लोकसभा चुनाव 2024 के लिए प्रचार अभियान जोर पकड़ चुका है। नेता जमकर बड़ी-बड़ी चुनावी सभाएं कर रहे हैं। अखबारों से लेकर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म तक चुनावी विज्ञापनों से पट चुके हैं। भाजपा और कांग्रेस बीते तीन महीनों में यूट्यूब पर करीब 150 चुनावी गीत रिलीज कर चुकी हैं।

30 दिन में राष्ट्रीय अखबारों के दिल्ली संस्करण में भाजपा और कांग्रेस ने कुल 52 विज्ञापन दिए हैं। डिजिटल विज्ञापनों पर भी करोड़ों विज्ञापन फूंके जा रहे हैं। सीएसडीएस-लोकनीति ने चुनावी गीतों और विज्ञापनों का विश्लेषण किया है।

गीतों से क्या कहना चाहते हैं राजनीतिक दल?

1 जनवरी, 2024 से 10 अप्रैल, 2024 के बीच भाजपा के पक्ष में 70 और कांग्रेस के पक्ष में 80 गाने यूट्यूब पर अपलोड किए गए हैं। गानों को पार्टी के आधिकारिक यूट्यूब चैनल, उम्मीदवारों के आधिकारिक चैनल और पार्टी समर्थकों के स्वतंत्र यूट्यूब चैनलों द्वारा पोस्ट किया गया है।

कांग्रेस के पक्ष वाले 9 प्रतिशत गाने उसके आधिकारिक यूट्यूब चैनल से अपलोड किए गए हैं, वहीं भाजपा के लिए यह आंकड़ा 16 प्रतिशत है।

सोर्सकांग्रेसभाजपा
आधिकारिक यूट्यूब चैनल9%16%
उम्मीदवारों के आधिकारिक यूट्यूब चैनल3%3%
पार्टी समर्थकों के स्वतंत्र यूट्यूब चैनल89%81%

जहां भाजपा के गाने विपक्ष की आलोचना पर कम और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करिश्माई नेतृत्व और सुशासन पर गर्व करने पर अधिक केंद्रित हैं, वहीं कांग्रेस ने वर्तमान सरकार पर देश को लूटने और जनता को दुखी जीवन जीने के लिए छोड़ देने का आरोप लगाकर जनता का समर्थन हासिल करने की कोशिश की है। ऐसे गीतों में सत्तारूढ़ सरकार को “लोकतंत्र के विध्वंसक” और “गद्दारों की सरकार” कहकर आलोचना की गई।

पार्टीगीत में किन नारों पर जोर
भाजपामोदी है तो मुमकिन है, मोदी की गारंटी, आ गया है राम राज
कांग्रेसइंदिरा-राजीव ने देश की खातिर जान गंवाई, नेहरू सी सोच हैं, देश की धड़कन राहुल, हर बहन का भाई राहुल, भारत की तकदीर राहुल, राहुल गांधी हूं मैं, नेता नहीं देश का बेटा बन कर आऊंगा

विश्लेषण से पता चलता है कि भाजपा के 72 प्रतिशत गानों में धार्मिक संकेत हैं। वहीं कांग्रेस के लिए यह आंकड़ा 10 प्रतिशत है। कांग्रेस के गानों में पार्टी पर अधिक फोकस है, जबकि भाजपा के गानों में व्यक्ति को केंद्र में रखा गया है।

फोकसकांग्रेसभाजपा
पार्टी91%29%
व्यक्ति9%71%

कांग्रेस के पक्ष में बने गानों की वीडियो में महिलाओं, युवाओं और विद्यार्थियों को अधिक दिखाया गया है। जबकि भाजपा समर्थक वीडियो में हिंदुओं, बुजुर्गों, किसानों पर अधिक फोकस है।

टारगेट ग्रुपभाजपाकांग्रेस
महिला54%72%
युवा40%58%
हिंदू27%6%
मुस्लिम7%11%
बुजुर्ग36%33%
किसान30%23%
गरीब11%8%
गांव29%49%
शहर30%59%
विद्यार्थी26%46%

