लोकसभा चुनाव 2024 में बीजेपी ने भले ही 400 पार का नारा दिया हो लेकिन ऐसा लगता है कि पंजाब में सीटें जीतने और वोट प्रतिशत बढ़ाने के लिए वह दूसरे दलों से आए नेताओं के भरोसे है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष से लेकर कई बड़े चेहरे और चुनाव में उम्मीदवार ऐसे हैं, जो कांग्रेस, आम आदमी पार्टी या शिरोमणि अकाली दल से आए हैं।
लेकिन पहले बात करते हैं कि पंजाब में सीटों व वोट प्रतिशत के मामले में बीजेपी का प्रदर्शन कैसा रहा है।
Punjab SAD-BJP Alliance: अकाली दल से टूटा गठबंधन
पंजाब में बीजेपी का सबसे बेहतर प्रदर्शन तीन सीटों का रहा है। उसने 1998 और 2004 के लोकसभा चुनाव में तीन-तीन सीटें जीती थी। तब उसने ये चुनाव अकाली दल के साथ गठबंधन में रहते हुए लड़े थे।

पंजाब में जब बीजेपी और अकाली दल का गठबंधन था तो अकाली दल ग्रामीण क्षेत्रों में वोट हासिल करता था जबकि बीजेपी को शहरी इलाकों से वोट मिलते थे।
पंजाब में 1996 से लेकर 2019 तक अकाली दल और बीजेपी साथ मिलकर चुनाव लड़ते रहे। 2007 से 2017 तक इन दोनों दलों ने पंजाब में मिलकर सरकार भी चलाई। एनडीए के कोटे से अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल की पत्नी हरसिमरत कौर बादल भारत सरकार में मंत्री भी थीं लेकिन 2020 में कृषि कानूनों के खिलाफ जब पंजाब में आंदोलन शुरू हुआ तो अकाली दल ने एनडीए से नाता तोड़ लिया और पंजाब में बीजेपी अकेले रह गई।

लोकसभा चुनाव 2024 से पहले लंबे वक्त तक ऐसी चर्चाएं चली कि बीजेपी और अकाली दल फिर से साथ आ सकते हैं लेकिन ऐसा नहीं हो सका। अब अकाली दल और बीजेपी अलग-अलग सभी सीटों पर चुनाव लड़ रहे हैं।
Punjab BJP Vote Share: गिरता गया वोट शेयर
अगर वोट शेयर भी देखें तो पंजाब में बीजेपी को 1991 के लोकसभा चुनाव में 16.51% वोट मिले थे लेकिन उसके बाद से वह कभी भी इस ग्राफ को नहीं छू सकी। 2019 के लोकसभा चुनाव में उसे 9.63% वोटों से संतोष करना पड़ा था।

यहां मोदी लहर का भी असर नहीं रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह सहित बीजेपी नेतृत्व के पूरी ताकत झोंकने के बाद भी बीजेपी 2014 और 2019 में अपने पुराने 3 सीटों के आंकड़े से आगे नहीं बढ़ सकी।
Sunil Jakhar Punjab BJP: पूर्व कांग्रेसी नेता के हाथ है बीजेपी की कमान
आइए, अब जानते हैं कि पंजाब में दूसरे दलों से आए हुए ऐसे कौन से नेता हैं जिनके हाथ में आज पंजाब में पार्टी की कमान है या वे लोकसभा का चुनाव लड़ रहे हैं। इसमें पहला नाम आता है पंजाब भाजपा के अध्यक्ष सुनील जाखड़ का। सुनील जाखड़ कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रहे बलराम जाखड़ के बेटे हैं। सुनील जाखड़ कांग्रेस में भी प्रदेश अध्यक्ष और नेता विपक्ष जैसे अहम पदों पर रहे थे लेकिन कुछ साल पहले वह कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आ गए और बीजेपी ने उन्हें प्रदेश अध्यक्ष जैसा बड़ा ओहदा दे दिया।

Amarinder Singh BJP: पटियाला से चुनाव लड़ रहीं परनीत कौर
दूसरा नाम आता है अमरिंदर सिंह का। अमरिंदर सिंह लंबे वक्त तक पंजाब के मुख्यमंत्री रहे और उन्हें पंजाब कांग्रेस की रीढ़ माना जाता था। लेकिन प्रदेश कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू के साथ सियासी तनातनी की वजह से अमरिंदर सिंह ने 2021 में कांग्रेस को अलविदा कह दिया था और पंजाब लोक कांग्रेस नाम से अपनी पार्टी बनाई थी।
बाद में उन्होंने अपनी पार्टी का बीजेपी में विलय कर दिया था। उनकी पत्नी और पूर्व केंद्रीय मंत्री परनीत कौर पटियाला की लोकसभा सीट से बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ रही हैं। परनीत ने पिछला चुनाव पटियाला से कांग्रेस के टिकट पर जीता था। अमरिंदर कौर की बेटी जय इंदर कौर पंजाब में बीजेपी की महिला विंग की प्रधान हैं।

