह मुस्लिम समुदाय की आबादी तब 9.84% थी, जो बढ़कर 14.09% हो गई है।
पीएफआई ने उठाए सवाल
पॉपुलेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया (पीएफआई) ने कहा था कि इस रिपोर्ट के नतीजों को गलत तरीके से पेश किया जा रहा है। पीएफआई के मुताबिक, प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद ने रिपोर्ट तैयार करते वक्त 1950 से 2015 के बीच हिंदू और मुस्लिम समुदाय की आबादी के अंतर का पता लगाने के लिए 1950 का पैमाना रखा है। यानी कि 1950 में इन धार्मिक समूहों की आबादी कितनी थी।
रिपोर्ट के मुताबिक मुस्लिम समुदाय की आबादी में 1950 से 2015 के बीच जो अंतर है, वह 4.25 प्रतिशत की बढ़ोतरी है लेकिन इसे 1950 की मुस्लिम आबादी की तुलना में 43.15% दिखाया गया है। इसी तरीके का इस्तेमाल करते हुए यह बताया गया है कि हिंदुओं की आबादी 7.82% घटी है, ईसाइयों की आबादी 5.38% बढ़ी है और सिख समुदाय की आबादी भी 6.58% बढ़ी है जबकि पारसी समुदाय की आबादी 85% कम हुई है।
लेकिन इस पैमाने का इस्तेमाल बौद्ध और जैन समुदाय की आबादी के लिए नहीं किया गया है। अगर इस तरीके से देखा जाए तो पता चलेगा कि मौजूदा वक्त में बौद्ध समुदाय की आबादी 1,520 प्रतिशत बढ़ गई है जबकि वास्तव में कुल आबादी में उनकी हिस्सेदारी 0.05% से 0.81% बढ़ी है।
Inheritance Tax: बीजेपी के आरोपों में है कितना दम?
पिछले महीने लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सैम पित्रोदा के बयान को लेकर देश भर में अच्छा-खासा बवाल हुआ था। सैम पित्रोदा ने न्यूज़ एजेंसी एएनआई से बातचीत में इन्हैरिटेंस टैक्स यानी विरासत कर का समर्थन किया था।
सैम पित्रोदा के बयान को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह ने अपनी चुनावी रैलियों में उठाया था।
लेकिन इसके जवाब में कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा था कि 2014 में तत्कालीन वित्त राज्य मंत्री जयंत सिन्हा ने खुद विरासत कर की कड़ी पैरवी की थी और 2017 में खुद तत्कालीन केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इसे अमलीजामा पहनाने की कोशिश की थी। पूरा मामला जानने के लिए पढ़ें खबर।

इसी तरह विपक्ष के नेता भी कहते रहे हैं कि एनडीए 400 सीटें इसलिए मांग रही है ताकि वह संविधान बदल सके। जबकि सच्चाई यह है कि ऐसी बात कुछ भाजपा नेताओं के बयान के संदर्भ में और उसे तोड़-मरोड़ कर ही कही जा रही है।
राहुल गांधी ने कहा कि बीजेपी आरक्षण खत्म करने की पक्षधर है।
सच यह है कि कोई पार्टी आज यह साहस नहीं दिखा सकती। साथ ही, भाजपा और आरएसएस के तमाम नेता कह चुके हैं कि वे आरक्षण के खिलाफ नहीं हैं। उल्टे इस चुनाव में भाजपा विपक्ष पर यह कह कर हमलावर हो रही है कि अगर विपक्ष की सरकार बनी तो वे ओबीसी का आरक्षण मुसलमानों को दे देंगे।