अंग्रेजी अखबारों में भी हिंदी विज्ञापन

सीएसडीएस-लोकनीति द्वारा किया गया एक अन्य अध्ययन लोकसभा चुनावों से पहले भाजपा और कांग्रेस के प्रिंट मीडिया विज्ञापन अभियानों पर प्रकाश डालता है।

यह विश्लेषण 20 मार्च से 20 अप्रैल, 2024 तक एक महीने तक चला, जिसमें 11 डेली न्यूज पेपर (दिल्ली संस्करण) शामिल थे। छह अंग्रेजी और पांच हिंदी अखबार। इस अवधि के दौरान कुल मिलाकर 52 विज्ञापन प्रकाशित हुए, जिनमें 25 कांग्रेस के और 27 भाजपा के थे। अधिकांश विज्ञापन हिंदी में थे, चाहे वे किसी भी भाषा के समाचार पत्र में छपे हों।

कांग्रेसभाजपा
विज्ञापनों का प्रतिशत4852
हिंदी विज्ञापनों का प्रतिशत7689
अंग्रेजी विज्ञापनों का प्रतिशत2411
सकारात्मक टोन वाले विज्ञापनों का प्रतिशत40100
नकारात्मक टोन वाले विज्ञापनों का प्रतिशत60
राज्यों को ध्यान में रखकर निकाले गए विज्ञापनों का प्रतिशत830
राष्ट्रीय नेताओं को केंद्र में रखकर निकाले गए विज्ञापनों का प्रतिशत2866

किस अखबार को कितना विज्ञापन?

भाजपा और कांग्रेस ने सबसे ज्यादा विज्ञापन राजस्थान पत्रिका को दिया है। इस लिस्ट में दूसरे नंबर पर दैनिक भास्कर और तीसरे नंबर पर टाइम्स ऑफ इंडिया है।

अखबारकुल विज्ञापनकांग्रेसभाजपा
टाइम्स ऑफ इंडिया642
द हिंदू000
हिंदुस्तान टाइम्स541
इंडियन एक्सप्रेस541
द टेलीग्राफ000
दैनिक भास्कर835
अमर उजाला101
हिंदुस्तान541
राजस्थान पत्रिका19415
दैनिक जागरण321
द इकोनॉमिक टाइम्स000
टोटल522527

डिजिटल पर कितना फोकस?

भाजपा ने सीएसडीएस-लोकनीति के अध्ययन की अवधि के दौरान गूगल पर एक लाख से अधिक विज्ञापन पोस्ट करने में 17 करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए, जबक‍ि कांग्रेस ने 2500+ विज्ञापन पोस्ट करने में 13 करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए।

कांग्रेस अपने अभियान के लिए आक्रमण रणनीति अपना रही, समाधान प्रस्तुत करने के बजाय समस्याओं को उजागर करने पर ध्यान केंद्रित कर रही है। भाजपा के विपरीत, कांग्रेस भविष्य की एक सम्मोहक कहानी पेश करने में विफल रही है। कांग्रेस ने मतदाताओं के बीच भावनाएं जगाने के लिए धर्म और राष्ट्रवाद जैसे विषयों का इस्तेमाल करने से परहेज किया है।

राजनीति एक कला है- ऑस्कर अमेरिंगर

विज्ञापनों के माध्यम से भाजपा, कांग्रेस को बुरा बता रही है। कांग्रेस, भाजपा को खराब बता रही। दोनों दल खुद को गरीब हितैषी बताते हुए विज्ञापन पर पैसा बहा रहे हैं। पिछला आम चुनाव भारत के इतिहास का सबसे महंगा चुनाव था। इस चुनाव में पिछले रिकॉर्ड के टूटने की संभावना है।

शायद इन्हीं वजहों से राजनीति को लेकर पत्रकार और सोशलिस्ट नेता ऑस्कर अमेरिंगर का मानना था कि “यह एक-दूसरे से रक्षा करने का वादा कर, गरीबों से वोट और अमीरों से अभियान के लिए धन पाने की एक कला है।” 

मोदी सरकार ने प्रिंट विज्ञापन पर 967.46 करोड़ रुपये किए खर्च

नरेंद्र मोदी सरकार ने 2019-20 से 2023-24 के बीच प्रिंट मीडिया पर विज्ञापन देने में 967.46 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। यह जानकारी केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने संसद में दी थी।