Ravneet Singh Bittu, Sushil Rinku: बिट्टू, रिंकू हैं बीजेपी के उम्मीदवार
इस साल मार्च में पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह के पोते और लुधियाना से पिछला चुनाव कांग्रेस के टिकट पर जीते रवनीत सिंह बिट्टू बीजेपी में शामिल हो गए थे। बिट्टू लुधियाना से बीजेपी के उम्मीदवार हैं। जालंधर से आम आदमी पार्टी के सांसद सुशील रिंकू भी बीजेपी में शामिल हो गए और अब वह इस सीट से बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। रिंकू के साथ जालंधर वेस्ट से आप के विधायक शीतल अंगुराल ने भी बीजेपी का हाथ थाम लिया था।
अप्रैल में कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव तेजिंदर सिंह बिट्टू बीजेपी में शामिल हो गए थे। जालंधर से कांग्रेस के सांसद रहे संतोष सिंह चौधरी की पत्नी करमजीत कौर चौधरी ने बीजेपी का दामन थाम लिया था। बीते साल पंजाब के पूर्व वित्त मंत्री और कांग्रेस और अकाली दल में रहे मनप्रीत सिंह बादल बीजेपी में शामिल हुए थे।
कुल मिलाकर पंजाब में बीजेपी की कोशिश दूसरे दलों से आए नेताओं पर टिकी है जो उसके लिए लोकसभा चुनाव में सीटें बटोर सकें या उसका वोट प्रतिशत बढ़ा सकें।
Punjab BJP: सिखों से नजदीकियां बढ़ाने की कोशिश
पिछले कुछ सालों में बीजेपी ने सिख समुदाय की अधिकता वाले इस राज्य में अपनी जड़ें जमाने की कोशिश की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कई मौकों पर गुरुद्वारों में गए हैं। कुछ दिन पहले ही वह पटना साहिब गुरुद्वारे में गए थे और वहां लंगर बांटा था। ऐसा करके पार्टी सिखों के बीच यह संदेश देना चाहती है कि बीजेपी उनसे दूर नहीं है।
Farmers Protest Punjab: किसान आंदोलन बना चुनौती
बीजेपी लगातार सिख समुदाय और किसानों के साथ एकजुटता दिखाने की कोशिश कर रही है और दूसरे दलों से आने वाले सिख नेताओं को भी अपने साथ जोड़ रही है। लेकिन पंजाब में किसान उसके लिए मुश्किल बने हुए हैं। भले ही मोदी सरकार ने कृषि कानून वापस ले लिए लेकिन किसानों का गुस्सा बीजेपी को लेकर शांत होते नहीं दिखता। पंजाब के कई लोकसभा क्षेत्रों में आज भी भाजपा नेताओं का विरोध हो रहा है। पंजाब के ही पड़ोसी राज्य हरियाणा में भी किसान लगातार बीजेपी के उम्मीदवारों का विरोध कर रहे हैं।
पंजाब में 20 लाख किसान परिवार हैं और ऐसे में जब तक किसानों की नाराजगी पूरी तरह दूर नहीं होती, बीजेपी को पंजाब में अपनी जड़ें जमाने में खासी मुश्किल आ सकती है।

Punjab Hindu Politics: हिंदू वोटरों से है उम्मीद
पंजाब में अंतिम चरण में लोकसभा चुनाव के लिए मतदान होना है। लेकिन आने वाले कुछ दिनों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित पार्टी के तमाम स्टार प्रचारक पार्टी के उम्मीदवारों के लिए पंजाब में धुआंधार प्रचार करेंगे। पंजाब बीजेपी ने योजना बनाई है कि अमृतसर, जालंधर और लुधियाना में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैलियां कराई जाएंगी।
पंजाब में 39% हिंदू आबादी है और बीजेपी को उम्मीद है कि अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण, जम्मू-कश्मीर से धारा 370 की समाप्ति, सर्जिकल स्ट्राइक सहित राष्ट्रवाद के अन्य मुद्दों से उसे हिंदू आबादी का कुछ हद तक समर्थन मिल सकता है। बीजेपी को यह भी उम्मीद है कि अगर पंजाब में हिंदू मतदाताओं का ध्रुवीकरण होता है तो पार्टी को इसका फायदा हो सकता है।
117 सीटों वाली पंजाब की विधानसभा में आम आदमी पार्टी ने 2022 के विधानसभा चुनाव में 92 सीटें जीती थी। 2024 के लोकसभा चुनाव में उसने 9 विधायकों को लोकसभा का प्रत्याशी बनाया है।

